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गंडक नदी का जल स्तर बढ़ा

लालगंज सदर : लालगंज प्रखंड क्षेत्र में गंडक नदी उफान पर है. गंडक नदी के सैलाब को रोकने में चूहों से भी जंग हो रही है. तिरहुत तटबंध पर अतिक्रमण, चूहे, छुछुंदर, खिखिरो एवं साही जैसे बिल बनाने वाले यह जानवर तटबंध पर भारी तादाद में हैं. इस कारण तिरहुत तटबंध की सुरक्षा खतरे में […]

लालगंज सदर : लालगंज प्रखंड क्षेत्र में गंडक नदी उफान पर है. गंडक नदी के सैलाब को रोकने में चूहों से भी जंग हो रही है. तिरहुत तटबंध पर अतिक्रमण, चूहे, छुछुंदर, खिखिरो एवं साही जैसे बिल बनाने वाले यह जानवर तटबंध पर भारी तादाद में हैं. इस कारण तिरहुत तटबंध की सुरक्षा खतरे में है.
जमीन मे बिल बनाने वाले यह जानवर अच्छे से अच्छे तरीके से बनाये गये तटबंध को छेद कर सकते है. मजबूत से मजबूत तटबंधों की भी सुरक्षा चूहों, छछून्दरों, खिखिरो, अंधेरी रात और लापरवाह सुपरवाइजर की मेहरबानी पर ही निर्भर करती है. अगर कहीं तटबंध टूट जाये, तो इसकी जिम्मेवारी इन निरीह जानवरों या सुपरवाइजर पर डाली जा सकती है.
विभाग का काम चल रहा सुस्त : तिरहुत तटबंध कि सुरक्षा कार्य को लेकर प्रशासन बिल्कुल सुस्त है तिरहुत तटबंध पर काफी अतिक्रमण है. हाल ही में यह बात सामने आयी कि तटबंध पर कई विस्थापित परिवार अपने माल मवेशी लेकर रह रहे हैं.
जलावन एवं मक्के का ठठेर रखे होने के कारण तटबंध चूहों का घर बन गया है, जो सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक है. चूहों द्वारा तिरहुत तटबंध के आर पार तो बिल नहीं बनाये जाते हैं, लेकिन पानी का फैलाव होने से नदी के बहाव की दिशा में बने बिल से पानी का रिसाव तटबंध के भीतर होने से इसके कटने की आशंका कई गुणा बढ़ जाती है. तटबंध सुरक्षा के लिए चूहों की बढ़ती संख्या एवं अतिक्रमण निरोधात्मक कार्य के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.
बरसात के पहले नहीं दिया गया ध्यान : विभागीय स्तर से पर बरसात पूर्व में ही तटबंध में चूहे, छुछुंदर, खिखिरो एवं साही के कारण बने बिल एवं गड्ढों को बालू एवं मिट्टी भर कर बंद करवाना चाहिए था. साथ ही विभाग को तटबंध पर नजर रखने के लिए चौकीदार की नियुक्ति करनी चाहिए थी, लेकिन बरसात पूर्व इस दिशा में किसी प्रकार का कोई पुख्ता उपाय नहीं किया गया.
स्थानीय लोगों का कहना है यह चूहे, छुछुंदर, खिखिरो एवं साही के सूराख नहीं है बल्कि सरकार की लापरवाही है. स्थानीय लोगो का कहना है अगर सरकार को बाढ़ से सुरक्षा करना है, तो तिरहुत तटबंध पर काम पूरे साल चलना चाहिए या बाढ़ आने के कम-से-कम छह महीने पहले से शुरू होना चाहिये, मगर इसमें इस विभाग की रुचि नहीं है.
समय के पहले होना चाहिए काम : लोगों का कहना है कि जब बसंता जहानाबाद, महादेव घाट, बलहा घाटों पर तटबंध कमजोर पड़ता है. उसके बावजूद जब वर्षों से उन जगह की मरम्मती हो रही है, तो फिर यहीं घाटों के तटबंध कमजोर कैसे हो जाता है.
हर वर्ष बरसात के समय गंडक नदी के उफान के कारण कटाव और बाढ़ से प्रखंड की अधिकांश क्षेत्र प्रभावित होती है. विभागीय लापरवाही एवं उदासीनता के कारण कटाव निरोधी एवं तटबंध सुरक्षा का काम समय पूर्व पूरा नहीं होने के कारण स्थानीय लोग काफी चिंतित हैं.

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