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तेज हुई चुनावी सरगरमी, गांव की गलियों के खाक छान रहे प्रत्याशी

तेज हुई चुनावी सरगरमी, गांव की गलियों के खाक छान रहे प्रत्याशी प्रतिनिधि, सुपौल विधान सभा चुनाव की सरगरमी जिले में परवान चढ़ने लगी है. नामांकन वापसी के बाद विजया दशमी संपन्न होने के साथ ही फिजा में चुनावी रंग घुलना शुरू हो गया है. ऑटो व अन्य वाहनों पर बंंधे भोपू द्वारा चुनावी प्रचार […]

तेज हुई चुनावी सरगरमी, गांव की गलियों के खाक छान रहे प्रत्याशी प्रतिनिधि, सुपौल विधान सभा चुनाव की सरगरमी जिले में परवान चढ़ने लगी है. नामांकन वापसी के बाद विजया दशमी संपन्न होने के साथ ही फिजा में चुनावी रंग घुलना शुरू हो गया है. ऑटो व अन्य वाहनों पर बंंधे भोपू द्वारा चुनावी प्रचार प्रारंभ हो गया. वहीं प्रत्याशियों ने भी शहर की सड़कों के साथ ही गांव की गलियों का खाक छानना प्रारंभ कर दिया है. विभिन्न दलों व प्रत्याशियों के कार्यालय भी खुल गये हैं. जहां दिन रात गहमा गहमी देखी जा रही है. प्रत्याशी द्वारा चुनावी प्रचार हेतु एंडी चोटी का पसीना एक किया जा रहा है. शाम ढ़लते ही कार्यालयों में चुनावी रणनीति बननी प्रारंभ हो जाती है. कल कौन कार्यकर्ता किस गाड़ी से किधर निकलेंगे, यह भी तय होता है. गांव व टोले के भ्रमण हेतु टोली का चुनाव किया जाता है. इस चयन में टोले के समुदाय के हिसाब से कार्यकर्ताओं का निर्धारण किया जाता है. उक्त कार्य में जाति व समुदाय का विशेष ख्याल रखा जाता है. ताकि वे उस टोले में प्रभावी भूमिका निभा सके. रात में ही प्रत्याशी के अगले दिन का कार्यक्रम भी तय होता है. जिला मुख्यालय व शहरी क्षेत्र के प्रत्याशी अहले सुबह का समय स्थानीय वार्ड व मुहल्ले के मतदाताओं से संपर्क के लिए उपयोग करते हैं. फिर जलपान के बाद वे लक्ष्य की ओर निकल पड़ते हैं. धूल उड़ाती गाडि़यों का काफिला ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचती है. फिर शुरू होता है डोर टू डोर संपर्क अभियान. हाथ जोड़े प्रत्याशी हरेक मतदाता का आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं. कोसी तटबंध के भीतर व खराब सड़कों वाले गांव में मोटर साइकिल का भी सहारा लिया जा रहा है. आम तौर पर एसी में रहने वाले नेताओं की हालत देखते ही बन रही है. धूल भरी सड़कों पर उनके पसीने छूट रहे हैं. बावजूद अगले पांच वर्षों के लिए सत्ता पाने की होड़ में वे कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं. आम तौर पर दर्शन दुर्लभ रहने वाले नेता भी गरीब व पिछड़े मतदाताओं के आगे सिर झुका कर समर्थन पाने की गुहार लगा रहे हैं. अनजान लोगों को भी भाई व चाचा जैसे संवोधनों से अभिभूत किया जा रहा है. इन सबके बीच मतदाताओं की चुप्पी प्रत्याशियों की परेशानी का सबब बना हुआ है. क्षेत्र में पांच नवंबर को मतदान होना है.बहरहाल समय के साथ जागरूक हुए मतदाता तुम्हारी भी जय- जय और हमारी भी जय – जय की नीति पर सभी को अपना समर्थन देते प्रतीत होते हैं.

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