परेशानी. अवैध रूप से बसे दुकानदारों के ऊपर मंडराने लगा है खतरा
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बनेगी बड़ी रेलवे लाइन
परेशानी. अवैध रूप से बसे दुकानदारों के ऊपर मंडराने लगा है खतरा उत्तर व दक्षिणी हटखोला रोड में कई वर्षों से बसे सैकड़ों दुकानदारों व आम बासिंदों के समक्ष विस्थापन का खतरा मंडराने लगा है. रेलवे स्टेशन के समानांतर बने इस सड़क के पूर्वी किनारे पर बसे दुकानदारों को रेल विभाग ने बड़ी रेल लाइन […]
उत्तर व दक्षिणी हटखोला रोड में कई वर्षों से बसे सैकड़ों दुकानदारों व आम बासिंदों के समक्ष विस्थापन का खतरा मंडराने लगा है. रेलवे स्टेशन के समानांतर बने इस सड़क के पूर्वी किनारे पर बसे दुकानदारों को रेल विभाग ने बड़ी रेल लाइन बनाने के नाम पर जमीन खाली करने का आदेश दिया है. गत 29 फरवरी को जारी इस नोटिस में 14 जून तक जमीन खाली करने का समय निर्धारित था.
सुपौल : जिला मुख्यालय स्थित उत्तर एवं दक्षिणी हटखोला रोड में बसे सैकड़ों दुकानदारों एवं आम बासिंदों के समक्ष अचानक विस्थापन का खतरा मंडराने लगा है. दरअसल रेलवे स्टेशन के समानांतर बने इस सड़क के पूर्वी किनारे पर बसे दुकानदारों को रेल विभाग ने बड़ी रेल लाइन बनाने के नाम पर जमीन खाली करने का आदेश दिया है. गत 29 फरवरी को जारी इस नोटिस में 14 जून तक जमीन खाली करने का समय निर्धारित था.
15 जून से अतिक्रमण हटाने हेतु अभियान चलाने की बात कही गयी है. हालांकि बुधवार को रेल विभाग द्वारा इस दिशा में कार्रवाई प्रारंभ नहीं की गयी है. लेकिन समय सीमा पूर्ण होने के बाद उक्त विवादित जमीन पर बसे सैकड़ों लोगों को सरजमीन से उजड़ने का भय सताने लगा है
पीड़ित दुकानदारों ने रेलवे के इस निर्णय को अवैध बताते हुए आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया है. उन्होंने कहा है कि रेलवे के इस मनमाने रवैये के खिलाफ गुरुवार को समाहरणालय के समीप प्रदर्शन किया जायेगा.
क्या है मामला :
गौरतलब है कि लोहिया नगर स्थित उत्तरी रेलवे क्रासिंग से लेकर दक्षिणी हटखोला रोड स्थित रेलवे ढाला के बीच रेल निर्माण काल के बाद से ही सैकड़ों परिवार घर व दुकान बना कर जीवन बसर कर रहे हैं.
वर्षों से उक्त जमीन व दुकान का बंदोबस्त स्थानीय नगर परिषद द्वारा किया जा रहा है. जानकारी अनुसार रेलवे पटरी से पश्चिम दिशा की और मौजूद 350 फीट जमीन में से 100 फीट जमीन नगर परिषद को दी गयी थी. हालांकि उक्त जमीन को लेकर नगर परिषद व रेल विभाग के बीच कई बार विवाद भी हुआ है. लेकिन नगर परिषद द्वारा उक्त जमीन की रसीद काटे जाने व बंदोबस्त करने से दुकानदारों में सुरक्षा का भाव व्याप्त था. नगर परिषद ने उक्त सड़क में तथाकथित विवादित जमीन पर सार्वजनिक शौचालय, मछली बाजार, सड़क व नाले आदि का निर्माण किया है.
लेकिन रेलवे द्वारा बड़ी रेल लाइन बिछाने के नाम पर प्रारंभ किये गये कार्यवाही के बाद वर्तमान वित्तीय वर्ष में नगर परिषद ने उक्त जमीन पर नयी बंदोबस्ती करना बंद कर दिया. वर्षों से मालगुजारी वसूल कर रहे नगर परिषद के इस हरकत से उनके ऊपर कई तरह से सवाल खड़े हो रहे हैं.
बंदोबस्तदारों के हैं अपने दावे
मालूम हो कि उत्तरी व दक्षिणी हटखोला रोड में बसे दुकानदारों द्वारा 1998 में बंदोबस्तदार संघ की स्थापना की गयी थी. जमीन व किराया को लेकर उनकी बैठक भी नगर परिषद के साथ कई बार हो चुकी है. हक की लड़ाई लड़ रहे संघ के सचिव सह अधिवक्ता देव कुमार सिंह की माने तो हटखोला रोड की 100 फीट चौड़ी जमीन नगर परिषद की है. यह जमीन 1919 में तत्कालीन भागलपुर जिला के जिला परिषद को रेलवे विभाग द्वारा हस्तानांतरित की गयी थी.
बाद में यह सहरसा जिला परिषद, फिर सुपौल नगर परिषद के हवाले हुआ. 1967 से नगर परिषद द्वारा जमीन की बंदोबस्ती की जा रही है. नगरपालिका सर्वे में उक्त जमीन का खतियान भी नगर परिषद के नाम से 1988 में दर्ज हुआ. तब से रेल विभाग द्वारा इस खतियान पर आपत्ति दर्ज नहीं करायी गयी. वर्ष 2015-16 तक उक्त जमीन की बंदोबस्ती नगर परिषद द्वारा की गयी.
सचिव श्री सिंह ने रेलवे द्वारा जारी किये गये नोटिस को अवैध बताते हुए कहा कि रेल विभाग द्वारा नगर परिषद की जमीन को जबरन हड़पने की साजिश की जा रही है. इस बाबत दुकानदारों द्वारा स्थानीय अवर न्यायाधीश प्रथम के न्यायालय में अधिकार वाद संख्या 129/16 दाखिल किया गया है.
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