हाजीपुर : पुलिस द्वारा बाइक चोरों को पकड़ने के दावे के बीच बाइक चोरी की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. सोमवार को जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों से पांच बाइकों की चोरी की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. तिसिऔता थाना क्षेत्र के महथी धर्मचंद गांव निवासी ब्रज मोहन सिंह के पुत्र राकेश […]
हाजीपुर : पुलिस द्वारा बाइक चोरों को पकड़ने के दावे के बीच बाइक चोरी की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. सोमवार को जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों से पांच बाइकों की चोरी की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. तिसिऔता थाना क्षेत्र के महथी धर्मचंद गांव निवासी ब्रज मोहन सिंह के पुत्र राकेश कुमार की बाइक की चोरी शहर के शिवा नर्सिंग होम के निकट से तब हो गयी, जब वे अपने एक संबंधी से वहां मिलने गये. सारण जिले के डेरनी थाना क्षेत्र के खानपुर गांव निवासी शिव कुमार दुबे के पुत्र नीरज कुमार दुबे की बाइक सिनेमा रोड में स्थित सेंट्रल बैंक के निकट से तब चोरी हो गयी,
जब वे वहां पैसा जमा करने गये. तिसिऔता थाना क्षेत्र के शाहपुर गांव निवासी भगवान प्रसाद जायसवाल के पुत्र पंकज कुमार की बाइक शहर के सुभाष चौक स्थित एक नर्सिंग होम के निकट से तब चोरी हो गयी जब वे अपनी पत्नी को दिखाने नर्सिंग होम गये. बाइक खड़ी का डॉक्टर से दिखाने के बाद जब वे वापस आये, तो बाइक नदारद थी. वहीं सराय थाना क्षेत्र के सैदपुर पटेढ़ा गांव निवासी शंकर सिंह के पुत्र नवल किशोर सिंह की बाइक भगवानपुर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के शाखा के निकट से तब चुरा ली गयी, जब वे वहां बैंक में पैसा जमा करने गये. गोरौल थाना क्षेत्र के महम्मदपुर हरि गांव निवासी गणेश सिंह के पुत्र राम सिंगार सिंह की बाइक उनके दरवाजे से चोरी हो गयी. इन सभी मामलों में पुलिस ने बयान के आधार पर अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की है.
प्रत्येक दिन औसत पांच बाइकों की चोरी : वैशाली जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में औसत प्रत्येक दिन पांच बाइकों की चोरी हो रही है. चोरी की घटनाओं के बाद पुलिस अज्ञात चोर के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है. इसके अलावा भुक्त भोगियों ने बताया कि बाइक चोरी की प्राथमिकी दर्ज करने के लिए बाइक मालिकों से चंद तरह के सवाल कर पुलिस उन्हें परेशान करती है.
बरामद नहीं होती बाइक : पुलिस अज्ञात के विरुद्ध न केवल प्राथमिकी दर्ज करती है बल्कि घटना को सत्य और सूत्रहीन बताते हुए अंतिम प्रपत्र दाखिल कर देती है. लेकिन शायद ही किसी बाइक को पुलिस ने बरामद कर बाइक मालिक को सौंपा हो. पुलिस की इस कार्यशैली से लोग यह मानते हैं कि प्राथमिकी बाइक मिलने के लिए नहीं बल्कि अपनी सुरक्षा के दृष्टिकोण से दर्ज कराते हैं.
समय-समय पर पकड़े गये हैं बाइक चोर : ऐसा नहीं है कि जिला प्रशासन बाइक चोरों को पकड़ने के लिए प्रयास नहीं करता. समय-समय पर बाइक चोरों को पकड़ कर जेल भेजता रहा है, लेकिन बाइक चोरी की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं, जो आम लोगों के साथ ही प्रशासन के लिए भी सरदर्द बना हुआ है.