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पुल नर्मिाण नहीं होने से बना है खतरा

पुल निर्माण नहीं होने से बना है खतरा2010 में नाव दुर्घटना में 24 लोगों की हुई थी मौत फोटो – 19कैप्सन- प्रतिनिधि, मरौना गनौरा पंचायत के ब्रह्मोत्तर घाट के समीप तिलयुगा नदी में 28 अगस्त, 2010 को हुए नौका दुर्घटना में 28 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी. बावजूद इसके विभागीय पदाधिकारियों व जन प्रतिनिधियों […]

पुल निर्माण नहीं होने से बना है खतरा2010 में नाव दुर्घटना में 24 लोगों की हुई थी मौत फोटो – 19कैप्सन- प्रतिनिधि, मरौना गनौरा पंचायत के ब्रह्मोत्तर घाट के समीप तिलयुगा नदी में 28 अगस्त, 2010 को हुए नौका दुर्घटना में 28 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी. बावजूद इसके विभागीय पदाधिकारियों व जन प्रतिनिधियों की तंद्रा टूटने का नाम नहीं ले रही है. मालूम हो कि मंगा सिहौल, गिदराही, कुआटोल आदि ग्रामवासियों को प्रखंड कार्यालय, थाना, सरकारी अस्पताल के आवागमन ब्रह्मोत्तर घाट होते हुए तिलयुगा नदी को पार करने की विवशता है. पर, पुल नहीं रहने के कारण लोगों को नाव या चचरी पुल के सहारे ही आवागमन एक मात्र विकल्प है. साथ ही इस क्षेत्र के लोगों को बाढ़ के समय इससे भी विकराल स्थिति झेलनी पड़ती है. नौका दुर्घटना में तिलयुगा नदी की उफनती धारा ने 28 अगस्त, 2010 को 28 बच्चों, बूढ़े व महिलाओं को अपने आगोश में ले लिया था. इसमें न जाने कितने बच्चे अनाथ हो गए थे. कुछ तो जीवन के प्रारंभ होने से पहले ही काल के गाल में समा गये. वर्ष 2014 में मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव, सांसद रंजीत रंजन व पदाधिकारियों की उपस्थिति में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक पुल का शिलान्यास किया था. पर, डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी पुल निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सका है. कहते हैं स्थानीय लोगस्थानीय उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि उन लोगों को आवश्यक कार्य के लिए तिलयुगा नदी को पार करना पड़ता है. पुल नहीं रहने के कारण नदी पार गमन में खतरा बना रहता है. सिय राम यादव ने कहा कि जन प्रतिनिधि द्वारा चुनाव के वक्त तो बड़े-बड़े वादे किये जाते हैं, लेकिन पुल निर्माण की दिशा में किसी प्रकार की पहल नहीं की जा रही है. युवा नेता जितेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि इतनी बड़ी दुर्घटना हो जाने के बाद भी पुल निर्माण नहीं होना काफी दुख की बात है. विभागीय पदाधिकारियों व जन प्रतिनिधियों को जल्द से जल्द पुल निर्माण की दिशा में कदम उठाना चाहिये.

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