महनार : मौन जी के शब्धकर्म और निष्ठा को संस्कृति क्षेत्र के रचनाकारों एवं पाठकों के बीच अनुकरणीय आदर प्राप्त है. पुरातत्व, लोक संपदा और रिपोतार्ज के क्षेत्र में उनके लेखन की गति आज भी कम नहीं हुई है. यह उद्धार अनुमंडलाधिकारी रवींद्र कुमार ने व्यक्त किया. वह अश्विनी कुमार अालोक के संपादन में प्रकाशित ‘सुरसरि’ पत्रिका के उनचासवे अंक का विमोचन कर रहे थे. यह अंक आरपीएस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रफुल कुमार सिंह ‘मौन’ की संपूर्ण रचनाधर्मिता पर केंद्रित है.
पत्रिका के संपादक अश्वनी कुमार आलोक ने कहा कि मौन जी का लेखन उनके अध्ययन एवं क्षेत्र भ्रमण से प्रोत्साहित है, अतः उनकी प्रमाणिकता असंदिग्ध है. डीएसपी उपेंद्रनाथ नाथ वर्मा ने अंक के सामग्री संयोजन का महत्व रखा, तो डीसीएलआर ललित कुमार सिंह ने कहा कि सुरसरि का यह अंक उस उक्त आया है, जब मौन जी अपना उन्नीसवां जन्म दिवस मना रहे हैं. सीओ चौधरी राम ने मौन जी को बधाई दी. थानाध्यक्ष अभय कुमार सिंह ने महनार की रचनाधर्मिता की प्रशंसा की.
संचालन करते हुए बैधनाथ पंडित प्रभाकर ने कहा कि मौन जी पर केंद्रित एक मूल्यांकन ग्रंथ प्रकाशित हो रहा है. इस अवसर पर मनोज कुमार मेहता, कृत्या नंद सिंह, ज्ञानेंद्र, विजय कुमार, श्याम राय, धीरेंद्र कुमार सिंह, रामनरेश सिंह, उमेश सिंह संत, बैद्यनाथ पंडित प्रभाकर, मुखिया बीरेंद्र प्रसाद सिंह, अवधेश सिंह, बीडी साहनी आदि महनार अनुमंडल कार्यालय परिसर में उपस्थित थे.