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किताबें हमें जीवन का कला सीखाती है :डीएम

सुपौल: पुस्तकों के बिना जीवन अधूरा है. अगर आप जीवन की गहराई में जायें, तो पुस्तकों से सच्चा कोई मित्र नहीं हो सकता. किताबें हमें जीवन की कला सिखाती हैं और हमारा मार्गदर्शन भी करती हैं. यह बातें डीएम लक्ष्मी प्रसाद चौहान ने गुरुवार को जिला मुख्यालय में राष्ट्रीय सार्वजनिक मेला समिति द्वारा आयोजित पुस्तक […]

सुपौल: पुस्तकों के बिना जीवन अधूरा है. अगर आप जीवन की गहराई में जायें, तो पुस्तकों से सच्चा कोई मित्र नहीं हो सकता. किताबें हमें जीवन की कला सिखाती हैं और हमारा मार्गदर्शन भी करती हैं. यह बातें डीएम लक्ष्मी प्रसाद चौहान ने गुरुवार को जिला मुख्यालय में राष्ट्रीय सार्वजनिक मेला समिति द्वारा आयोजित पुस्तक मेला का उद्घाटन करते हुए कहीं. डीएम ने मेला के आयोजक सोहन सादा के पहल की प्रशंसा करते कहा कि वे कोसी साहित्य सदन के तहत पूरे प्रमंडल में अक्सर पुस्तक मेला का आयोजन कर किताबों के प्रति लोगों में अलख जगाने का काम कर रहे हैं, जो प्रशंसनीय है.

साहित्यकार डॉ सुभाष चंद्र यादव ने कहा कि पुस्तक मेले में साहित्य, राजनीति एवं अध्यात्म से जुड़ी किताबें उपलब्ध हैं. मैथिली के कवि एवं कथाकार केदार कानन ने कहा कि कोसी के पिछड़े इलाके में भी पुस्तक मेला लगा कर आयोजक ने लोगों को किताबों से जोड़ने का महत्वपूर्ण काम किया है.

आरएसएम स्कूल के प्राचार्य वीसी मिश्रा ने कहा कि पुस्तक के माध्यम से लोगों की रुचि परिवर्तन का कार्य सराहनीय है. इस दौरान डीएम ने बाबा नागार्जुन द्वारा लिखित पुस्तक नई पौध, फणीश्वर नाथ रेणु रचित नेपाली क्रांति कथा समेत अन्य कई पुस्तकें भी खरीदीं. पुस्तक मेले में मुंशी प्रेमचंद, रवींद्र नाथ ठाकुर, रामधारी सिंह दिनकर, अमृत लाल नागर, आचार्य चतुर सेन, मैत्रेयी पुष्पा आदि साहित्यकारों की पुस्तकों के अलावा बच्चों के लिए लाभकारी हजारों पुस्तक उपलब्ध हैं. इस अवसर पर मेला संवेदक हंसराज यादव, मनोज झा उपस्थित थे.

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