सुपौल : समाज से जब तक छुआछूत, भेदभाव एवं ऊंच-नीच आदि जैसे विकृतियां समाप्त नहीं हो जाती, तब तक समरस समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है. इन विकृतियांओं को दूर कर ही भारत एक बार फिर विश्व गुरु बन पायेगा. यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत शारीरिक प्रमुख अरविंद कुमार ने कही. वे स्थानीय व्यापार संघ भवन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा आयोजित विजया दशमी उत्सव को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इन विकृतियों को राजनीति करने, कानून बनाने एवं पुलिस लगाने से दूर नहीं किया जा सकता. इन्हें दूर करने के लिये हमें मन से हटाना होगा.
कहा कि संघ के इन विचारों को देश के प्रत्येक गांवों में पहुंचाना संघ का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में भारतीय शिक्षा व्यवस्था काफी सुदृढ़ थी. जिस कारण दुनियां के लोग भारत आकर शिक्षा ग्रहण करते थे. लेकिन आजादी के 70 साल बाद हमारी शिक्षा व्यवस्था गिरती जा रही है. भारतीय संस्कृति आधारित शिक्षा संघ के आनुसांगिक संगठन विद्या भारती द्वारा संचालित विद्यालयों द्वारा दी जा रही है. कहा कि भारतीय परंपरा अनुरूप मान्यता है कि स्वच्छता में प्रभु का वास होता है. विडंबना है कि देश के प्रधानमंत्री को स्वच्छता के लिये लोगों को जागरूक करना पड़ रहा है. यहां तक की इसके लिये बजट तैयार किया जाता है. शारीरिक प्रमुख ने कहा कि देश में सांस्कृति प्रदूषण तेजी से फैल रहा है. जिन्हें रोकना हमारी जिम्मेदारी है.
राष्ट्रीय परिपेक्ष की वर्तमान हालात की चर्चा करते उन्होंने कहा कि देश की सीमा की रक्षा सैनिक कर रहे हैं. लेकिन देश के भीतरी हिस्से की रक्षा की जिम्मेदारी देश के नागरिकों की है. कहा कि संघ पर कई लोगों द्वारा कई आरोप लगाये जा रहे हैं. उन्हें जानना चाहिये कि संघ द्वारा देश में दो लाख से अधिक सेवा के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं.