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फौजी की बेटी गांव में जगा रही शिक्षा का अलख

गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ाती है सुमन मायके में रह कर बांट रही है ज्ञान गांव के पंचायत भवन को बनाया शिक्षा का केंद्र बाकी समय में करती है मां की सेवा जंदाहा के सलहा गांव की है यह कहानी हाजीपुर : जंदाहा प्रखंड के सलहा गांव में स्थित पंचायत भवन में दर्जनों बच्चों […]

गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ाती है सुमन
मायके में रह कर बांट रही है ज्ञान
गांव के पंचायत भवन को बनाया शिक्षा का केंद्र
बाकी समय में करती है मां की सेवा
जंदाहा के सलहा गांव की है यह कहानी
हाजीपुर : जंदाहा प्रखंड के सलहा गांव में स्थित पंचायत भवन में दर्जनों बच्चों की भीड़ जुटी थी. एक महिला बच्चों के बीच बैठ कर कहकरा रटा रही थी. छोटे -छोटे नौनिहालों के हाथों कलम,कॉपी एवं किताबें थीं. नौनिहालों की इस पाठशाला में उने भविष्य की इबारत लिखी जा रही है.
आसपास बैठे लोगों में बच्चों के बीच बैठी महिला के प्रति काफी स्नेह एवं विश्वास दिखा. अपना घर -वर से दूर कर शिक्षा का अलख जगाने में लीन सुमन के प्रयास से गांव में पिछले आठ सालों में शिक्षा की दिशा में काफी सुधार हुआ है. प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद यहां के बच्चे अच्छे विद्यालय में प्रवेश कर पाते हैं. इसका पूरा श्रेय सुमन को दिया जाता है.
सुमन से बनी गुड़िया मैडम : सलहा गांव में पल बढ़ कर स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त करनेवाली सुमन को सभी लोग गुड़िया मैडम के नाम से पुकारती हैं. बच्चों के बीच अपना महत्वपूर्ण समय व्यतीत करने को संकल्पित गुड़िया मैडम आज काफी प्रसिद्ध हो चुकी हैं. काफी दूर के बच्चे भी यहां शिक्षा ग्रहण करने आते हैं. वह दुलार एवं प्यार से बच्चों को पढ़ाती हैं.
कौन हैं गुड़िया मैडम : जंदाहा प्रखंड के सलहा गांव निवासी स्वर्गीय शिव नारायण प्रसाद की पुत्री हैं सुमन कुमारी उर्फ गुड़िया मैडम. नारायण प्रसाद फौज में नौकरी करते थे. उनकी पुत्री भी अपने पिता की तरह देश एवं समाज की सेवा में जुटी है. सुमन की शादी करीब 15 वर्ष पहले दानापुर के सूर्य किशोर मंडल से हुई थी. उसके बाद इस दंपती को कुदरत ने संतान भी दी. परिवार खुशहाल है.
पिछले आठ वर्ष से सुमन इसी पंचायत भवन में बच्चों को पढ़ा रही है. साथ ही अपनी वृद्ध मां का ख्याल भी रखती है.कैसे जगी पढ़ाने की ललक : विगत 2007 में सुमन के सामने एक गरीब बालक भीख मांगने आया. सुमन ने उस बालक को कुछ देने से पहले उसके बारे में उससे पूछा. बालक की हालात जानकार सुमन की आंखें भर आयीं. वह बालक तो भिक्षा लेकर चला गया. लेकिन, उसके बाद सुमन के अंदर गरीब बच्चों के लिए कुछ करने का जज्बा जगा. धीरे – धीरे सुमन ने अपने ही मायके को चुना. वहीं के बच्चों को पढ़ाने का संकल्प लिया. हालांकि कुछ दिन सुमन के इस कार्य से उसके घर के लोग खुश नहीं दिखे.
लेकिन, जैसे -जैसे गुड़िया मैडम बनती गयी, वैसे ही सभी की नाराजगी प्यार में बदलता गया. आज सुमन अपने पुत्र,पति एवं मां के साथ -साथ दर्जनों बच्चों का भी ख्याल रखती है.
क्या कहती हैं गुड़िया मैडम
सकारात्मक कार्य शुरू करने में बड़ी परेशानी ङोलनी पड़ती है. समाज में शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने का लक्ष्य है. इसी दिशा में यह काम कर रही हूं. हर किसी से सहयोग की अपेक्षा रखती हूं. इन बच्चों के बीच शिक्षा की रोशनी फैलाने से काफी खुशी मिलती है.
सुमन कुमारी, शिक्षा दात्री

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