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चैत में ही सूख रहे चापकल, हाहाकार
भूमिगत जल स्तर के खिसकने से चापाकलों का हाल बुरा है. जिले में हजारों की संख्या में बंद और बेकार पड़े चापाकलों ने पहले से ही जल संकट का नजारा पेश कर रखा है, जो चापाकल चल रहे थे, अब उनके भी हलक सूखने लगे हैं तो लोगों की प्यास भला कैसे बुझायेंगे. इधर जैसे-जैसे […]
भूमिगत जल स्तर के खिसकने से चापाकलों का हाल बुरा है. जिले में हजारों की संख्या में बंद और बेकार पड़े चापाकलों ने पहले से ही जल संकट का नजारा पेश कर रखा है, जो चापाकल चल रहे थे, अब उनके भी हलक सूखने लगे हैं तो लोगों की प्यास भला कैसे बुझायेंगे.
इधर जैसे-जैसे गरमी का तेवर चढ़ रहा है, लोगों की तड़प बढ़ रही है और इसी के साथ बढ़ रही है उनकी तल्खी भी. पीने के पानी का इंतजाम हो सके,इसके लिए अभावग्रस्त इलाकों में नये चापाकल लगाने की बात कौन कहे, खराब पड़े चापाकलों को चालू कराने में भी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग का कोई प्रयास नहीं दिख रहा.
हाजीपुर : मई और जून के महीने में जिले के लोगों को पीने का पानी कैसे मयस्सर होगा, यह कहना मुश्किल है. शहर से लेकर गांव तक अभी स्थिति यह है कि लोग चापाकल का हैंडिल चलाते-चलाते थक जा रहे है, लेकिन बाल्टी नहीं भर रही. भूमिगत जल स्तर के खिसकने से चापाकलों का हाल बुरा है.
जिले में हजारों की संख्या में बंद और बेकार पड़े चापाकलों ने पहले से ही जल संकट का नजारा पेश कर रखा है. जो चापाकल चल रहे थे, अब उनके भी हलक सूखने लगे हैं तो लोगों की प्यास भला कैसे बुझायेंगे. इधर जैसे-जैसे गरमी का तेवर चढ़ रहा है, लोगों की तड़प बढ़ रही है और इसके साथ बढ़ रही है उनकी तल्खी भी. पीने के पानी का इंतजाम हो सके,इसके लिए अभावग्रस्त इलाकों में नयें चापाकल लगाने की बात कौन कहे, खराब पड़े चापाकलों को चालू कराने में भी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग का कोई प्रयास नहीं दिख रहा
जिले में बंद पड़े हैं लगभग 500 चापाकल : जलापूर्ति योजना के लाभ से वंचित जिले के नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की लगभग 70 फीसदी आबादी को पेयलज की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में जोर-शोर से चापाकल लगाने का काम हुआ. मुख्यमंत्री चापाकल योजना से लेकर विभिन्न योजनाओं के तहत जिले में हजारों चापाकल लगाये गये.गुणवत्ता के साथ ऐसा खिलवाड़ हुआ कि यह चापाकल साल दो साल भी नहीं चल पाये. जिले के विभिन्न प्रखंडों में बेकार और बंद पड़े चापाकल की संख्या लगभग पांच हजार हैं. हालांकि पीएचइडी द्वारा जिले में 3858 चापाकल को बंद होनें की बात कही गयी है. दूसरी ओर लोगों का कहना है कि सरकारी स्तर पर जो भी चापाकल लगाये गये, उनमें कुछ इंडिया मार्का चापाकल को छोड़ कर बाकी सब ठप हो चुके हैं.
इन प्रखंडों में हैं इतने चापाकल बंद : पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता द्वारा दी गयी जाकारी के मुताबिक जिले के राघोपुर प्रखंड में 694, बिदुपुर प्रखंड में 616, सदर प्रखंड 496, लालगंज में 264, भगवानपुर में 68, गोरौल में 142, चेहराकला में 74, वैशाली में 254, पटेढी बेलसर में 217, महुआ में 187, राजपाकर में 110, पातेपुर में 251, जंदाहा में 167, महनार में 123, सहदेई में 63 और देसरी प्रखंड में 132 चापाकल बेकार पड़े हैं.
कम से कम इन चापाकलों को भी चालू करा दिया जाता तो बड़ी संख्या में लोगों को पानी के संकट से राहत मिल सकती थी. पीएचइडी इन चापाकलों को दुरुस्त कराने की बात तो कहता है, लेकिन वह किस बूते इस काम को अंजाम देगा, इसकी सूरत सामने नहीं दिख रही. विभाग के पास मैनपावर की कमी का आलम यह है कि वर्षो से कई -कई जलापूर्ति केन्द्रों के मेंटेनेंस कार्य भी ठप हैं. चापाकल बनाने के काम में इंडिया मार्का चापाकल के लिए एक मिस्त्री और दो खलासी ,जबकि सामान्य चापाकल के एक मिस्त्री और एक खलासी की आवश्यकता है. इधर पारा चढ़ने और भूजल स्तर के नीचे खिसकने से चापाकलों के जवाब दे जाने का सिलसिला जारी है.
क्या कहते हैं अधिकारी
बंद पड़े चापाकलों को दुरुस्त कराने के लिए दैनिक मजदूरी पर प्राइवेट मिस्त्रियों ओर खलासियों से काम लिया जाएगा. स्पेयर पार्टस आदि की आवश्यकता पूर्ति के लिए विभाग के मुख्य अभियंता को पत्र लिखा गया है पानी की समस्या के महेनजर विभाग से जिले के लिए कम से कम 300 नयें चापाकलों की मांग की गयी है.
इ राम चन्द्र प्रसाद, कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी.
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