छातापुर : विभागीय लाख कवायद के बावजूद विद्यालय संचालन की स्थिति में गुणात्मक सुधार नहीं हो पा रहा है. विभागीय मानदंड व निर्देशों को ताक पर रख कर विद्यालय प्रधान अपनी मनमरजी के मुताबिक विद्यालय का संचालन कर रहे है. हालात यह है कि विद्यालय प्रबंधन द्वारा मध्याह्न भोजन का समय परिवर्तित कर दिया जाता है. तर्क यह दिया जाता है कि समय से यदि बच्चों को भोजन दे दिया जाय तो सभी बच्चे भोजन के बाद घर भाग जाते है. शौचालय के दरवाजे में ताला इसलिए जड़ कर रखा जाता है कि बच्चे उसमें गंदगी फैला देते है.
यह कहना है प्रखंड के लक्षमीपुर खूंटी पंचायत स्थित मध्य विद्यालय लक्षमीपुर पश्चिम के प्रधानाध्यापक एनएम खालिद का. सवाल यह उठता है कि जब विद्यालय के प्रधान विद्यालय संचालन में अपना कानून लागू करेंगे तो विभागीय उदे्श्य का क्या होगा. जहां स्कूली छात्रों के लिए सुविधा व संसाधन के नाम पर विभाग लाखों रुपये खर्च करती है. हालांकि मीडिया के पहल के बाद बच्चों को एक बजकर 45 मिनट पर एमडीएम परोसा गया. लेकिन नवनिर्मित शौचालय में गंदगी इतनी थी कि कोई छात्र उसका प्रयोग करना तो दूर उस तरफ झांकना भी नहीं चाहेगा.
सो बच्चे को खुले मैदान में ही मल मूत्र त्याग करने की मजबुरी रहती है. प्रधान के अनुसार इस विद्यालय में आठ शिक्षकों का पदस्थापन है. जिसमें एक शिक्षक अवकाश में है. वही नामांकित 450 में 125 बच्चों की उपस्थिति बताई गई. लेकिन जब वर्ग कक्ष का भौतिक सत्यापन किया गया तो आठ वर्गों के बच्चों को चार वर्ग कक्ष में बैठा कर चार शिक्षकों के द्वारा पठन पाठन कार्य किया जा रहा था.जहां मध्याह्न काल तक हाजिरी भी नहीं बनाई गई थी.
पूछने पर वर्ग शिक्षकों ने बताया कि अंतिम समय में हाजिरी बनती है. एमडीएम भी मेनू से अलग थलग व गुणवताविहीन देखी गई. मंगलवार को आलु सोयाबिन की सब्जी के साथ चावल परोसा जाना था. लेकिन इक्के दुक्के सोयाबिन के साथ कुछ परवल व आलु की सब्जी जिसमें नमक हल्दी के साथ पानी के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था.