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प्रजातंत्र की आड़ में संसाधनों का दोहन

आधुनिक युग में दुनिया में लगी पूंजीवादी व्यवस्था की होड़ एवं विकास की नयी-नयी अवधारणाओं से प्रजातंत्र का मूल्य घटता जा रहा है. प्राकृतिक संपदाओं का होना समस्त मानव व समस्त जीवों के कल्याण से है, लेकिन आज प्रजातंत्र की आड़ में उन समस्त संसाधनों का दोहन हो रहा है. उक्त बातें सोमवार को समाजवादी […]

आधुनिक युग में दुनिया में लगी पूंजीवादी व्यवस्था की होड़ एवं विकास की नयी-नयी अवधारणाओं से प्रजातंत्र का मूल्य घटता जा रहा है. प्राकृतिक संपदाओं का होना समस्त मानव व समस्त जीवों के कल्याण से है, लेकिन आज प्रजातंत्र की आड़ में उन समस्त संसाधनों का दोहन हो रहा है.

उक्त बातें सोमवार को समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा ने कहीं. गांधीवादी कर्मयोगी स्व. विंदेश्वरी प्रसाद सिंह की स्मृति में नव जागरण अकादमी विशुनपुर बांदे द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जनतंत्र, पूंजीवाद एवं विकास की अवधारणा विषय गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता श्री सिन्हा ने कहा कि पूंजीवाद का विकास एवं इससे संबंधित अवधारणाओं का रिश्ता वास्तव में प्रजातंत्र से होना चाहिए.

उन्होंने क्यूबा जैसे देश का उदाहरण देते हुए कहा कि दुनिया की भौतिकवादी दौड़ से अलग, विकास की एक अलग अनूठी धारणाओं को लेकर क्यूबा की स्मिता प्रजातांत्रिक मूल्यों को अक्षुण बनाये रखने की द्योतक बनी है. प्रसिद्ध, कवि, आलोचक डॉ नंद किशोर नंदन की अध्यक्षता एवं अमरनाथ सिंह के संचालन में संचालित इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का स्वागत डॉ दुखित सिंह ने किया. कार्यक्रम को संबोधित करने वालों में डॉ राम ललित सिंह, पूर्व सांसद सीताराम सिंह, डॉ ब्रज कुमार पांडेय, डॉ शैलेंद्र राकेश, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के गोरौल प्रखंड अध्यक्ष धर्मेद्र कुमार, शशि कुमार, अविनाश राम, योगेंद्र प्रसाद सिंह समेत अन्य लोग शामिल हुए.

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