वर्ष 2009 में शुरू हुई इस कार्य को 2011 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था
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कहां से मिलेगा शुद्ध पेयजल, जब आधा जलापूर्ति केंद्र हैं बंद !
वर्ष 2009 में शुरू हुई इस कार्य को 2011 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था योजना की कार्य प्रगति बता रही है कि अगले दो वर्षों में भी काम पूरा हो जाये, तो गनीमत जिले में जलापूर्ति केंद्रों के ठप पड़े रहने के कारण लाखों की आबादी शुरू पेयजल को तरस […]
योजना की कार्य प्रगति बता रही है कि अगले दो वर्षों में भी काम पूरा हो जाये, तो गनीमत
जिले में जलापूर्ति केंद्रों के ठप पड़े रहने के कारण लाखों की आबादी शुरू पेयजल को तरस रही है. ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत जो 36 जलापूर्ति केंद्र बनाये गये उनमें से 18 केंद्र बंद पड़े हैं. बड़ी संख्या में लोग आर्सेनिकयुक्त पानी पीने को बाध्य है. वर्षों से बंद पड़े जलापूर्ति केंद्रों में वैशाली स्थित बुद्धिस्ट सेक्टर 2 के अलावा निर्मल प्रखंड देसरी और आदर्श प्रखंड सहदेई बुजुर्ग के जलापूर्ति केंद्र भी शामिल हैं.
हाजीपुर : कैसे बुझे लोगों की प्यास, जब जलापूर्ति केंद्र ही ठप पड़े हो. जिले की आधी से अधिक आबादी आज भी शुद्ध पेजयल को तरस रही है. आधे जलापूर्ति केंद्रों के बंद पड़े होने के कारण लाखों लोग पीने के पानी की समस्या झेल रहे हैं. जिले के विभिन्न प्रखंडों में ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत जो 36 जलापूर्ति केंद्र स्थापित किये गये थे, उनमें से 18 केंद्र ठप पड़े हैं. शुद्ध पेजयल के अभाव में बड़ी संख्या में लोग आर्सेनिकयुक्त पानी पीने को बाध्य है. वर्षों से बंद पड़े जलापूर्ति केंद्रों में वैशाली स्थित बुद्धिस्ट सेक्टर-2 के अलावे निर्मल प्रखंड देसरी ओर आदर्श प्रखंड सहदेई बुजुर्ग के जलापूर्ति केंद्र भी शामिल हैं.
इन जगहों पर ठप पड़े हैं जलापूर्ति केंद्र : जिले में बंद पड़ी जलापूर्ति योजनाओं में वैशाली प्रखंड के भगवानपुर रत्ती, बुद्धिस्ट सेक्टर-2, देसरी, सहदेई, सदर प्रखंड के धरहरा, दयालपुर, महुआ, राजापाकर, महनार प्रखंड के बासुदेवपुर चंदेल, नयागांव, चमरहरा, नारायणपुर डेढ़पुरा, जंदाहा प्रखंड के धंधुआ, सिंधारा, बिदुपुर बाजार, सहथा आदि स्थानों के जलापूर्ति केंद्र शामिल हैं. गरमी के मौसम में इन क्षेत्रों में पेयजल संकट का अंदाजा लगाया जा सकता है.
अब तक चालू नहीं हुई बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना : जिले के चार प्रखंडों हाजीपुर, बिदुपुर, देसरी एवं सहदेई बुजुर्ग की जनता को शुद्ध पेजयल उपलब्ध कराने के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लान की शुरुआत की गयी थी. बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत गंगा का पानी साफ कर इन चारों प्रखंडों का आर्सेनिकमुक्त पानी देने के लिए लगभग सात साल पहले यह योजना शुरू हुई. 2009 में शुरू हुई इस कार्य को 2011 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य था. योजना की कार्य प्रगति बता रही है कि अगले दो साल में भी काम पूरा हो जाये, तो गनीमत समझिए. हालांकि लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के अधिकार कहते हैं कि कार्य एजेंसी आइवीआरसीएल ने दिसंबर 2016 तक कार्य पूरा होने की जानकारी दी है.
बनने के बाद से ही बंद है युसुफपुर जलमीनार : नगर के युसुफपुर मोहल्ले में स्थापित एक लाख 50 हजार गैलन क्षमतावाली जलमीनार बनने के बाद से ही बंद है. 2011 में बन कर तैयार हुई इस पानी टंकी की टेस्टिंग के दौरान ही बोरिंग फेल कर गयी थी.
इसके चालू होने की प्रतीक्षा में पांच साल गुजर गये. जलमीनार बंद होने के चलते युसुफपुर, धनौती, पचीस कुड़वा, छोटी मड़ई, राजपूत नगर समेत दर्जन भर मोहल्ले के लोग पानी का संकट झेल रहे हैं. दुबारा बोरिंग करा कर इसे चालू करने का कोई प्रयास नहीं दिखता.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिले के देसरी एवं दयालपुर जलापूर्ति केंद्र बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना से आच्छादित है. भगवानपुर रत्ती, धरहरा एवं बुद्धिस्ट सेक्टर-2 पर पुनर्गठन कार्य चल रहा है. सहथा एवं बिदुपुर बाजार का प्राक्कलन विभाग को भेजा गया है. नयागांव एवं प्रतापटांड के जलापूर्ति केंद्र लो वोल्टेज के कारण बंद है. चमरहरा एवं धंधुआ के केंद्र पूरे तौर पर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. अन्य जलापूर्ति केंद्रों को चालू कराने की प्रक्रिया चल रही है.
रामचंद्र प्रसाद, कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी
कहां-कहां बंद पड़े हैं जलापूर्ति केंद्र
सहदेई बुजुर्ग, महुआ, राजापाकर, भगवानपुर, बासदेवपुर चंदेल, नयागांव, चमरहरा, नारायणपुर पटेढ़पुरा, धंधुआ, सिंधारा, भगवापुरत्ती, वैशाली , बुद्धिस्ट सेक्टर, धरहारा, दयालपुर, बिदुपुर बाजार व सहथा.
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