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ठंडे बस्ते में था सीडीपीओ धमकी का मामला, अब हुई कवायद तेज

सुपौल : राघोपुर की तत्कालीन सीडीपीओ कुमारी सीमा को जिले के तत्कालीन डीपीओ रमेश कुमार ओझा द्वारा सात मई 2015 को अपने सरकारी मोबाइल नंबर 9431005044 से सीडीपीओ के मोबाइल नंबर 9431005456 पर धमकी दी गयी थी. तब रमेश कुमार ओझा ने सीडीपीओ को मोबाइल नंबर 9472366632 देते हुए बताया था कि उक्त नंबर मुख्यमंत्री […]

सुपौल : राघोपुर की तत्कालीन सीडीपीओ कुमारी सीमा को जिले के तत्कालीन डीपीओ रमेश कुमार ओझा द्वारा सात मई 2015 को अपने सरकारी मोबाइल नंबर 9431005044 से सीडीपीओ के मोबाइल नंबर 9431005456 पर धमकी दी गयी थी. तब रमेश कुमार ओझा ने सीडीपीओ को मोबाइल नंबर 9472366632 देते हुए बताया था कि उक्त नंबर मुख्यमंत्री आवास का है

और तत्कालीन बातचीत करने का निर्देश दिया था. इस नंबर पर जब सीडीपीओ ने बात की तो सीडीपीओ के साथ असंसदीय भाषा का प्रयोग किया गया और बरबाद करने की धमकी दी गयी थी. इस मामले में तत्कालीन सीडीपीओ द्वारा कांड संख्या 82/15 राघोपुर थाना में दर्ज कराया गया था. जिसमें डीपीओ ओझा को भी प्राथमिकी अभियुक्त बनाया गया था.

तब उस समय जांच के दौरान जिला पदाधिकारी का गोपनीय शाखा भी सुर्खियों में आया था. लेकिन डेढ़ वर्ष बीतने के बावजूद मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा, क्योंकि गोपनीय शाखा में पदस्थापित एक शख्स भी मुख्यत: संदिग्ध के रूप में सामने आया था. उक्त शख्स तब कलर्क होने के बावजूद अधिकारी की हैसियत रखता था और बहरहाल गोपनीय में पदस्थापित नहीं है लेकिन आज भी उसकी काली छाया गोपनीय में बरकरार है.

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह द्वारा जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज किये जाने के बाद अब एक बार फिर मामला सुर्खियों में है और जांच की कवायद आरंभ हो चुकी है.
मुख्यमंत्री आवास के नाम पर मिली थी धमकी : दरअसल सीडीपीओ द्वारा जब कथित रूप से मुख्यमंत्री आवास वाले मोबाइल नंबर 9472366632 पर जब फोन किया गया तो उस वक्त फोन पर मौजूद किसी अंजनी कुमार नाम के शख्स ने कहा था कि उनकी शिकायत मुख्यमंत्री आवास को मिली है. जिसकी जांच की जा रही है. इतना ही नहीं उक्त व्यक्ति यह भी कहा कि सीडीपीओ के सभी नंबर को सीएम आवास में कांफ्रेंस में रखा गया है. तब डीपीओ रमेश ओझा इसलिए सुर्खियों में आये थे कि उन्होंने सीडीपीओ को उक्त नंबर पर बात करने के लिये दबाव बनाया था.
सवालों के घेरे में रहा था डीएम का गोपनीय शाखा : दरअसल उस वक्त डीपीओ रमेश कुमार ओझा ने यह कह कर सनसनी फैला दिया था कि मुख्यमंत्री आवास का उक्त नंबर डीएम की गोपनीय शाखा से उपलब्ध कराया था.
उन्होंने कहा था कि डीएम की गोपनीय शाखा के नंबर 06473223111 द्वारा उक्त नंबर उपलब्ध कराया गया था और राघोपुर के सीडीपीओ से बातचीत कराने का निर्देश दिया गया था. जाहिर था कि पूरे प्रकरण में डीएम के गोपनीय शाखा में कार्यरत किसी न किसी व्यक्ति की सक्रिय भूमिका रही होगी. लेकिन गोपनीय शाखा का नाम जुड़ते ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया. जबकि महत्वपूर्ण बात यह थी कि उक्त नंबर से पूर्व में भी जिले के कई सीडीपीओ को इसी तरह की धमकी मिल चुकी थी.
एक बार फिर जांच प्रक्रिया शुरू: लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी वीरपुर द्वारा 14 दिसंबर को मामले में रिपोर्ट सौंपी गयी है. जिसमें बताया गया है कि कांड के अनुसंधानकर्ता को एक पखवारे के अंदर मामले का अद्यतन रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.
अपने निर्देश में एसडीपीओ ने मोबाइल नंबर 9472366632 के उपयोगकर्ता की गिरफ्तारी और कुर्की सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही उक्त मोबाइल नंबर के आइएमइआइ नंबर के आधार पर सीडीआर प्राप्त कर कांड का उद‍्भेदन करने का निर्देश दिया गया है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि एसडीपीओ के रिपोर्ट में डीएम की गोपनीय शाखा की चर्चा तक नहीं की गयी है. जाहिर है कि पूरे मामले की उच्च स्तरीय लीपापोती का प्रयास आज भी जारी है.
अनुसंधान के नाम पर हुई खानापूर्ति
चूंकि मामला हाइ प्रोफाइल था कि इसलिए पुलिस ने इस पूरे मामले को कोल्ड स्टोरेज में डालने में कोई कमी नहीं की. इसी का नतीजा है कि आज तक इस मामले में कोई खास कार्रवाई नहीं हुई. जांच क्रम में केवल इतना पता चला कि मोबाइल नंबर 9472366632 नालंदा जिला के पपरनौसा निवासी बबीता देवी की है.
लेकिन उसके बाद की कार्रवाई शिथिल रही. हालांकि अनुसंधानकर्ता द्वारा उक्त नंबर के आइएमइआइ 58500058686950 प्राप्त कर इसके सीडीआर के लिये एसपी कार्यालय के गोपनीय शाखा में प्रतिवेदन समर्पित किया गया. लेकिन खास बात यह है कि आज भी आइएमइआइ नंबर का सीडीआर प्राप्त नहीं हुआ है.
कांड संख्या 82/15 का अनुसंधान जारी है. अब तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. शीघ्र ही पुलिस टीम नालंदा जाकर मोबाइल धारक का सत्यापन करेगी और गिरफ्तारी सुनिश्चित करेगी.
सुधीर कुमार, एसडीपीओ वीरपुर अनुमंडल

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