15.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पुलिस नाकाम, छुट्टा घूम रहे हत्यारे

रांचीः हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाये तीन मुजरिम लंबे समय से फरार हैं. इनमें से दो मुजरिम की सजा सुप्रीम कोर्ट ने भी बहाल कर दी है. पर दोनों 2010 से फरार है. तीसरे मुजरिम की तलाश 2006 से ही हो रही है. पुलिस तीनों मुजरिमों को पकड़ नहीं पा रही […]

रांचीः हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाये तीन मुजरिम लंबे समय से फरार हैं. इनमें से दो मुजरिम की सजा सुप्रीम कोर्ट ने भी बहाल कर दी है. पर दोनों 2010 से फरार है. तीसरे मुजरिम की तलाश 2006 से ही हो रही है. पुलिस तीनों मुजरिमों को पकड़ नहीं पा रही है. अदालत में नियमानुसार हर 15 दिन पर दस्तावेज में मुजरिमों के पकड़े नहीं जाने की बात लिखी जा रही है. हत्या की ये दोनों घटनाएं बुंडू और रांची के जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र की है.

बुंडू में 20 अक्तूबर 1990 को हुई थी हत्या : बुंडू थाना क्षेत्र में 20 अक्तूबर 1990 को बहादुर सिंह मुंडा नामक व्यक्ति की हत्या हुई थी. घटना को लेकर बुंडू थाने में प्राथमिकी (63/90) दर्ज की गयी थी. मामले में किशन सिंह मुंडा (पिता तेजनाथ सिंह मुंडा ) और जगरनाथ सिंह मुंडा (पिता विजय सिंह मुंडा) को नामजद अभियुक्त बनाया गया था. न्यायायुक्त की अदालत ने मामले (सेशन ट्रायल केस नंबर-70/91) की सुनवाई के बाद दोनों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनायी. इसके बाद दोनों की ओर से हाइकोर्ट में अपील ( 49/93) दायर की गयी. हाइकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा बहाल रखी. इसके बाद दोनों मुजरिम सुप्रीम कोर्ट गये. सुप्रीम कोर्ट ने भी दोनों की सजा बरकरार रखी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रति मिलने के बाद न्यायायुक्त की अदालत ने इन दोनों मुजरिमों के खिलाफ पहली बार 26 अक्तूबर 2010 को गिरफ्तारी वारंट जारी किया. पर पुलिस दोनों को पकड़ नहीं पा रही है. दोनों मुजरिम अभी भी बाहर घूम रहा है. अदालत में नियमानुसार हर 15 दिन पर दस्तावेज में दोनों मुजरिमों के पकड़े नहीं जाने की बात लिखी जा रही है.

टाटा सूमो के विवाद में हुई थी हत्या : एक अन्य घटना जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र की है. टाटा सूमो की खरीद-बिक्री के मुद्दे पर उभरे विवाद में मोती लाल साहू की हत्या कर दी गयी थी. मोती लाल के रिश्तेदार धरम दयाल साहू के पास एक टाटा सूमो (एचआर-एसवन- 5824) था. उसने इसे 1.66 लाख रुपये में संजय सिंह उर्फ मंटू सिंह और जय प्रकाश सिंह को बेचा था. मंटू सिंह ने तय कीमत में से 15 हजार रुपये कम का भुगतान किया था. इस कारण धरम साहू ने टाटा सूमो का बंपर अपने पास रख लिया था. इस कारण दोनों में विवाद हो गया. मंटू सिंह व अन्य ने अपहरण कर धरम दयालके रिश्तेदार मोती लाल साहू की हत्या कर दी.

घटना को लेकर जगन्नाथपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इसमें संजय सिंह उर्फ मंटू सिंह, जय प्रकाश सिंह और अंबिका सिंह को नामजद अभियुक्त बनाया गया था. न्यायायुक्त की अदालत ने मामले (सेशन ट्रायल केस नंबर 72/04 व 73/04)में सुनवाई के बाद अंबिका सिंह को दोष मुक्त कर दिया. संजय सिंह उर्फ मंटू सिंह और जय प्रकाश सिंह को हत्या का दोषी माना. जय प्रकाश सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. संजय सिंह उर्फ मंटू के अनुपस्थित होने की वजह से उसे सजा नहीं सुनायी जा सकी. 2006 से न्यायायुक्त की अदालत को मुजरिम मंटू सिंह की तलाश है. इसे पकड़ने के लिए अदालत ने पहले मंटू सिंह के खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया. इसके बाद उसके खिलाफ कुर्की जब्ती की कार्रवाई की.

-शकील अख्तर-

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें