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प्राथमिकी दर्ज कर शांत हो जाती है पुलिस

सुपौल : सुपौल बीडीओ से रंगदारी मांगे जाने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि बुधवार को पिपरा बीडीओ ज्योति गामी से भी दूरभाष पर गाली-गलौज व धमकाने का मामला सामने आया है. इस प्रकरण के बाद जहां अधिकारियों में भय का माहौल व्याप्त है. वहीं जिले की पुलिस के लिए यह चुनौती […]

सुपौल : सुपौल बीडीओ से रंगदारी मांगे जाने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि बुधवार को पिपरा बीडीओ ज्योति गामी से भी दूरभाष पर गाली-गलौज व धमकाने का मामला सामने आया है. इस प्रकरण के बाद जहां अधिकारियों में भय का माहौल व्याप्त है. वहीं जिले की पुलिस के लिए यह चुनौती साबित हो रहा है. लोगों में यह चर्चा है कि जब अधिकारी ही सुरक्षित नहीं हैं तो फिर आम लोगों की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.

बीडीओ से रंगदारी मांगे जाने की बात कोई नई नहीं है. इससे पूर्व भी जिले में पदस्थापित कई अधिकारियों से रंगदारी व जान से मारने की धमकी दिये जाने के खुलासे के बाद तत्काल प्राथमिकी तो दर्ज कर लिया गया, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी पुलिस को मामले के उद्भेदन में सफलता हासिल नहीं हो पायी है. बीडीओ द्वय के मामले में पुलिस किसी ठोस नतीजे पर पहुंचती है अथवा इस मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है.

इससे पूर्व भी अधिकारियों को दी गयी है धमकी
फोन पर अधिकारी को धमकी देने का मामला कोई नया नहीं है. इससे पूर्व भी राघोपुर प्रखंड की तत्कालीन सीडीपीओ कुमारी सीमा को गत वर्ष मुख्यमंत्री आवास के नाम पर फोन करके धमकाया गया था. धमकी से परेशान सीडीपीओ द्वारा डीएम व एसपी से प्राण रक्षा की गुहार लगाने के बाद एसपी के आदेश पर राघोपुर थाना में प्राथमिकी तो दर्ज कर लिया गया. जांच के क्रम में डीएम के गोपनीय की संलिप्तता भी उजागर हुई,
लेकिन एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद पुलिस आज तक मुख्यमंत्री आवास के नाम पर धमकी देने वाले व्यक्ति को खोज निकालने में असफल रही है. इसी प्रकार राघोपुर प्रखंड की ही वर्तमान सीडीपीओ सीमा कुमारी को भी इसी वर्ष जनवरी माह में फोन कर जान से मारने की धमकी दी गयी थी. सीडीपीओ द्वारा स्थानीय थाना में आवेदन देकर मामला दर्ज कराया गया.राघोपुर पुलिस द्वारा प्राप्त आवेदन के आलोक में थाना कांड संख्या 02/16 दर्ज किया गया, लेकिन इस मामले में भी पुलिस को सफलता नहीं हासिल हो पायी है.
रसूख के सामने जिले की पुलिस बेबस
अधिकारियों को धमकी दिये जाने के मामलों पर यदि गौर किया जाय तो एक बात स्पष्ट हो जाती है कि रसूख के सामने जिले की पुलिस बेबस साबित हो रही है. यही वजह है कि इस प्रकार के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. राघोपुर सीडीपीओ कुमारी सीमा के मामले में भी ऐसा ही हुआ. मुख्यमंत्री आवास के नाम पर धमकी देने के मामले में तत्कालीन डीपीओ रमेश कुमार ओझा दोषी करार दिये गये थे, लेकिन उसके बाद पुलिस की कार्रवाई एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पायी. इस मामले में न तो किसी के विरुद्ध अब तक कार्रवाई की गयी है और न ही दोषियों का नाम ही उजागर किया गया है. लोगों में चर्चा है कि बीडीओ द्वय के मामले को भी प्राथमिकी दर्ज करने के बाद ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा.हालांकि पुलिस शीघ्र ही मामले के उद्भेदन का दावा कर रही है.
सक्रिय है संगठित गिरोह
कोसी क्षेत्र में अधिकारी, चिकित्सक व अन्य को फोन पर धमकी दे कर रंगदारी मांगने वालों का एक संगठित गिरोह कार्य कर रहा है. सूत्रों की मानें तो इस गिरोह में शामिल लोगों के तार दूसरे प्रदेशों से भी जुड़े हुए हैं. वहीं इनकी पहुंच ऊपर तक बतायी जाती है, लेकिन एक बात साफ है कि पुलिस यदि इस मामले को गंभीरता से लेकर तहकीकात करे तो सक्रिय गिरोह का शीघ्र ही उद्भेदन हो सकता है.
कहते हैं एसपी
ऐसा नहीं है कि पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है. सभी मामलों में कार्रवाई हो रही है. इस मामले को भी पुलिस गंभीरता से ले रही है. वैज्ञानिक अनुसंधान का सहारा लिया जा रहा है.शीघ्र ही मामले का उद्भेदन कर लिया जायेगा.

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