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सरकारी अस्पताल नहीं ले रहे रुचि

इस वित्तीय वर्ष में कुछ ही माह है बाकी, मरीज भटक रहे इधर – उधर बीमा कार्ड बनवा कर लाभुक हो रहे दोहन का शिकार पिछले वर्ष योजना के संचालन को लेकर दर्जनों अस्पताल को किया गया शामिल, जबकि इस बार महज चार सरकारी अस्पताल नहीं ले रहे रुचि लाभुकों ने लाभ पाने को लेकर […]

इस वित्तीय वर्ष में कुछ ही माह है बाकी, मरीज भटक रहे इधर – उधर

बीमा कार्ड बनवा कर लाभुक हो रहे दोहन का शिकार
पिछले वर्ष योजना के संचालन को लेकर दर्जनों अस्पताल को किया गया शामिल, जबकि इस बार महज चार
सरकारी अस्पताल नहीं ले रहे रुचि
लाभुकों ने लाभ पाने को लेकर लगाया था 30 रुपये, लेकिन उपचार पर फिर रहा पानी
योजना के तहत कंपनी को हुई करोड़ों की कमाई
सुपौल : सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे गुजर – बसर करने वाले परिवारों के लिए वर्ष 2007-08 में आरएसबीवाइ योजना बनायी गयी. उक्त योजना को एक अपैल 2008 को पूरी तरह से लागू कर दिया गया. इस योजना के तहत परिवार के मुखिया समेत पांच सदस्यों को एक वर्ष तक 30 हजार की राशि तक का मुफ्त उपचार किया जाना है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत नेशनल इंश्योरेंस एजेंसी ने वर्ष 2015-16 के तहत प्रत्येक बीपीएल धारकों से 30 रुपये लेकर उन्हें स्वास्थ्य स्मार्ट कार्ड उपलब्ध कराया. पर, विभागीय उदासीनता के कारण स्मार्ट कार्ड धारियों का उपचार नहीं हो पा रहा है.
कहते हैं कार्डधारक
स्वास्थ्य बीमा कार्ड धारकों ने बताया कि उन्हें बीमा कार्ड बनवाते समय कंपनी के प्रतिनिधियों द्वारा कहा गया था कि सरकारी योजना के तहत इस कार्ड से उनके परिवारों के पांच लोगों का 30 हजार की राशि तक का उपचार मुफ्त कराया जायेगा. आलम यह है कि बीमार से ग्रस्त मरीजों को जब स्वास्थ्य सुविधा ही उपलब्ध ना हो तो आखिर कार मरीज अपना फरियाद कहां सुनाये. आलम यह है कि सरकारी अस्पतालों में ना तो दवा उपलब्ध है और ना ही कुशल चिकित्सक. साथ ही जांच व्यवस्था की स्थिति भी दयनीय बनी हुई है. जिस कारण चिकित्सकों द्वारा अधिकांश रोगियों को अन्यत्र रेफर कर दिया जाता है.
तीन करोड़ से अधिक कंपनी को कमाई
जिले भर में बीपीएल स्वास्थ्य कार्ड बनाये पर योजना के तहत नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को कुल तीन करोड़ 19 लाख 68 हजार 600 रुपये की राशि प्राप्त होना है. जिसमें 30 रुपये के हिसाब से प्रति कार्ड धारकों का 47 लाख 95 हजार 290 रूपये तथा सरकार द्वारा 170 रुपये प्रति कार्ड के हिसाब से दो करोड़ 71 लाख 73 हजार 310 रुपये शामिल है. सूत्रों के मुताबिक इस कार्य को निबटाये जाने को लेकर जिला स्तर पर एक पांच सदस्यीय टीम का भी गठन किया गया है.
जिसमें श्रम अधीक्षक सह डीडीसी, एनडीसी सह डीएलओ, डॉ अरुण कुमार वर्मा, सहित दो अन्य सदस्य भी शामिल हैं. चिकित्सा के नाम पर इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी संबंधितों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध ना हो. सवाल उठना लाजिमी है. कई बीपीएल धारकों ने यह भी आरोप लगाया है कि पांच सदस्यीय टीम में शामिल डॉ वर्मा का निजी क्लिनिक है. जिस कारण वे बीते वर्ष शामिल सभी केंद्र को शामिल नहीं करना चाह रहे है.
आठ लाख की आबादी अस्पताल चार
उक्त योजना का समुचित लाभ मिले. इसे लेकर बीते वर्ष इस योजना के तहत इस योजना के तहत स्मार्ट कार्ड लाभुकों के सुविधा के मद्देनजर दर्जनों स्वास्थ्य संस्थान को उपचार किये जाने का अनुमति दिया गया था. जिसमें मेहता इमरजेंसी सिमराही बाजार, नीलम हेल्थ रिसर्च त्रिवेणीगंज, नगर परिषद क्षेत्र में केयर नर्सिंग होम, सूर्या हॉस्पिटल सहरसा, माता मरियम फारबिसगंज, क्रिश्चियन हॉस्पीटल, दूरवित नर्सिंग होम मधेपुरा सहित अन्य सरकारी अस्पतालों को शामिल किया गया था.
पर,इस वित्तीय वर्ष में कुछ ही माह शेष बचे हैं. बावजूद इसके गठित टीम द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है. जिस कारण जिले भर के सभी एक लाख 59 हजार 843 स्वास्थ्य कार्ड धारक बीमा के लाभ लिये जाने को लेकर दर – दर भटक रहे हैं. मालूम हो कि इस बार उक्त लाभुक के बाबत सदर अस्पताल सहित त्रिवेणीगंज व सिमराही रेफरल अस्पताल सहित निर्मली अनुमंडल में एक निजी नर्सिंग होम को कार्य करने की अनुमति दी गयी है. जबकि एक कार्ड के तहत परिवार के कुल पांच लोगों का उपचार किया जाना है.
कहते हैं दाधिकारी
उप विकास आयुक्त सह श्रम अधीक्षक हरिहर प्रसाद ने बताया कि उक्त योजना के सफल संचालन को लेकर बीते दिनों समीक्षा की गयी थी. लाभुकों के समुचित उपचार को लेकर कुछ नये अस्पतालों को चिह्नित कर चिकित्सा व्यवस्था प्रारंभ कराये जाने का निर्णय लिया गया है. जल्द समस्या दूर होगी.

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