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जिले में एक भी क्लिनिक रजस्टिर्ड नहीं

जिले में एक भी क्लिनिक रजिस्टर्ड नहीं प्रतिनिधि, सुपौल जिले में इन दिनों फर्जी डिग्री के आधार पर क्लिनिक खोल कर प्रैक्टिस करने वालों की बाढ़ सी आ गयी है. जिला मुख्यालय में ही ऐसे दर्जनों क्लिनिक संचालित किये जा रहे हैं. सबसे आश्चर्य की बात है कि जिला प्रशासन के नाक के नीचे अवैध […]

जिले में एक भी क्लिनिक रजिस्टर्ड नहीं प्रतिनिधि, सुपौल जिले में इन दिनों फर्जी डिग्री के आधार पर क्लिनिक खोल कर प्रैक्टिस करने वालों की बाढ़ सी आ गयी है. जिला मुख्यालय में ही ऐसे दर्जनों क्लिनिक संचालित किये जा रहे हैं. सबसे आश्चर्य की बात है कि जिला प्रशासन के नाक के नीचे अवैध क्लिनिक का कारोबार किया जा रहा है. इस पर प्रशासन का कोई भी अंकुश नहीं है. नतीजतन प्रतिदिन नये-नये क्लिनिक खुल रहे हैं. यदि इन क्लिनिकों की गहराई से जांच की जाये तो सभी क्लिनिक बंद हो जायेंगे. पर, अब तक प्रशासन द्वारा इस दिशा में किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा सकी है.जिले में चल रहे हैं सैकड़ों क्लिनिक जिला मुख्यालय समेत जिले के विभिन्न भागों में संचालित सैकड़ों निजी क्लिनिकों में से एक भी वैध नहीं है. सरकार द्वारा जारी निर्देश के अनुसार निजी क्लिनिक, पैथोलॉजी, प्रसूति सेंटर, एक्सरे आदि के संचालन के लिए स्वास्थ्य विभाग में निबंधन कराना आवश्यक है. पर, जिले में संचालित सैकड़ों निजी क्लिनिक, पैथोलॉजी, प्रसूति सेंटर एवं एक्सरे संचालकों द्वारा बिना निबंधन के ही अवैध तरीके से संचालन किया जा रहा है. ऐसे लोगों में प्रशासनिक कार्रवाई का भय नहीं होने का ही नतीजा है कि प्रति दिन नये-नये निजी क्लिनिक खुल रहे हैं.विज्ञापन प्रकाशित होने के बावजूद नहीं दिया आवेदन सरकार के निर्देश के आलोक में वर्ष 2014 में सिविल सर्जन कार्यालय से विज्ञापन प्रकाशित कर ऐसे संस्थानों को निबंधन कराने का निर्देश दिया गया था. इस विज्ञापन के माध्यम से कहा गया था कि अवैध रूप से क्लिनिक खोल कर प्रैक्टिस करने वालों के लिए निबंधन कराना आवश्यक है. छह माह से अधिक समय बीत जाने के बाद एक भी निजी क्लिनिकों का निबंधन नहीं हुआ है. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि निबंधन के लिए अब तक एक भी आवेदन प्राप्त नहीं हुए हैं. इससे यह स्पष्ट होता है कि इन निजी क्लिनिक चलाने वालों की सांठ-गांठ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मियों से है. यही वजह है कि ऐसे लोग खुलेआम अवैध रूप से क्लिनिक का संचालन कर न केवल सरकारी राजस्व को चूना लगा रहे हैं, बल्कि भोली-भाली गरीब जनता की जिंदगी से भी खिलवाड़ कर रहे हैं.खुद अंडर मैट्रिक करते हैं इलाज जिला मुख्यालय में ही कई ऐसे तथाकथित चिकित्सक हैं, जो मैट्रिक पास भी नहीं हैं. बावजूद इनके क्लिनिक पर लगे बड़े-बड़े बोर्डों पर एमबीबीएस, एफआरसीएस, एमडी, एमएस आदि डिग्रियों के साथ विभिनन्न रोगों को स्पेशलिस्ट बता कर लोगों को ठग रहे हैं. यह बात अलग है कि इनमें से बहुत को मेडिकल की एबीसीडी की भी जानकारी नहीं होती. कल तक दूसरे चिकित्सक के क्लिनिक पर कंपाउंडर का काम करने वाले भी आज डॉक्टर बन कर अपना निजी क्लिनिक चला रहे हैं. पर, सब कुछ जान कर भी प्रशासन अनजान बना है. यही वजह है कि इस धंधे पर रोक नहीं लग पा रही है और ऐसे लोग अपने मकसद में कामयाब हो रहे हैं.

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