परेशानी. सड़क, पानी, बिजली जैसे मूलभूत सुविधाओं का है घोर अभाव
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मुहल्ला शहर का, स्थिति गांव से भी खराब
परेशानी. सड़क, पानी, बिजली जैसे मूलभूत सुविधाओं का है घोर अभाव नगर परिषद क्षेत्र का वार्ड नंबर एक विकास की रौशनी से महरूम हैं. शहर के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में अवस्थित इस वार्ड में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. सुपौल : राज्य सरकार व जिला प्रशासन के सहयोग से जहां एक ओर जिला मुख्यालय स्थित […]
नगर परिषद क्षेत्र का वार्ड नंबर एक विकास की रौशनी से महरूम हैं. शहर के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में अवस्थित इस वार्ड में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.
सुपौल : राज्य सरकार व जिला प्रशासन के सहयोग से जहां एक ओर जिला मुख्यालय स्थित मुख्य बाजार क्षेत्र में विकास के कई कार्यों को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है. कई सड़कें चकाचक हो चुकी है, पेयजल के लिये जल मीनार का निर्माण किया जा रहा है, सफाई की बेहतर सुविधा के साथ ही रौशनी के लिये एलईडी लाइट लगाये गये हैं. वहीं दूसरी ओर नगर परिषद क्षेत्र का वार्ड नंबर एक विकास की रौशनी से महरूम हैं. शहर के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में अवस्थित इस वार्ड में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. सड़क, पानी, बिजली जैसे मूलभूत सुविधाओं के लिये तरस रहे इस मुहल्ले में विकास की रौशनी सही मायनों में अब तक नहीं पहुंच पायी है. नतीजा है कि शहर में रहते हुए भी इस मुहल्ले का नजारा गांव से भी बदतर बना हुआ है.
कच्ची सड़क के सहारे हो रहा आवागमन
एक ओर जहां हाल के दिनों में शहर के तकरीबन तमाम मुहल्लों में चकाचक पक्की सड़कों का निर्माण किया जा चुका है. वहीं दूसरी ओर वार्ड नंबर एक के अधिकांश निवासी आज भी कच्ची सड़क से उत्पन्न होने वाली समस्या का दंश झेल रहे हैं. गजना चौक से बीआरसी की ओर जाने वाली सड़क व मलहद रोड के बीच पक्की सड़क का निर्माण नहीं होने से लोगों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.
दोहरी मार झेल रहे बाढ़ विस्थापित
वार्ड नंबर एक को मूल रूप से बलवा-पुनर्वास के नाम से जाना जाता है. दरअसल इस मुहल्ले में बड़ी संख्या में कोसी विस्थापित निवास करते हैं. बाढ़ की वजह से अपने मूल गांव से विस्थापित हुए इन परिवारों को सरकार द्वारा पुनर्वास की जमीन देकर यहां बसाया गया है. लेकिन इन बाढ़ विस्थापितों के लिये यहां भी तार से गिरे खजूर पे अटके वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. कई कोसी विस्थापितों ने बताया कि यहां से बेहतर तो वे अपने मूल गांव में भी थे. यह अलग बात है कि मॉनसून काल में उन्हें तटबंध के भीतर तीन महीने का बाढ़ की समस्या झेलनी पड़ती थी. लेकिन बांकी के दिनों में खेती-बाड़ी से लेकर अन्य कई प्रकार का सुख वहां मौजूद था. जबकि यहां शहरी क्षेत्र होने के बावजूद तकरीबन सालों भर जल जमाव व अन्य प्रकार की समस्या झेलनी पड़ती है.
सड़क निर्माण व जल निकासी की मांग
वार्ड नंबर एक निवासी शंभू नाथ झा, त्रिवेणी यादव, विनोद कुमार, कपिल, रामविलास यादव, शंभू चौधरी, तारणी, नागेश्वर यादव आदि ने जिला प्रशासन एवं नगर परिषद से उक्त मुहल्ले में तत्काल पक्की सड़क निर्माण एवं जल जमाव की समस्या दूर करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि जल जमाव की वजह से यहां अक्सर सांप-बिच्छू व विभिन्न बीमारियों का खतरा बना रहता है. उन्होंने कहा कि वर्षों से कई प्रकार की समस्या झेल रहे वार्ड वासियों की ओर प्रशासन द्वारा अगर ध्यान नहीं दिया गया तो वे आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने के लिये विवश होंगे.
जल जमाव की है विकराल समस्या
मुहल्ले में पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो पाने के कारण लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. बीआरसी रोड से मलहद रोड के बीच अवस्थित कच्ची सड़क की ऊंचाई अन्य सड़कों से कम होने की वजह से हल्की बारिश से ही यहां जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. मॉनसून के मौसम में तो स्थिति और भी विकराल हो जाती है. पूरे वर्षा काल में इस सड़क पर पानी लगा रहता है. नतीजा है कि उक्त मुहल्ले में बसे लोगों को दो-तीन फीट पानी के बीच से गुजर कर अपने घरों तक पहुंचना पड़ता है. जल जमाव की वजह से बच्चों का स्कूल जाना भी प्रभावित होता है. वहीं महिलाओं को विशेष रूप से मुश्किलें उठानी पड़ती है. भारी वर्षा होने के कारण इस मुहल्ले में लोगों के घरों में भी पानी प्रवेश कर जाता है.
नगर परिषद क्षेत्र का वार्ड नंबर एक विकास की रौशनी से महरूम हैं. शहर के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में अवस्थित इस वार्ड में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.
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