सुपौल : पर्यावरण को सुरक्षित किये जाने हेतु सरकार द्वारा बागवानी मिशन योजना संचालित की गयी है. जिले भर में इस योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2016-17 में तकरीबन 110 हेक्टेयर भूमि में आम, केला व पपीता जैसे फलदार वृक्ष लगाये जाने का कार्य कराया जा रहा है. बागवानी के तहत किसानों को फलदार पौधे लगाने की दो योजनाएं राष्ट्रीय बागवानी मिशन व मुख्यमंत्री बागवानी मिशन से अनुदान भी दिया जाता है. इसके तहत टिश्यू कल्चर केला की सघन बागवानी ड्रिप मलचिंग के साथ 50 प्रतिशत अनुदान यानी प्रति हेक्टेयर 62 हजार 500 रुपये किसान को देने का प्रावधान है.
वही पपीता की खेती के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर 30 हजार की राशि दो किस्तों में प्रदान किया जायेगा. जबकि उक्त योजना के तहत आम के पौधा लगाये जाने के बाद प्रति हेक्टेयर 40 हजार की राशि तीन किस्तों में प्रदान की जायेगी.
मिशन में शामिल है फल मसाला की खेती: बागवानी मिशन के तहत केला, पपीता, आम, गेंदा फूल, मसाला में हल्दी, अदरख, सौंफ, मंगरैला, मिर्च, औषधीय पौधे में मेंथा, प्लास्टिक मल्चिंग, मधुमक्खी बॉक्स व छत्ता, फुड ग्रेड कंटेनर, प्याज भंडारण, प्लास्टिक कैरेट, लेनो बैग, मखाना सहित अन्य फसलों को शामिल किया गया है.
ताकि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ कराया जा सके. विभाग द्वारा सुपौल जिले में आम की खेती के लिए 30 हेक्टेयर, पपीता की खेती के लिए 10 हेक्टेयर, केला की खेती के लिए 70 हेक्टेयर, गेंदा फूल के लिए 20 हेक्टेयर, हल्दी, अदरख सौंफ, मंगरैला, मिर्च आदि मसाला की खेती के लिए 30 हेक्टेयर, मखाना के लिए 10 हेक्टेयर खेती कराये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. विभागीय निर्देशानुसार जिला उद्यान कार्यालय द्वारा आम, केला व पपीता की खेती कराये जाने को लेकर भरसक प्रयास किया जा रहा है.
नर्सरी का जायजा लेते उद्यान पदाधिकारी.
केला खेती की ओर नहीं है किसानों का रुझान
बागवानी मिशन के तहत उद्यान विभाग के प्रयास से जिले भर में अब तक किसानों ने 14 हेक्टेयर में आम का पौधा लगाया है. जबकि 18 हेक्टेयर भूमि में केला की रोपाई करायी गयी है. वही एक हेक्टेयर भूमि में पपीता का पौध रोपण कराया गया है. किसानों की मानें तो केला की खेती में अनुदान दिये जाने की प्रक्रिया का स्वरूप जटिल रखा गया है.
जिसके कारण किसान केला की खेती में रुचि नहीं ले रहे हैं. किसानों ने बताया कि विभाग द्वारा 16 रुपया प्रति पौधा केला उपलब्ध कराया जा रहा है. साथ ही पौधे की रोपाई के उपरांत लागत मूल्य से एक रुपया कम राशि किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है. जबकि एक वर्ष बाद लागत मूल्य से अधिक राशि उपलब्ध कराये जाने की बात कही जा रही है. यही कारण है कि किसान केला की खेती करने से गुरेज कर रहे हैं.
बोले अधिकारी
बागवानी मिशन के तहत जिले में तीन प्रकार के फसल लगवाने का कार्य कराया जा रहा है. शेष फसलों की खेती कराये जाने हेतु प्रशिक्षण सहित जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है. विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्य को सममय पूर्ण करा लिया जायेगा.
ज्ञानचंद, जिला उद्यान पदाधिकारी, सुपौल