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खूंट गांव के लोग महापर्व पर दिखे मायूस

जदिया : त्रिवेणीगंज प्रखंड के कोरियापट्टी पंचायत स्थित चार हजार की आबादी वाला खूट गांव के अधिकतर लोगों ने वोट वहिष्कार कर स्थानीय जन प्रतिनिधियों की नींद उड़ा दी. हालांकि प्रशासन के काफी मशक्कत के बाद बूथ संख्या 194 पर 1174 मतदाताओं में से 256 व बूथ संख्या 195 पर 703 मतदाताओं में से 226 […]

जदिया : त्रिवेणीगंज प्रखंड के कोरियापट्टी पंचायत स्थित चार हजार की आबादी वाला खूट गांव के अधिकतर लोगों ने वोट वहिष्कार कर स्थानीय जन प्रतिनिधियों की नींद उड़ा दी.

हालांकि प्रशासन के काफी मशक्कत के बाद बूथ संख्या 194 पर 1174 मतदाताओं में से 256 व बूथ संख्या 195 पर 703 मतदाताओं में से 226 मतदाताओं ने अपने मतों का प्रयोग किया. जिले में 60 प्रतिशत से भी अधिक लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया. चार हजार की आवादी वाला यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. यहां अधिकतर अल्पसंख्यक, अत्यंत पिछड़ी व महादलित समुदाय के लोग निवास करते हैं.

ज्ञात हो की तीन भागों में विभक्त खूट गांव के लोग आज भी सड़क, बिजली, स्वच्छ पेयजल एवं स्वास्थ्य सुविधा से वंचित हैं. युवाओं ने बनायी कमेटीदेश को आजाद हुए 68 वर्ष बीत गये लेकिन यहां के लोगों की स्थिति में किसी प्रकार का सुधार नहीं हुआ. देश आज 21वीं सदी में पहुंच चुका है. आस -पड़ोस के पंचायतों की स्थिति को देख युवाओं ने 10 अप्रैल को ग्रामीण युवक संघ गठन कर 13 अप्रैल को स्थानीय थाने के गेट पर एक दिवसीय धरना दिया.

22 अप्रैल को अनुमंडल मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन किया. धरना के बादअनुमंडल पदाधिकारी सहित सांसद, विधायक ने गांव का दौरा कर समस्या के समाधान का आश्वासन दिया. पर, माह बीत जाने के बाद भी समस्या जस की तस बनी रही. नतीजा यह है की यहां के लोगों को गांव से बाहर निकलने के लिए गड्डेनुमा कच्ची सड़क तथा सुरसर नदी पर बने बांस की चचरी को पार कर आवागमन करने की मजबूरी बनी हुई है.

इस चचरी का निर्माण भी ग्रामीणों ने ही किया है. दो नदियों के बीच घिरा है खूट गांवकोरियापट्टी पश्चिम पंचायत के मध्य से सुरसर व छुरछुरिया नदी गुजरती है. इस कारण यह पंचायत तीन भागों में विभक्त है. दो नदियों के बीच घिरे रहने से यहां निवास करने वाले कड़ी मेहनत के बावजूद आर्थिक रूप से काफी पिछड़े हैं. सरकारी स्तर पर इनकी स्थिति में सुधार के लिए किसी प्रकार का प्रयास नहीं किया गया.

है. दूल्हा-दुल्हन पैदल पहुंचते हैं गांव आपातकालीन स्थिति में मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए खटिया का सहारा लेना पड़ता है. तो शादी के समय दूल्हा-दुल्हन को पैदल चचरी पुल पार करने की विवशता बनी रहती है. स्थानीय युवाओं द्वारा प्रखंड से अनुमंडल स्तर तक आंदोलन किया गया.

आंदोलन के दौरान अधिकारी व जनप्रतिनिधियों द्वारा समस्या के समाधान का आश्वासन भी दिया गया, जिस पर आज तक अमल नहीं किया गया है. स्थानीय लोगों की प्रतिक्रियाप्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ग्रामीण युवक संघ के अध्यक्ष अरुण कुमार ने बताया कि गुरुवार को जिस तरह अधिकारी से लेकर प्रतिनिधि ने वोट बहिष्कार के निर्णय को वापस लेने का प्रयास किया. इतना ही प्रयास खूट गांव के विकास के लिए करते, तो सचमुच खूट में भी आज विकास की रोशनी होती.

अमीर मल्लाह ने कहा कि हम 21वीं सदी में हैं. गांव का विकास नहीं होगा, तो आगे भी आंदोलन जारी रहेगा. दीपक पौद्दार ने कहा की आजादी के 68 वर्ष बीत जाने के बाद भी हमलोग नारकीय जिंदगी जीने को विवश है.अशोक मल्लाह ने कहा की हमारे बाप-दादा इस तरह की जिंदगी जी लिये, लेकिन हम विकास के लिए आंदोलन करेेंगे.

पप्पू यादव ने कहा की अगर समस्या का निदान नहीं हुआ, तो हमलोग जिला स्तर पर भी धरना-प्रदर्शन करेंगे. अरविंद कुमार ने कहा की विकास के लिए हम संघर्ष को जारी रखेंगे. मो औबेदुल्ला ने कहा की आज तक जनप्रतिनिधियों ने हमें ठगा है. अब हम जग गये हैं. विकास के लिये निरंतर प्रयास किया जायेगा. प्रमोद कुमार ने कहा की चारों बगल चकाचक सड़कें बन गयी हैं, लेकिन खूट गांव आज भी लालटेन युग में है. इसके लिए आंदोलन ही एक रास्ता बचा है.

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