सदर : अस्पताल के नेत्र शल्य कक्ष की दीवार पर यह साइन बोर्ड टंगा है. यह सूचना पढ़ कर यदि कोई मोतियाबिंद का मरीज किसी मंगलवार को यहां ऑपरेशन कराने पहुंच जाये, तो उसे सिर धुन कर उल्टे पांव लौटने के सिवा कोई उपाय नहीं. पूरा साल बीत रहा है. ऐसा एक मंगलवार भी नहीं आया,
जब सदर अस्पताल की आइ ओटी का दरवाजा खुला हो और किसी मरीज का ऑपरेशन हुआ हो. सदर अस्पताल के इस बेहद लापरवाह रवैये के कारण जिले में अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम पर ग्रहण लग गया है. जिले में इस वित्तीय वर्ष में स्वास्थ्य विभाग ने 11 हजार मोतियाबिंद के ऑपरेशन का लक्ष्य निर्धारित किया था. इनमें प्राइवेट क्लिनिकों एवं एनजीओ द्वारा अभी तक लगभग साढ़े हजार ऑपरेशन किये जा सके हैं. इसमें सदर अस्पताल की उपलब्धि शून्य है.