हाजीपुर : बाढ़ के बाद फैलने वाले महामारी की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है. प्रभावित क्षेत्रों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. शुद्ध पेयजल के लिए चापाकलों में हैलोजन टैबलेट डाले जा रहे हैं. मेडिकल टीम प्रभावित क्षेत्रों में लगातार कैंप कर रही […]
हाजीपुर : बाढ़ के बाद फैलने वाले महामारी की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है. प्रभावित क्षेत्रों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. शुद्ध पेयजल के लिए चापाकलों में हैलोजन टैबलेट डाले जा रहे हैं. मेडिकल टीम प्रभावित क्षेत्रों में लगातार कैंप कर रही है. पशुओं को बीमारी से बचाने के पशु चिकित्सकों विशेष रूप से टीकाकरण अभियान चला रहे हैं. बाढ़पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए उनके खाते में रुपये भेजी जा रही है.
यह जानकारी रविवार को डीएम रचना पाटिल प्रेस वार्ता में दी. उन्होंने बताया कि बाढ़पीड़ित हर परिवार को 6 हजार रुपये अनुदान दिये जा रहे हैं. तीन हजार रुपये नकद जबकि तीन हजार रुपये का खाद्यान्न दिया जा रहा है. डीएम ने कहा कि अब तक एक करोड़ 36 लाख रुपये राहत कार्य के लिए स्वीकृत किये गये हैं. सोमवार को एक करोड और राशि बैंकों के खाते में भेजी जायेगी.
फसल क्षति का आकलन शुरू :बाढ़ के पानी में डूबने से जिले के कई पंचायतों के किसानों की फसल बरबाद हो गयी है. कृषि विभाग के पदाधिकारी बरबाद हुए फसल का आकलन कर रहे हैं. प्रभावित किसानों को सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार आवश्यक मुआवजा दी जायेगी.
प्रशासन ने लोगों से की अपील :डीएम ने लोगों से अपील की है कि बाढ़ के जमे पानी में जाने से परहेज करें. उन्होंने अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों को बाढ़ के पानी में स्नान करने से रोके. मवेशियों को भी बाढ़ के जमा पानी में नहीं ले जायें. इससे पशुओं को कई तरह की बीमारी होने की संभावना प्रबल हैं.
प्रेसवार्ता करतीं जिलाधिकारी रचना पाटील.
मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करें राहत राशि
बिदुपुर प्रखंड के सैदपुर गणेश पंचायत के मुखिया द्वारा बाढ़ पीड़ितों के बीच नकद रुपये दिये जाने की घटना पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए डीएम ने कहा कि प्रशासन की ओर से इस तरह बाढ़पीड़ितों को सहायता करने के लिए कोई आदेश नहीं दिया गया है. इस प्रकार की घटना से विधि व्यवस्था खराब होने की समस्या उत्पन्न हो सकती है. डीएम ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जो संस्थाएं अथवा समाजसेवी बाढ़ राहत में पीड़ितों की सहायता करना चाहते हैं. वे मुख्यमंत्री राहत कोष में नकद राशि जमा करा सकते हैं.