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एक शिक्षक के सहारे 2178 छात्र

विडंबना. कॉमर्स के छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में, हाल जमुनीलाल महाविद्यालय का कॉमर्स के लिए नगर में स्थित एक मात्र कॉलेज में 2178 छात्र-छात्राओं का भविष्य मात्र एक शिक्षक के सहारे है. शिक्षक भी ऐसे जो वर्ग संचालन को लेकर उदासीन रहते हैं जिसके कारण कॉमर्स शिक्षण की व्यवस्था ठप है. जमुनीलाल कॉलेज में उच्च […]

विडंबना. कॉमर्स के छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में, हाल जमुनीलाल महाविद्यालय का

कॉमर्स के लिए नगर में स्थित एक मात्र कॉलेज में 2178 छात्र-छात्राओं का भविष्य मात्र एक शिक्षक के सहारे है. शिक्षक भी ऐसे जो वर्ग संचालन को लेकर उदासीन रहते हैं जिसके कारण कॉमर्स शिक्षण की व्यवस्था ठप है. जमुनीलाल कॉलेज में उच्च शिक्षा की स्थिति चिंताजनक है.
हाजीपुर : जमुनीलाल कॉलेज में उच्च शिक्षा की स्थिति चिंताजनक है. कॉमर्स के लिए नगर में स्थित एक मात्र कॉलेज में 2178 छात्र-छात्राओं का भविष्य मात्र एक शिक्षक के सहारे है. इस कारण कॉमर्स शिक्षण की व्यवस्था ठप है. हालांकि कॉलेज में कला और विज्ञान संकाय में भी शिक्षण की व्यवस्था है. इन संकायों में भी शिक्षकों की कमी है, जो शिक्षक हैं, समय नहीं दे रहे हैं. प्राचार्य के प्रयास के बावजूद छात्र-छात्राओं की शिक्षण व्यवस्था समस्या बनी हुई है.
वाणिज्य संकाय में सीटों का क्या है निर्धारण : वाणिज्य संकाय के एकाउंट में 350, इंटरपयोनर्शिप में 188 एवं कमर्शियल मैनेजमेंट में 188 सीटें कुल 726 सीटें निर्धारित हैं. त्रिवर्षीय स्नातक पाठ्य क्रम के अंतर्गत अगर तीन खंडों की संख्या जोड़ दी जाये, तो यह संख्या 2178 हो जाती है. इसमें अगर इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राओं की संख्या 512 जोड़ दिया जाये, तो यह संख्या 2690 हो जाती है. ऐसे एक शिक्षक 2690 बच्चों का भविष्य कैसे संवार सकता है.
अन्य सुविधाएं भी हैं नदारद : कॉलेज में पुस्तकालय, लैब, खेलकूद आदि की व्यवस्था है लेकिन छात्र-छात्रा इन सुविधाओं से वंचित हैं. छात्र-छात्राओं का आरोप है कि पहले खेलकूद, लैब आदि का लाभ नहीं मिल रहा है. संसाधनों का अभाव रहता है. साथ ही यह भी कहते की प्राचार्य इसके लिए प्रयास तो करते हैं, लेकिन वे भी विवश हैं. विश्वविद्यालय का इस ओर ध्यान नहीं नहीं. सत्र वैसे ही काफी पीछे चल रहा है. पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं हो पता है. कॉलेज की गरिमा धूमिल हो रही है.
क्या कहते हैं प्राचार्य :
शिक्षकों की कमी तो है, विशेषकर कॉमर्स संकाय में. इसके लिए विश्विद्यालय को लिखा गया है. हम भी विवश हैं. यह व्यवस्था तो विश्वविद्यालय को करनी है. बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए बाहर के शिक्षकों को बुलवाया जाता है ताकि पाठ्यक्रम पूरी कराया जा सके. नियमित वर्ग संचालन के साथ कॉलेज द्वारा प्रदत्त सुविधाओं को देने का प्रयास करता हूं. कॉलेज में शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य है. बच्चों की समस्याओं को दूर करने का प्रयास करता हूं.
प्रो. डॉ तारकेश्वर पंडित, प्राचार्य
शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है कॉलेज
विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई
कॉलेज बीआरए बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई है. यह जिले का एकमात्र कॉलेज है, जहां काॅमर्स में स्नातक की व्यवस्था है. हालांकि हाल के वर्षों में एक वित्तरहित कॉलेज में भी काॅमर्स के शिक्षण की व्यवस्था की गयी है. लेकिन ये नाकाफी है. एक दशक पूर्व तक कॉलेज की स्थिति ठीक थी नियमित वर्ग संचालित होते थे. वर्तमान में सब ध्वस्त हो चुके हैं. इंटर के रिजल्ट आनेवाले है. ऐसे में कॉमर्स की पढ़ाई करने वाले छात्रों को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
इंटर का नहीं होता वर्ग संचालन :
इंटर के कला, वाणिज्य एवं कला संकाय की व्यवस्था तो कॉलेज में है, लेकिन इन संकायों का वर्ग संचालन नहीं के बराबर होता है. कभी हुआ, तो वर्ग का संचालन कर दिया गया, नहीं तो ठप रहता ही है. छात्र-छात्राओं का कहना है वर्ग संचालन को लेकर शिक्षक उदासीन रहते हैं जबकि कॉलेज प्रशासन का दावा है कि नियमित वर्ग संचालित होता है. स्थिति यह है कि लगभग सात हजार बच्चों के लिए मात्र 32 शिक्षक हैं.

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