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परीक्षा के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़

सुपौल : शिक्षा विभाग के अधिकारियों की अदूरदर्शिता एवं मनमानी की वजह से जिला मुख्यालय के सरकारी मध्य विद्यालयों में अध्ययनरत हजारों छात्रों की पढ़ाई बाधित है. इन विद्यालयों में पदस्थापित शिक्षक बिना कोई काम किये बीइओ कार्यालय में हाजिरी बनाने के बाद छुट्टी मना रहे हैं. इसमें उन विद्यालयों के शिक्षक भी शामिल हैं, […]

सुपौल : शिक्षा विभाग के अधिकारियों की अदूरदर्शिता एवं मनमानी की वजह से जिला मुख्यालय के सरकारी मध्य विद्यालयों में अध्ययनरत हजारों छात्रों की पढ़ाई बाधित है. इन विद्यालयों में पदस्थापित शिक्षक बिना कोई काम किये बीइओ कार्यालय में हाजिरी बनाने के बाद छुट्टी मना रहे हैं. इसमें उन विद्यालयों के शिक्षक भी शामिल हैं, जिन्हें इंटरमीडिएट परीक्षा के नाम पर बंद कर दिया गया है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि जिन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है,

वहां पदस्थापित शिक्षकों की कहीं भी ड्यूटी नहीं लगायी गयी है. विद्यालय में पढ़ाई बाधित रहने के कारण नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा पर प्रश्न चिह्न लग रहा है.

निजी विद्यालय को छात्रों की है फिक्र : सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन की स्थिति दयनीय रहने के कारण ही अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को निजी विद्यालय में पढ़ाना चाहते हैं. इसकी एक वजह यह भी है कि निजी विद्यालय को छात्रों के भविष्य की अधिक चिंता रहती है. जिला मुख्यालय में कई सरकारी विद्यालयों के साथ-साथ आरएसएम पब्लिक स्कूल को भी परीक्षा केंद्र बनाया गया है.
पर, वहां परीक्षा के साथ-साथ पढ़ाई भी जारी है़ प्राचार्य डॉ विश्वास चंद्र मिश्र ने बताया कि परीक्षा अवधि में छात्रों की पढ़ाई बाधित नहीं हो, इसके लिए डीएम से अनुरोध किया गया. डीएम ने उनके अनुरोध पर कक्षा एक से पांच तक के वर्ग संचालन की अनुमति दी है. अब सवाल यह उठता है कि जब निजी विद्यालय में परीक्षा के साथ-साथ पढ़ाई भी हो सकती है, तो फिर सरकारी विद्यालयों को बिना सेंटर बनाये ही क्यों बंद कर दिया गया.

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