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फूड प्रॉसेसिंग से संवरेगी किस्मत

अनदेखी. उद्यान के क्षेत्र में धनी होने के बावजूद जिले में किसान बदहाल नेताओं व मंत्रियों से समय-समय पर सिर्फ मिला आश्वासन हाजीपुर : कृषि आधारित उद्योगों की अपार संभावनाओं के बावजूद वैशाली जिला औद्योगिक पिछड़ेपन का दंश झेल रहा है. जिले में फूड प्रॉसेसिंग यूनिटों की स्थापना कर यहां के लोगों की तकदीर संवारी […]

अनदेखी. उद्यान के क्षेत्र में धनी होने के बावजूद जिले में किसान बदहाल

नेताओं व मंत्रियों से समय-समय पर सिर्फ मिला आश्वासन
हाजीपुर : कृषि आधारित उद्योगों की अपार संभावनाओं के बावजूद वैशाली जिला औद्योगिक पिछड़ेपन का दंश झेल रहा है. जिले में फूड प्रॉसेसिंग यूनिटों की स्थापना कर यहां के लोगों की तकदीर संवारी जा सकती है, लेकिन राजनीतिज्ञों की अनदेखी और सरकार की उपेक्षा ने सारी संभावनाओं पर पानी फेर दिया है. नेताओं और मंत्रियों से समय-समय पर आश्वासन जरूर मिला, लेकिन हुआ अभी तक कुछ नहीं. उद्यान के क्षेत्र में धनी होने के बावजूद इस जिले में किसान बदहाल हैं और नौजवान बेरोजगार.
वर्षों से बंद है फल-सब्जी परिरक्षण संयंत्र इकाई :
हाजीपुर औद्योगिक क्षेत्र में लगभग तीन दशक पहले बिहार फल सब्जी विकास निगम की फल सब्जी परिरक्षण संयंत्र इकाई की स्थापना हुई थी. संयंत्र इकाई के चालू होने से समृद्धि के द्वार भी खुले थे. इस औद्योगिक इकाई के शुरू होने के बाद जिले में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती शुरू हो गयी थी. लगभग 10 हजार किसान परिवार टमाटर की फसल उगा कर अपनी किस्मत संवारने लगे थे. फल सब्जी परिरक्षण संयंत्र इकाई द्वारा जूस, जेली आदि का उत्पादन करने के लिए बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती की जाने लगी. किसानों को उनके उत्पाद की अच्छी कीमत मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होने लगी थी. दुर्भाग्य से यह इकाई कुछ ही वर्षों के बाद बंद हो गयी. जिले के लोगों को आज भी इसके फिर से चालू होने का इंतजार है.
किस-किस क्षेत्र में प्रॉसेसिंग की संभावना : आम, लीची, केला अमरूद, आलू, टमाटर, गोभी, भिंडी कद्दू, बैंगन,धान, गेहूं, मक्का, अरहर मूंग, उड़द,सरसों.
राजनीतिज्ञों की अनदेखी व सरकार की उपेक्षा ने संभावनाओं पर फेरा पानी
फल-सब्जी आधारित उद्योग बदल सकते हैं सूरत
कृषि पर आधारित वैशाली जिला उद्यान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. आम, लीची, केला, अमरूद आदि के उद्यानों से आच्छादित है यह जिला. यहां केले और लीची बहुतायत में उपजाये जाते हैं और काफी मात्रा में बाहर भी भेजे जाते हैं. सब्जियों में यहां आलू, टमाटर, गोभी, भिंडी, कद्दू, बैगन आदि की अच्छी-खासी उपज होती है. यहां की उपजाऊ भूमि पर धान, गेहूं, मक्का और तंबाकू के अलावा दलहन फसलों में अरहर,
मूंग, उड़द तथा तेलहन फसलों में मुख्यत: सरसों की खेती होती है. जानकारों का कहना है कि जिले में आम, लीची, केला, टमाटर, आलू, मक्का आदि से संबंधित उत्पादन इकाइयों की स्थापना हो, तो यह जिला खुशहाली और तरक्की की नयी ऊंचाई छू सकता है. लोगों का कहना है कि इस दिशा में न तो क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने कोई गंभीर प्रयास किया और न ही किसी सरकार की नजर ही इनायत हुई.
बातें हुईं, लेकिन काम नहीं हुआ
लगभग तीन साल पहले जिले के राजापाकर प्रखंड के दयालपुर में एक निजी फूड प्रॉसेसिंग प्लांट सुमन एग्रो वॉल्यूशन के प्री कूल इकाई का उद्घाटन करने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आये थे. उन्होंने यहां कृषि आधारित उद्योगों की संभावनाओं पर प्रकाश डाला था. इस तरह के उद्योगों की आवश्यकता बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि इन उद्योगों में ही लोगों को रोजगार मिलेगा. इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी, उत्पाद का उचित मूल्य
मिलेगा और बाजार व्यवस्था भी सुदृढ़ होगी. जिलावासियों का कहना है कि उपमुख्यमंत्री सहित राज्य सरकार के तीन मंत्री इस जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं. केंद्र सरकार में भी यहां के दो मंत्री हैं. यदि ये लोग चाहें, तो सरकारी स्तर पर कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना की पहल हो सकती है.

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