गड़बड़ी. गर्भवती महिलाओं का ससमय नहीं हो रहा टीकाकरण
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प्रत्येक वर्ष हो रही 3710 शिशुओं की मौत
गड़बड़ी. गर्भवती महिलाओं का ससमय नहीं हो रहा टीकाकरण जिले में स्वास्थ्य विभाग की गड़बड़ी के कारण गर्भवती महिलओं व नवजात को ससमय जीवन रक्षक टीकाकरण नहीं िदया जाता है. इससे अबतक हजारों नवजात व गर्भवती की मौत हो चुकी है. सुपौल : गर्भवती महिलओं व नवजात का ससमय जीवन रक्षक टीकाकरण नहीं होने के […]
जिले में स्वास्थ्य विभाग की गड़बड़ी के कारण गर्भवती महिलओं व नवजात को ससमय जीवन रक्षक टीकाकरण नहीं िदया जाता है. इससे अबतक हजारों नवजात व गर्भवती की मौत हो चुकी है.
सुपौल : गर्भवती महिलओं व नवजात का ससमय जीवन रक्षक टीकाकरण नहीं होने के कारण जन्म लेने वाले एक हजार शिशुओं में 53 की मौत प्रसव के दौरान हो जाती है. वहीं जिले में गर्भवती महिलाओं का ससमय टीकाकरण नहीं होने और उचित पोषण नहीं मिलने के कारण एक लाख गर्भवती महिलाओं में से 262 गर्भवती की मौत प्रसव के दौरान हो जाती है. यह आंकड़ा जिला स्वास्थ्य समिति सुपौल का है. ससमय टीकाकरण के अभाव में अब तक जिले के हजारों नवजात व गर्भवती की मौत हो चुकी है.
स्वास्थ्य विभाग व सामाजिक संगठन के अथक प्रयास के बावजूद प्रसुता के परिजन अशिक्षा व जागरूकता के अभाव में जीवनरक्षक महत्वपूर्ण टीकाकरण के प्रति गंभीर नहीं हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने जीवन रक्षक टीकाकरण के प्रति लोगों की लापरवाही को देखते हुए गर्भवती और नवजात शिशुओं को जीवन रक्षक टीकाकरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक बेहतर पहल की है. स्वास्थ्य विभाग की नई पहल आरसीएच पोटल के तहत सभी गर्भवती व नवजात का पंजीयन करवाने की दिशा में कार्य प्रारंभ किया गया है.
आरसीएच पोटल के तहत सभी गर्भवती व नवजात का पंजीयन करवाया जायेगा. पंजीयन के दौरान गर्भवती व नवजात से संबंधित सभी जानकारी पोटल पर दर्ज की जायेगी. संबंधित एएनएम गर्भवती व नवजात के अगले टीकाकरण के तिथि पोटल पर पंजीकृत करेंगे. इससे फायदा यह होगा कि आगामी टीकाकरण की तिथि से 48 घंटा पूर्व आरसीएच पोटल संबंधित क्षेत्र की एएनएम को टीकाकरण के लाभुक गर्भवती या नवजात का नाम पता और टीकाकरण की तिथि उपलब्ध करवा देंगे.
पोटल के माध्यम से पूर्व जानकारी मिलने पर स्वास्थ्य कर्मी उक्त गर्भवती या शिशु के घर पहुंच कर ससमय टीकाकरण सुनिश्चित करेंगे. आरसीएच पोटल पंजीकरण की सफलता के लिए सभी टीकाकरण से संबंधित एएनएम को टैब उपलब्ध करवाया जायेगा.
18 माह में मर जाती है 262 गर्भवती
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो एक वर्ष के दौरान जिले के सभी अस्पताल व पीएचसी में करीब 46 हजार संस्थागत प्रसव करवाया जा रहा है. विभाग बताती है कि प्रत्येक वर्ष करीब 25 हजार प्रसव निजी अस्पताल व प्रशिक्षित दाई द्वारा करवाया जाता है. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक जिले में प्रत्येक वर्ष 70 हजार प्रसव संपन्न करवाये जा रहे हैं. वहीं समुचित टीकाकरण और पोषण के अभाव में प्रत्येक एक लाख प्रसव पर 262 गर्भवती महिलाओं के मौत का आंकड़ा भी विभाग बता रही है.
इससे स्पष्ट है कि करीब डेढ़ साल के दौरान 262 गर्भवती समुचित टीकाकरण के अभाव में काल के गाल में समा रही हैं. वहीं शिशु मृत्यु दर के आंकड़े तो और भी हैरान करने वाले हैं. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक एक हजार नवजात में से समुचित टीकाकरण के अभाव में प्रसव के दौरान और बाद में करीब 53 नवजात की मौत हो रही है. एक वर्ष के आंकड़ें को देखे तो 70 हजार प्रसव के बाद करीब तीन हजार 710 नवजात की प्रत्येक वर्ष मौत हो रही है. स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञ गर्भवती महिला व नवजात के मौत की मुख्य वजह समुचित टीकाकरण और पौषण के अभाव को मान रहे हैं.
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