सरायगढ़ : प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भपटियाही बदहाली की मार झेल रहा है. पीएचसी में चिकित्सकों व कर्मियों का अभाव है. वहीं आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं भी नदारद हैं. जिले के केंद्र में रहने के बावजूद अस्पताल में संसाधनों की कमी बनी रहती है. इसका खामियाजा यहां इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को उठाना पड़ता है. अस्पताल के नये चार मंजिले भवन का निर्माण किया जा रहा है. पीएचसी को भवन व जगह की कोई कमी नहीं है.
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भपटियाही पीएचसी में डाॅक्टरों व कर्मियों की कमी, परेशानी
सरायगढ़ : प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भपटियाही बदहाली की मार झेल रहा है. पीएचसी में चिकित्सकों व कर्मियों का अभाव है. वहीं आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं भी नदारद हैं. जिले के केंद्र में रहने के बावजूद अस्पताल में संसाधनों की कमी बनी रहती है. इसका खामियाजा यहां इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को […]
एनएच व एसएच पर अक्सर होती है दुर्घटना : गौरतलब है कि यह पीएचसी जिले के बीच से गुजड़ने वाली सिल्चर-पोरबंदर एनएच 57 व सरायगढ़-अररिया एसएच 76 की मुहाने पर मौजूद है. एसएच 76 को भी एनएच 327 का दर्जा मिल चुका है. सरायगढ़ से गुजरने वाली यह सभी सड़कें चकाचक हैं. जिससे नितदिन हजारों की संख्या में वाहनों का परिचालन होता है. जाहिर तौर पर वाहनों के अधिक आवागमन के कारण अक्सर दुर्घटनाएं भी होती रहती है, लेकिन दुर्भाग्य है
कि उक्त अस्पताल को उच्च स्तरीय अस्पताल का दर्जा अब तक नहीं मिल पाया है. मालूम यह है कि सबसे बड़ी दुर्घटना के बाद गंभीर रूप से हुए जख्मियों को इलाज के लिए करीब सवा सौ किलोमीटर दूर डीएमसीएच दरभंगा रेफर कर दिया जाता है. जिला मुख्यालय व आसपास के क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग का एक भी ट्रामा सेंटर नहीं है, जहां मरीजों को उचित और फौरी इलाज की सुविधा मिल सके. ऐसी हालत में कई मरीज तो इलाज के लिए सही स्थान पर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. स्थानीय निवासियों व जिले के प्रबुद्ध जनों द्वारा एनएच 57 बनने के बाद सरायगढ़ में बड़ा अस्पताल एवं ट्रामा सेंटर बनाने की मांग की गयी है, लेकिन सरकार व स्वास्थ्य विभाग के मुलाजिम समस्या के प्रति उदासीन बने हुए हैं.
समुचित तरीके से नहीं हो पाता है इलाज : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भपटियाही में चिकित्सक व कर्मियों की कमी है. अस्पताल में सात चिकित्सकों का पद स्वीकृत है. जिसके एवज में प्रभारी चिकित्सा प्रभारी के अलावा यहां मात्र तीन चिकित्सक प्रतिनुयक्त हैं. इन तीन चिकित्सकों में भी दो आयुष चिकित्सक हैं और एक एमबीबीएस चिकित्सक हैं. यही वजह है कि यहां आने वाले मरीजों का समुचित रूप से इलाज नहीं हो पाता है. पीएचसी में पद स्वीकृत रहने के बावजूद एक भी ग्रेड वन एएनएम नहीं है.
आयुष चिकित्सक करते हैं इमरजेंसी ड्यूटी : अस्पताल में चिकित्सकों की कमी रहने का खामियाजा स्थानीय रोगियों को उठाना पड़ता है. गौरतलब है कि उक्त पीएचसी में प्रभारी के अलावा मात्र एक एमबीबीएस चिकित्सक मौजूद हैं. नतीजतन तैयार रोस्टर के मुताबिक आयुष चिकित्सक को भी आपातकालीन ड्यूटी पर लगाया जाता है. आयुष चिकित्सक भी मरीजों की जांच कर अंगरेजी दवा लिखते हैं. ऐसे में मरीजों की हालत का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.
ग्रामीणों में है असंतोष : सरायगढ़ जैसे प्रमुख स्थल पर सुविधा संपन्न अस्पताल नहीं रहने से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है. जिससे उनमें असंतोष का माहौल व्याप्त है. प्रमुख विजय कुमार यादव, जिप सदस्य महादेव यादव व शत्रुध्न प्रसाद मेहता, सांसद प्रतिनिधि प्रो सूर्य नारायण मेहता, मुखिया राज कुमार यादव, सुनीता देवी, नीलम मेहता, निर्मला देवी, पन्ना देवी, शेख करीम, कारी राम, सुमित्रा देवी, सतीश कुमार पांडेय, अवधेश साहु आदि ने समस्या के बाबत डीएम का ध्यान आकृष्ट कराते हुए पीएचसी में चिकित्सकों व कर्मियों के पदस्थापना की मांग की है.
कहते हैं पदाधिकारी
पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राम निवास प्रसाद ने बताया कि चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के संबंध में विभाग के वरीय पदाधिकारियों को कई बार सूचित किया गया है. नये चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों की पदस्थापना से अस्पताल की व्यवस्था में सुधार हो पायेगा.
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