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एक आयुष डॉक्टर के सहारे चल रहा है थुमहा का अतिरक्ति स्वास्थ्य केंद्र

एक आयुष डॉक्टर के सहारे चल रहा है थुमहा का अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र फोटो-08,कैप्सन- अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र थुमहा.प्रतिनिधि, पिपरा प्रखंड के थुमहा स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जिस पर प्रखंड क्षेत्र की आधी से ज्यादा आबादी की स्वास्थ्य व्यवस्था निर्भर है. हाल के दिनों में पदस्थापित एक आयुष चिकित्सक सुरेश राम के सहारे अस्पताल चल […]

एक आयुष डॉक्टर के सहारे चल रहा है थुमहा का अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र फोटो-08,कैप्सन- अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र थुमहा.प्रतिनिधि, पिपरा प्रखंड के थुमहा स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जिस पर प्रखंड क्षेत्र की आधी से ज्यादा आबादी की स्वास्थ्य व्यवस्था निर्भर है. हाल के दिनों में पदस्थापित एक आयुष चिकित्सक सुरेश राम के सहारे अस्पताल चल रहा है. उन्हें अंग्रेजी दवा भी लिखनी पड़ती है. इसे यूं कहे कि यहां पदस्थापित डॉक्टर को ऑलराउंडर की भूमिका निभानी पड़ती है. कहने के लिए पिपरा स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित डॉ बीबी सिंह को सप्ताह में दो दिन यहां आ कर मरीजों को देखना है. इनका इस स्वास्थ्य केंद्र में बोर्ड भी लगा है, लेकिन यह केवल कहने के लिए है, चिकित्सक बैठते नहीं हैं. लचर चिकित्सा व्यवस्था के कारण यहां के लोगों को सदर अस्पताल सुपौल व प्रखंड मुख्यालय स्थित स्वास्थ्य केंद्र का रुख करना पड़ता है. इसके चलते यहां के लोगों को स्वास्थ्य लाभ के लिए 16 किलो मीटर सुपौल व पांच किलो मीटर पिपरा की दुरी तय कर जाना पड़ता है. जबकि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अब अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र को दर्जा मिल गया है. जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिपरा के अधीन कर दिया गया है. बावजूद यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था यहां के लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. आज सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था की बेहतरी के लिए निजी मेडिकल कॉलेज, स्पेश्यलिटी, सुपर स्पश्यलिटी व मल्टी स्पेश्यलिटी व सुपर स्पेश्यलिटी अस्पताल खोलने की बात कर रही है. लेकिन इस अस्पताल के बदहाली पर किसी की नजर नहीं पर रही है.आठ पंचायत की स्वास्थ्य व्यवस्था इसी पर निर्भर है प्रखंड अंतर्गत कुल 16 पंचायत है जिसमें जिसमें आठ पंचायत के लोगों को इसी अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र का सहारा लेना पड़ता है. जिसमें थुमहा, दीनापट्टी, सखुआ, रतौली-जरौली, कटैया रही, निर्मली, पथरा उत्तर एवं दक्षिण, तुलापट्टी, राम नगर, कौशली पट्टी सहित मधेपुरा जिले के दाहा-बभनी व अन्य गांव शामिल हैं. बावजूद यहां की चिकित्सा व्यवस्था में सुधार की दिशा में विभागीय अधिकारियों की नजर नहीं पर रही है. और उक्त पंचायत के लाखों की आबादी का स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान के भरोसे है. कहते है प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी प्रखंड मुख्यालय के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक डा जेपी साह ने बताया कि यहां आयुष चिकित्सक के अलावा एक एएनएम, व एक चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी यहां पदस्थापित हैं. जिसके सहारे यह अस्पताल चल रहा है. श्री साह ने बताया कि कर्मियों की कमी के बावजूद किसी तरह मैनेज करके मरीजों का इलाज किया जा रहा है. जबकि आउट सोर्सिंग का काम एनजीओ द्वारा किया जा रहा है. कहते हैं स्थानीय लोग सुकदेव शर्मा बताते हैं कि सुपौल जिला के अस्तित्व में आने से पूर्व यह अस्पताल सहरसा जिला के अहम अस्पतालों में से एक था. अब जबकि इस अस्पताल के बगल से स्टेट हाई वे से एन एच में परिवर्तित हो गया है. रोड के निर्माण के बाद इस क्षेत्र में रोड दुर्घटना की समस्या बढ़ रही है. पुराना अस्पताल होने के कारण इसकी स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ गयी है.नूनू लाल ठाकुर कहते हैं अस्पताल की हालत उप स्वास्थ्य केंद्र से भी बदतर हो गयी है. छोटी सी बीमारी में भी लोगों को सदर अस्पताल सुपौल व पिपरा पीएचसी की शरण में जाना पड़ता है. प्रो मनी भूषण चौधरी का कहना है कि इस अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था लचर होने से मरीजों को खासी परेशानी झेलनी पड़ती है. अब तो यहां के लोगों का भगवान ही मालिक है.मुकुंद चौधरी ने बताया कि सबसे ज्यादा समस्या यहां के महिला मरीजों को उठानी पड़ती है. प्रसव व अन्य तरह की बीमारी जिसमें डाॅक्टर के सलाह की अविलंब आवश्यकता होती है. उस दौरान भी लोगों को सुपौल और पिपरा जाना पड़ता है.

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