बैठक. चिकित्सकों ने क्लिनिकल एस्टैब्लिस्मेंट एक्ट का किया िवरोध
आइएमए, बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ एवं इंडियन डेंटल सर्जन एसोसिएशन की प्रमंडल स्तरीय संयुक्त बैठक स्थानीय मिलन मैरेज पैलेस में रविवार को डॉ सीके प्रसाद की अध्यक्षता में हुई. उपस्थित सदस्यों ने एक स्वर में सरकार द्वारा प्रस्तावित क्लिनिकल एस्टैब्लिसमेंट एक्ट का जोरदार तरीके से विरोध किया.
सुपौल : आइएमए, बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ एवं इंडियन डेंटल सर्जन एसोसिएशन की प्रमंडल स्तरीय संयुक्त बैठक स्थानीय मिलन मैरेज पैलेस में रविवार को डॉ सीके प्रसाद की अध्यक्षता में हुई. बैठक में संघ की मजबूती पर बल दिया गया. वहीं उपस्थित सदस्यों ने एक स्वर में सरकार द्वारा प्रस्तावित क्लिनिकल स्टेब्लिसमेंट एक्ट का जोरदार तरीके से विरोध किया. सदस्यों ने कहा कि चिकित्सक का ही एक मात्र पेशा है कि जिस पर विभिन्न कानूनों के तहत अंकुश लगाया जाता है. हमें पूर्व में ही आइएमसी एक्ट, कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत बांध दिया गया है.
इसके बावजूद हाल के दिनों में चिकित्सकों के ऊपर स्टेब्लिसमेंट एक्ट को थोपने एवं लोगों को सस्ती सेवा उपलब्ध कराये जाने से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है. इसका हम चिकित्सक विरोध कर रहे हैं.चिकित्सकों ने कहा कि स्टेब्लिसमेंट एक्ट बड़े-बडे उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लाया जा रहा है, जो गरीब विरोधी है. बिना पढ़े-लिखे लोग खुलेआम सभी तरह की चिकित्सा कर सकते हैं और योग्य डॉक्टरों पर अंकुश लगाया जा रहा है. जिस राज्य में दवा दुकानदार मरीजों का उपचार कर सकते हैं, उस राज्य में पढ़े-लिखे डॉक्टरों को अपना क्लिनिक बंद करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.
चिकित्सकों ने इस कानून को गरीब विरोधी बताते हुए कहा कि माननीय उच्च न्यायालय में यह मामला विचाराधीन है. इसके बावजूद इस कानून को लागू किया जाना न्यायसंगत नहीं है. स्वास्थ्य सेवा संघ के साथ सरकार ने एग्रीमेंट किया है कि चिकित्सकों को काल अवधि प्रोन्नति समय-समय पर दिया जायेगा, लेकिन इस लाभ से चिकित्सकों को वंचित किया जा रहा है. बैठक में आये दिन आपराधिक प्रवृति के लोगों द्वारा चिकित्सकों को धमकाने एवं रंगदारी मांगने पर भी चर्चा की गयी.
बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ के महासचिव डॉ रंजीत कुमार ने कहा कि वर्तमान में हमें अपने अस्तित्व के लिए आम जनता को बेहतर चिकित्सा सेवा प्रदान करना है. उन्होंने कहा कि पीड़ित मानवता की सेवा के लिए सभी चिकित्सक तत्पर रहते हैं. इसके बावजूद सरकारी स्तर से प्रोत्साहन नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि सरकार यदि इस एक्ट को लागू करती है तो सबसे पहले सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था को सुदृढ़ करे. इसके बाद मरीज खुद सरकारी अस्पतालों की ओर आकर्षित होंगे. जिस प्रकार कानून बना कर चिकित्सकों को बांधने का प्रयास किया जा रहा है,
उसी प्रकार सरकारी अस्पतालों एवं अन्य सेवाओं में भी कानून लागू कर बेहतर सेवा प्रदान करना चाहिए. बैठक को भाषा के महासचिव डॉ रंजीत कुमार, कोषाध्यक्ष डॉ सुनील कुमार सिंह, डॉ उमेश प्रसाद वर्मा, पवापूरी के डॉ अशोक कुमार, राज्य कार्यकारिणी के सदस्य डॉ कन्हैया प्रसाद सिंह, आइएमए सहरसा के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ पीके मल्लिक, आइएमए के सचिव डॉ बीके यादव, डॉ अनुज कुमार, डॉ एके वर्मा, डॉ नूतन वर्मा, डॉ अवनीश कर्ण, डॉ शांति भूषण आदि चिकित्सकों ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर डॉ रागिनी भूषण, डॉ कुमारी सारिका, डॉ एके भारती, डॉ एम चौधरी,डॉ अजय कुमार सिंह, डॉ मेजर शशिभूषण,डॉ कुमार अभिषेक, डॉ संतोष झा, डॉ विकास कुमार आदि उपस्थित थे.