वीरपुर वासियों के लिए शुद्ध पेयजल आज भी सपना फोटो-15,16कैप्सन- बेकार पड़ा जल मीनार और क्लीट्रेशन यूनिट. प्रतिनिधि, बसंतपुर आजादी के 68 वर्ष बाद भी देश में बनी किसी सरकार ने वीरपुर के लोगों को जीवन देने वाली शुद्ध पानी तक मुहैया नहीं करा सकी. सरकारी स्तर पर हर घर स्वच्छ पेय जल आपूर्ति कराये जाने को लेकर कई योजनाएं बनी. लेकिन आम लोगों के नसीब में शुद्ध पेय जल आज भी एक सपना ही है. अब चुनावी मौसम में विभिन्न पार्टियां आम मतदाताओं को लुभाने के लिए वोट के बदले अपनी सरकार बनने पर आरओ प्यूरिफाइड वाटर देने के चुनावी वादे भी कर रहे हैं. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि 60 के दशक से शुद्ध पेय जल मुहैया कराने की दिशा में केवल बयान बाजी ही होती रही है. लेकिन इस के उपाय आज तक नहीं किये गये हैं. जल क्लीट्रेशन यूनीट पड़ा है बेकार कोसी बराज के निर्माण के समय कोसी परियोजना के अधीन कार्य करने वाले अधिकारी, कर्मचारी सहित आम लोगों के लिए भी कोसी के स्थापना काल में शुद्ध जल मुहैया कराने के लिए पानी क्लिट्रेशन यूनिट की स्थापना की गयी थी. जिससे लगभग 1990 तक लोगों को प्रत्येक क्वाटर तक पाइप के माध्यम से शुद्ध जल मुहैया करायी जाती थी. कुसहा त्रासदी के बाद 750 करोड़ की लागत से कोसी पुर्नस्थापना का कार्य किया गया. जिसमें कोसी के पुराने कार्यालय को तोड़ कर नये अलिसान भवन का निर्माण तो कराया जा रहा है. नहर और पुल -पुलियों का निर्माण तो कराया गया. लेकिन इस पुराने पानी पिल्ट्रेसन यूनिट जो महज कुछ लाख रुपये खर्च कर चालू किया जा सकता था. लेकिन इसके तरफ किसी ने अपना ध्यान देना जरुरी नहीं समझा. क्या कहते हैं डॉक्टर आम लोगों को शुद्ध पानी भी आजादी के 68 वर्ष बाद भी नसीब नहीं है. दूषित पानी पीने के कारण आम लोग कई गंभीर बीमारी के शिकार हो रहे हैं. वीरपुर ललित नारायण मिश्र अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डा वीरेंद्र प्रसाद बताते हैं कि दूषित पानी पीने से डायरिया, उल्टी, जोंडिंस, पिलिया, बुखार , लिवर जनित कई बीमारियों के साथ पेट की समस्या इस क्षेत्र में रहने वाले मरीजों में प्राय: देखी जाती है. जिसका मुख्य कारण है शुद्ध पानी की अनुपलब्धता. क्या कहते है अधिकारी लोगों को शुद्ध पेय जल मुहैया कराने को लेकर सरकारी स्तर पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के साथ कई अन्य मद् से आम लोगों को शुद्ध पेय जल मुहैया कराने के नाम पर कई योजनाएं चलायी गयी है या चलायी जा रही है. शुद्ध पानी लोगों तक पहुंचाने के नाम पर पानी के तरह ही पैसा भी बहाया गया , तक शुद्ध पानी नहीं पहुंच सका. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग सुपौल के कार्यपालक अभियंता मनीष कुमार भी मानते हैं कि आम आदमी के पीने लायक पानी में आयरन का मात्रा 0.3 मिली ग्राम होना चाहिए जो एक मिली ग्राम से अधिक इस इलाके के पानी में है. साथ ही पानी का पीएच 66:30 से 8:30 तक होना चाहिए. जो काफी अधिक है. फिर भी हम लोगों तक शुद्ध जल पहुंचने का प्रयास कर रहे है हैं. वहीं कोसी जल फिल्ट्रेशन इकाई के पुर्नस्थापना के सवाल पर कार्यपालक अभियंता शीर्ष कार्य प्रमंडल विमल कुमार बताते हैं कि शुद्ध पानी कोसी के क्वाटरों से लेकर आम लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेवारी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की है. अगर हम लोगों द्वारा विभाग को इस कार्य के लिए प्रस्ताव भी भेजा जायेगा तो सरकार इस मद में एक भी पैसा नहीं देगी. बहरहाल शुद्ध पेय जल लोगों के जीवन का जरूरी हिस्सा ही नहीं है. आम लोगों के जिंदगी की जरूरत भी है. सरकारी स्तर पर एक विभाग दूसरे विभाग पर अपनी जिम्मेवारी थोप कर भले ही अपना पल्ला झाड़ ले. लेकिन इस बार जनता भी शुद्ध पेय जल के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना चुकी है. यही कारण है कि आम लोगों ने अब कहना शुरू कर दिया है कि वोट लेना है, तो पहले शुद्ध पानी दो फिर वोट लो.
वीरपुर वासियों के लिए शुद्ध पेयजल आज भी सपना
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