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कुव्यवस्था. लगभग 80 गांवों को आर्सेनिक मुक्त पानी पहुंचाया जाना था

36 जलापूर्ति केंद्रों में से 18 ठप, हाहाकार पीएचइडी द्वारा संचालित आधे जलापूर्ति केंद्र पड़े हैं ठप वर्ष 2011 के अंत तक पूरी होने वाली योजना अभी तक शुरू नहीं विभाग ने लाखों लोगों की परेशानी से मुंह मोड़ा जल स्तर गिरने का खामियाजा सबसे ज्यादा इन्हें ही भुगतना पड़ रहा है. जिले के विभिन्न […]

36 जलापूर्ति केंद्रों में से 18 ठप, हाहाकार

पीएचइडी द्वारा संचालित आधे जलापूर्ति केंद्र पड़े हैं ठप
वर्ष 2011 के अंत तक पूरी होने वाली योजना अभी तक शुरू नहीं
विभाग ने लाखों लोगों की परेशानी से मुंह मोड़ा
जल स्तर गिरने का खामियाजा सबसे ज्यादा इन्हें ही भुगतना पड़ रहा है. जिले के विभिन्न हिस्सों में अभी से पानी के लिए हाहाकार मचने लगा है. जिले में पीएचइडी द्वारा संचालित 36 जलापूर्ति केंद्रों में से 18 केंद्र ठप पड़े हैं. लाखों लोगों को अपने इर्द-गिर्द के जलापूर्ति केंद्रों से पानी निकलने का कई-कई सालों से इंतजार है.
हाजीपुर : जनजीवन में जल की जरूरत के प्रति लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग संवेदनशील होता, तो जिले के आधे जलापूर्ति केंद्र बंद नहीं पड़े होते. जिले में पीएचइडी द्वारा संचालित 36 जलापूर्ति केंद्रों में से 18 केंद्र ठप पड़े हैं. गरमी का परवान चढ़ना अभी बाकी है, लेकिन चैत के महीने में ही गंगा और गंडक की गोद में बसी लाखों की आबादी का हाल जाकर देखिये, जो पानी के अभाव में किस कदर बेहाल है. भूगर्भ जल स्तर के सूखने का खामियाजा सबसे ज्यादा इन्हें ही भुगतना पड़ रहा है. जिले के विभिन्न हिस्सों में अभी से पानी के लिए हाहाकार मचने लगा है.
जलापूर्ति केंद्रों से नहीं निकल रहा पानी : जिले के लाखों लोगों को अपने इर्द-गिर्द के जलापूर्ति केंद्रों से पानी निकलने का कई वर्षों से इंतजार है.
जिले में बंद पड़े जलापूर्ति केंद्रों में वैशाली का बुद्धिष्ट सेक्टर-2, भगवानपुर रत्ती, सदर प्रखंड के धरहरा, दयालपुर, सहदेई, राजापाकर, महनार प्रखंड के बासुदेवपुर चंदेल, नयागांव, चमरहरा, नारायणुपर डेढ़पुरा, जंदाहा प्रखंड के धंधुआ, सिंघाड़ा, बिदुपुर बाजार, सहथा आदि के जलापूर्ति केंद्र शामिल हैं.
गंगा तटीय इलाके के जलापूर्ति केंद्रों से विभाग ने पल्ला झाड़ा :
गंगा तटीय इलाके के जलापूर्ति केंद्रों से विभाग ने वर्षों पहले यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि इन क्षेत्रों में अब बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना से ही पानी उपलब्ध कराया जायेगा. बहुग्रामीण जालपूर्ति योजना, जिसके माध्यम से लगभग 80 गांवों को आर्सेनिक मुक्त पानी पहुंचाया जाना है. यह योजना 2011 के अंत तक पूरी हो जानी थी, लेकिन अभी तक शुरू भी नहीं हो पायी है. इस बारे में पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता का कहना है कि कार्य एजेंसी द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक इस साल के अंत तक योजना का काम पूरा हो जायेगा.
विभाग ने जलापूर्ति योजनाओं को अपने हाल पर छोड़ा : पानी की किल्लत झेल रहे लाखों लोगों की परेशानी से पीएचइडी ने मुंह मोड़ लिया है. बंद पड़े जलापूर्ति केंद्रों को चालू कराने के बजाये, कोई न कोई कारण बता कर उन्हें अपने हाल पर विभाग ने छोड़ दिया है.
विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक बासुदेवपुर चंदेल जलापूर्ति केंद्र का स्थल विवादित है और भू स्वामी ने उस पर ताला लगा रखा है. इसलिए जलापूर्ति केंद्र के बंद होने का कारण लो-वोल्टेज की समस्या बतायी गई है.
क्षतिग्रस्त बता कर चालू होने की उम्मीद पर पानी फेरा : जंदाहा प्रखंड के धंधुआ और महनार प्रखंडों की चमरहरा जलापूर्ति योजना को पूर्णत: क्षतिग्रस्त बता कर इनके चालू होने की उम्मीद पर पानी फेर दिया गया है.
हालांकि विभाग ने बंद पड़े जलापूर्ति केंद्रों में से कुछ के शुरू कराने की बात भी कही है. कार्यपालक अभियंता द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक वैशाली के बुद्धिष्ट सेक्टर-2, भगवानपुर रत्ती और सदर प्रखंड के धरहरा स्थित जलापूर्ति केंद्रों पर पुनर्गठन कार्य चल रहा है. सहथा एवं बिदुपुर बाजारों के जलापूर्ति केंद्रों का प्राक्कलन विभाग को समर्पित किया जा चुका है.
हाजीपुर से भगवानपुर तक बंद है जलापूर्ति : हाजीपुर के दिग्घी स्थित जलापूर्ति केंद्र सराय और भगवानपुर के केंद्र से भी पिछले चार-पांच सालों से पानी की सप्लाई नहीं हो रही. हाजीपुर-मुजफ्फरपुर, एनएच 77 के चौड़ीकरण कार्य में इन केंद्रों की जलापूर्ति पाइपें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. फोरलेन का निर्माण करने वाली कंपनी की गलतियों का खामियाजा इन इलाकों के लोगों को भुगतना पड़ रहा है. इन जलापूर्ति केंद्रों को चालू कराये जाने को लेकर विभाग का कहना है कि इन केंद्रों को चालू कराने की जवाबदेही सड़क निर्माण कंपनी को दी गयी है.

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