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कभी नहीं भूल सकती है वह भयावह रात : एसडीओ
कोसी की कोख में रात गुजार कर लौटे सदर एसडीओ ने सुनायी आपबीती कहा, क्यूआरटी टीम होती तो शायद रात में भी सुरक्षित निकल आता सुपौल : कोसी की विकराल धारा में रात में नाव का सफर खतरे से खाली नहीं है. लिहाजा लोगों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में नाव से यात्रा करने से परहेज […]
कोसी की कोख में रात गुजार कर लौटे सदर एसडीओ ने सुनायी आपबीती
कहा, क्यूआरटी टीम होती तो शायद रात में भी सुरक्षित निकल आता
सुपौल : कोसी की विकराल धारा में रात में नाव का सफर खतरे से खाली नहीं है. लिहाजा लोगों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में नाव से यात्रा करने से परहेज करना चाहिये. ये उद्गार हैं. कोसी नदी की बीच धारा में रात भर फंसे सदर एसडीओ एनजी सिद्दीकी का. एसडीओ ने आप बीती बताते कहा कि प्रशासनिक जिम्मेदारी के अनुरूप वे सोमवार के पूर्वाह्न करीब 10 बजे सरायगढ़ से नाव द्वारा तटबंध के भीतर बसे बाढ़ प्रभावित गांव का निरीक्षण करने निकले थे.
उनके साथ सरायगढ़-भपटियाही के सीओ शरत कुमार मंडल, किसनपुर के प्रमुख विजय यादव सहित अन्य कई मुखिया, जनप्रतिनिधि व कर्मी मौजूद थे. निरीक्षण के क्रम में उन्होंने ढ़ोली, सनपतहा, सियानी आदि गांवों का दौरा किया. सियानी गांव में शाम के पांच बज जाने के कारण वे सरायगढ़ वापसी के लिए नाव से रवाना हुए, लेकिन उन्हें कोसी की भयावहता का एहसास नहीं था. उन्हें उम्मीद थी कि शाम सात बजे तक वे सरायगढ़ पहुंच जायेंगे, लेकिन कोसी की उल्टी धारा में ऐसा संभव नहीं हो पाया. पानी का वेग भयानक था और कम पानी के क्षेत्र में कास-पटेर के जंगल नाव को आगे नहीं बढ़ने दे रहे थे.
इसी मसक्कत में जब रात के आठ बज गये तो इन लोगों ने पानी के बीच गौरीपुर पलार पर कम पानी के क्षेत्र में नाव को खड़ा कर दिया और रात में जान जोखिम में डालने के बजाय कमर भर पानी में नाव पर ही रात गुजारने का निर्णय ले लिया. इस बीच डीएम व अन्य आलाधिकारियों को संकट की सूचना दे दी गयी थी, लेकिन रात में एनडीआरएफ व अन्य किसी नाव का कोसी में जाना खतरनाक साबित हो सकता था. लिहाजा रात के करीब 10 घंटे नदी में गुजारने के बाद सुबह छह बजे सभी लोग सुरक्षित सरायगढ़ लौटे.
रात में कोसी की भयावहता का जिक्र करते एसडीओ ने बताया कि संकट के दौर में बीती इस भयानक रात को कभी भुलाया नहीं जा सकता. सूनी व निस्तब्ध रात में कोसी के तेज धार की हुंकार स्पष्ट सुनाई दे रही थी. नाव पर सभी चुपचाप बैठे रात बीतने का इंतजार कर रहे थे. इस बीच रूक-रूक हो रही बारिश उनकी मुश्किलें और बढ़ा रही थी. भूख प्यास से सभी के हलक सूख रहे थे, लेकिन चिंता भूख की नहीं बल्कि सुरक्षित बाहर निकलने की थी.
वहीं घनघोर बादल से वज्रपात का भी खतरा मंडरा रहा था. कई लोगों के मोबाइल डिस्चार्ज हो चुके थे. कुछेक मोबाइल सही थे. जिससे बाहरी लोगों से संपर्क हो पा रहा था. किसी तरह कटी रात के बाद सुबह होने व सुरक्षित बाहर निकलने की खुशी सभी के चेहरों पर स्पष्ट देखी जा सकती थी. रात में कोसी के बीच इस तरह की उत्पन्न स्थिति से निपटने की व्यवस्था पर एसडीओ ने कहा कि कोसी के भयानक मंजर से रात में रेस्क्यू करने की यहां कोई व्यवस्था नहीं है.
एनडीआरएफ भी इस कार्य में सक्षम नहीं हैं. अगर क्यूआरटी (क्विक रिस्पौंस टीम) होती तो वे रात में भी ऐसी विपदा से निबटने में कामयाब हो पाते. बहरहाल कोसी के मंझधार से सुरक्षित लौटे अधिकारी व जन प्रतिनिधियों ने जहां राहत की सांस ली है. वहीं उनके परिजनों में खुशी का माहौल व्याप्त है.
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