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नलकूप बंद, किसानों की बढ़ी चिंता

सूखे की मार झेल रहे किसानों के सामने अब रबी फसल की बोआई और उसकी सिंचाई की चिंता सताने लगी है. किसानों को इस बात को लेकर भी चिंता है कि जिले के अनेक हिस्से में लगाये गये सरकारी सिंचाई के साधन राजकीय नलकूप बंद पड़े हैं. डीजल और पंप सेटों की महंगाई ने किसानों […]

सूखे की मार झेल रहे किसानों के सामने अब रबी फसल की बोआई और उसकी सिंचाई की चिंता सताने लगी है. किसानों को इस बात को लेकर भी चिंता है कि जिले के अनेक हिस्से में लगाये गये सरकारी सिंचाई के साधन राजकीय नलकूप बंद पड़े हैं. डीजल और पंप सेटों की महंगाई ने किसानों की परेशानी बढ़ा दिया है.

खाद-बीज की कीमतों में वृद्धि से किसान तबाह हो रहे हैं. विधानसभा चुनाव के कारण सुखाड़ को लेकर केंद्र या राज्य की सरकारों ने भी कोई ठोस पहल नहीं की. वहीं दूसरी ओर सरकारी तंत्र की बेरुखी के कारण किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंच रहा है. यही स्थिति जिले के अन्य राजकीय नलकूपों की है.

राजापाकर : प्रखंड क्षेत्र के मीरपुर पताड़ पंचायत भवन के निकट स्थित स्टेट बोरिंग वर्षों से खराब पड़ा है. बंद पड़े इस राजकीय नलकूप को चालू कराने के लिए स्थानीय किसानों ने अनेक बार विभागीय अधिकारियों को आवेदन दिया है, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण यह आज तक चालू नहीं हो सका. एक ओर मौसम ने किसानों को धोखा दिया है.

वहीं दूसरी ओर सरकारी तंत्र की बेरुखी के कारण किसानों की खेतों में पानी नहीं पहुंच रही है. यही स्थिति प्रखंड क्षेत्र के अन्य राजकीय नलकूपों की है. विभागीय लापरवाही के कारण यह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है. स्थानीय किसानों के लगातार प्रयास के बाद मीरपुर पताड़ के स्टेट बोरिंग में बिजली का ट्रांसफॉर्मर तो लगा दिया गया, लेकिन इसका कनेक्शन पंप हाउस के साथ नहीं किया गया. नतीजतन ट्रांसफॉर्मर और बोरिंग दोनों बेकार पड़े हैं.

मालूम हो कि यहां का ऐतिहासिक रानी पोखर तालाब भी सूख चला है. इसमें पानी रहने से किसानों को सिंचाई के साथ-साथ पशु-पक्षियों को पीने का पानी मिल जाता था. सिंचाई के लिए लोगों को डीजल पंप सेटों का ही सहारा रह गया है. वह भी महंगे होने के कारण किसानों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है.

क्या कहते हैं स्थानीय लोग

स्टेट बोरिंग की ओर सरकार का ध्यान नहीं जा रहा है. सरकार की यह योजना बिल्कुल ही नकारा साबित हो रही है. किसानों में इससे आक्रोश है. विभाग भी कुछ सुनने को तैयार नहीं है. हम लोग इसके खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं.

अभिनंदन सहनी, जिला अध्यक्ष, भाजपा मत्स्यजीवी मंच

स्टेट बोरिंग को चालू कराने के लिए पंचायत के स्तर से भी विभाग को कई बार लिखा गया है. फिर भी अधिकारी सुन नहीं रहे हैं. किसानों को रबी फसल की बोआई में पानी की समस्या हो रही है. डीजल और निजी पंप सेटों से पटवन काफी खर्चीला पड़ रहा है.

जीवस पासवान, मुखिया, मीरपुर पताड़

चुनाव के समय जब लोग वोट मांगने आ रहे थे, उस समय सभी का ध्यान इस बंद पड़े स्टेट बोरिंग पर दिलाया गया. नेताओं ने इसे चालू कराने का भरोसा तो दिलाया है, लेकिन इसे चालू करा कर किसानों को कब तक पानी दिलाया जायेगा यह कहा नहीं जा सकता.

चंद्रकला देवी, पंचायत वार्ड सदस्य

स्टेट बोरिंग के बंद रहने से ऐतिहासिक रानी पोखर तालाब को भी पानी नहीं मिल रहा है. तालाब के सूख जाने से यहां मत्स्यपालन बंद है. तालाब के मत्स्यपालन से यहां के दर्जनों परिवार की रोजी-रोटी जुड़ी है. इसके लिए कई बार डीएम के जनता दरबार में आवेदन दिया गया, लेकिन कुछ नहीं हो सका.

राजू सहनी, जिला मंत्री

भाजपा मत्स्यजीवी मंच

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