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बंदोबस्ती में घालमेल अनदेखी. जिला परिषद को लाखों का घाटा

वर्ष 2017-18 के लिये की गयी सैरात बंदोबस्ती में जिला परिषद को लाखों के राजस्व का घाटा हुआ है. हालांकि अधिकारी घाटे की बात से इनकार कर रहे हैं . सुपौल : सैरात की बंदोबस्ती में सामान्य तौर पर सरकार को हर साल राजस्व का लाभ होता है. लेकिन वर्ष 2017-18 के लिये की गयी […]

वर्ष 2017-18 के लिये की गयी सैरात बंदोबस्ती में जिला परिषद को लाखों के राजस्व का घाटा हुआ है. हालांकि अधिकारी घाटे की बात से इनकार कर रहे हैं .

सुपौल : सैरात की बंदोबस्ती में सामान्य तौर पर सरकार को हर साल राजस्व का लाभ होता है. लेकिन वर्ष 2017-18 के लिये की गयी सैरात बंदोबस्ती में जिला परिषद को लाखों के राजस्व का घाटा हुआ है. हालांकि अधिकारी घाटे की बात से इनकार कर रहे हैं और सुरक्षित जमा राशि का हवाला देते हुए कहते हैं कि सब कुछ ठीक-ठाक है.
डाक वक्ता ने अभिरूची नहीं ली, जिसके कारण राजस्व घटा है. लेकिन इसे घाटे की संज्ञा नहीं दी जा सकी. जबकि सूत्रों का दावा है कि सैरात बंदोबस्ती में तोल-मोल का खेल जम कर बोला है और कई डाक वक्ता ऐसे भी रहे, जिन्हें डाक में शामिल होने का मौका ही नहीं मिला. बहरहाल, कारण जो भी हो वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिये अब तक कुल आठ सैरातों का डाक किया गया है
और हैरत की बात यह है कि हर डाक बीते वर्ष के डाक से अधिक कीमत में प्राप्त की गयी. लेकिन छातापुर बस पड़ाव की कीमत बीते वर्ष से काफी कम आंकी गयी. जिनकी गत वर्ष निलामी हुई और राजस्व प्राप्ति भी हुई. लेकिन इस वर्ष इन सैरातों की निलामी नहीं की गयी.
सैरात आवंटन में नियमों का हुआ उल्लंघन : जिला परिषद द्वारा इस वर्ष नियमों की जमकर अनदेखी की गयी है. जानकार बताते हैं कि जिला परिषद के किसी भी डाक में उसका सदस्य अथवा सदस्य के परिजन शामिल नहीं हो सकते हैं.
भूलवश ऐसा होने की स्थिति में भी संबंधित डाक वक्ता को सैरात आवंटित नहीं किया जा सकता है. लेकिन छातापुर बस पड़ाव के लिए सैरात आवंटन में इसकी अनदेखी की गयी और नियमों का उल्लंघन करते हुए जिला परिषद सदस्य के पति को ही सैरात आवंटित कर दी गयी. चर्चा यह भी है कि इस सैरात के लिए किसी अन्य डाक वक्ता को बोली लगाने का अवसर ही नहीं मिला.
छातापुर बस पड़ाव का राजस्व हुआ आधा
जिला परिषद द्वारा की गयी बंदोबस्ती में छातापुर बस पड़ाव का राजस्व आधे से भी कम हो गया है. जबकि एक अनुमान के मुताबिक यहां बस के ठहराव में 150 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है. गत वर्ष भी इस बस पड़ाव के लिए सुरक्षित जमा राशि तीन लाख 63 हजार चार सौ रुपये निर्धारित थी और इस वर्ष भी. अंतर केवल इतना है कि वर्ष 2016-17 के लिए डाक वक्ता छातापुर थाना क्षेत्र के नरैहिया निवासी सरोज कुमार ने 10 लाख 100 रुपये की डाक लगायी थी. जबकि इस वर्ष यह डाक 04 लाख 01 हजार रुपये में तय हुई. मानगंज पूरब निवासी अरूण कुमार मेहता ने यह डाक लगायी. बताया जाता है कि श्री मेहता की पत्नी किरण कुमारी इसी क्षेत्र से जिला पार्षद हैं.
अन्य बंदोबस्ती में हुई है राजस्व बढ़ोतरी
जिला परिषद द्वारा छातापुर बस पड़ाव के अतिरिक्त अन्य जिन सात सैरातों की बंदोबस्ती वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए की गयी है, उसमें जिला परिषद को 175 रुपये से लेकर एक लाख 79 हजार तक का लाभ हुआ है. निर्मली से झिटकी जिप सड़क संख्या 23 गत वर्ष 19 हजार 500 रुपये में बंदोबस्त हुई थी और इस वर्ष 20 हजार 600 रुपये में बंदोबस्त हुई है. त्रिवेणीगंज स्थित जिला परिषद बस पड़ाव 20 लाख 73 हजार से बढ़ कर 20 लाख 82 हजार 500 रुपये में बंदोबस्त हुई है.
भलुआही बाजार से बांध किनारे गुदरी जिप सड़क संख्या 04 भी 61 सौ से बढ़कर 69 सौ रुपये में बंदोबस्त हुई है. जबकि सर्वाधिक इजाफा राघोपुर बाजार स्थित जिप सड़क संख्या 12 किनारे अवस्थित गुदरी के राजस्व में हुई है. गत वर्ष यह 01 लाख 37 हजार रुपये में बंदोबस्त हुई थी. जबकि इस साल 03 लाख 16 हजार रुपये में बंदोबस्त की गयी है. इसी प्रकार किसनपुर बाजार जंकशन चौक पर ऑटो व बस पड़ाव जिप सड़क संख्या 07 व 21 दो हजार रुपये के इजाफे के साथ इस वर्ष 05 लाख 87 हजार रुपये में बंदोबस्त की गयी है. परसरमा स्थित जिला परिषद निरीक्षण भवन की बंदोबस्ती 175 रुपये के इजाफे के साथ इस साल 1675 रुपये में बंदोबस्त की गयी है.

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