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सेवा निवृत्ति के एक सप्ताह पहले एडीएम निलंबित

तत्कालीन अपर समाहर्ता पर गिरी विभागीय गाज सुपौल : भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी लिपिकों को बचाने के प्रयास की कवायद जिले के तत्कालीन अपर समाहर्ता शशि भूषण पाठक को महंगा साबित हुआ. मामले में सेवा निवृत्ति के एक सप्ताह पहले उन्हें निलंबित कर दिया गया और इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने श्री पाठक […]

तत्कालीन अपर समाहर्ता पर गिरी विभागीय गाज
सुपौल : भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी लिपिकों को बचाने के प्रयास की कवायद जिले के तत्कालीन अपर समाहर्ता शशि भूषण पाठक को महंगा साबित हुआ.
मामले में सेवा निवृत्ति के एक सप्ताह पहले उन्हें निलंबित कर दिया गया और इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने श्री पाठक के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. इस संबंध में जिला स्थापना के वरीय उप समाहर्ता धर्मेश कुमार सिंह को उपस्थापन पदाधिकारी मनोनीत करते हुए आरोप से संबंधित कागजातों के साथ 23 जनवरी को पटना तलब किया गया है.
वहीं भ्रष्टाचार के खिलाफ सामान्य प्रशासन विभाग का डंडा जिले में गत वर्ष तक पदस्थापित वरीय उप समाहर्ता विजय कुमार के खिलाफ भी चला है. उन पर बतौर बीडीओ रहते हुए एक ही परिवार के दो व्यक्ति को इंदिरा आवास आवंटित करने का आरोप सही पाया गया. राज्य सरकार ने उनके दो वेतन वृद्धि पर रोक लगा दिया है.
क्या है मामला
वर्ष 2006 में समाहरणालय स्थित डीआरडीए कार्यालय में निगरानी विभाग द्वारा छापा मारा गया. छातापुर प्रखंड के उधमपुर पंचायत के तत्कालीन मुखिया महानंद यादव ने निगरानी विभाग से शिकायत किया था कि प्रति इंदिरा आवास के एवज में डीआरडीए द्वारा पांच हजार रुपये की अवैध वसूली की जा रही है. छापेमारी में उस समय इंदिरा आवास से जुड़ी रिश्वत की राशि डीआरडीए कार्यालय के आलमीरा से बरामद हुई थी.
इस मामले में उप विकास आयुक्त के आशु लिपिक चंद्रहास वर्मा और डीआरडीए के लिपिक प्रभाकर लाल दास को रिश्वत कांड का सह आरोपी बनाया गया था. इन दोनों पर विभागीय कार्रवाई के लिए तत्कालीन एडीएम श्री पाठक को जांच पदाधिकारी बनाया गया. श्री पाठक ने दोनों को जांच प्रतिवेदन में निदरेष बताया. सरकार ने जब समीक्षा की तो जांच पदाधिकारी के जांच प्रतिवेदन को गलत मानते हुए उन्हें दोनों लिपिक को बचाने का दोषी ठहराया.
क्या हुई अब तक कार्रवाई
राज्य सरकार ने श्री पाठक के जांच को गलत ठहराते हुए जहां प्रभाकर लाल दास को सेवा निवृत्ति से एक दिन पूर्व बरखास्त कर दिया. वहीं सेवा निवृत्त हो चुके चंद्रहास वर्मा का पेंशन जब्त कर लिया. तत्कालीन एडीएम श्री पाठक 31 दिसंबर 2014 को वित्त विभाग के संयुक्त सचिव पद से निलंबन के दौरान ही सेवा निवृत्त हो चुके हैं.

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