Advertisement
दशकों पुराने हैं पुल, हो सकता है हादसा
सुपौल : किसी भी क्षेत्र के विकास में सड़क और पुल-पुलिया का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है. सड़क बनने से जहां आवागमन दुरूस्त हो जाती है. वहीं कई बाजारों के आपस में जुड़ जाने के कारण व्यापार के अन्य अवसर भी खुल जाते हैं. लिहाजा सड़क, पुल व पुलिया का विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा […]
सुपौल : किसी भी क्षेत्र के विकास में सड़क और पुल-पुलिया का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है. सड़क बनने से जहां आवागमन दुरूस्त हो जाती है. वहीं कई बाजारों के आपस में जुड़ जाने के कारण व्यापार के अन्य अवसर भी खुल जाते हैं. लिहाजा सड़क, पुल व पुलिया का विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. लेकिन इन दिनों जिले में कई ऐसे पुल हैं जो विभागीय उदासीनता के कारण जर्जर अवस्था में पहुंचने लगी है.
निकट भविष्य में अगर इन पुलों पर समुचित ध्यान नहीं दिया जा सका तो परेशानी आने की प्रवल संभावना बन सकती है. इतना ही नहीं कभी भी कोई बड़ा हादसा घट सकता है. जिले में ऐसे कई पुल है जिसका निर्माण पांच दशक या इससे भी अधिक समय का रहा है. लेकिन इन जर्जर पुलों को हटाया नहीं गया बल्कि मामूली तरीके से मरम्मति के बाद आवागमन के लिये चालू कर सरकार के नुमाइंदे गहरी नींद सो गये. वैसे भी विकास के इस दौर में सड़कों और पुलों का जाल बिछा दिया गया. लेकिन ऐसे कई पुल अभी भी मौजूद है जिन्हें हटाया नहीं गया जो हादसे का कारण भी बन रही है. इन पुलों में एनएच 327 ई पर बघला पुल, दीनापट्टी पुल, निर्मली पुल सहित एनएच 106 पर कटैया पावर हाउस के निकट पिपरा के कमलपुर का पुल, श्याम नगर का पुल शामिल है. इसके अलावे प्रतापगंज, त्रिवेणीगंज, निर्मली, राघोपुर सहित अन्य सड़कों पर बने अधिकांश पुलों की भी कमोवेश यही हाल है. इन पुलों पर आवागमन करने पर कभी भी दुर्घटना हो सकता है. आवागमन के लिहाज से ही नहीं बल्कि सीमावर्ती क्षेत्र होने से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इन पुलों से प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में भारी वाहन गुजरते है.
विभागीय कार्यशैली का पोल खोल रहा जर्जर पुल
जिले की मुख्य सड़क मानी जाने वाली एनएच 106 और 327 ई की पुलें जिले की लाइफ लाइन कहलाती है. विभागीय नियमों की बात करें तो इन पुलों की उम्र सीमा तकरीबन 30 से 50 वर्ष है. जबकि इनका निर्माण 50 वर्षो पूर्व किया गया. अंदाज लगाया जा सकता है कि इन पुलों की हालत क्या होगी. सबसे बड़ी बात राज्य सरकार के अधीन पीडब्लूडी द्वारा कई पुलों का निर्माण कराया गया. सरकार द्वारा पुल निर्माण विभाग को अलग गठित कर नये अंदाज में पुलों के विकास को लेकर कार्यभार सौंपा गया. अब जबकि जिले में सड़कों को लेकर कार्य गति तेजी से चल रहा है. कई स्थानों पर सड़क के साथ-साथ पुलों को भी बदला जा रहा है. वहीं कई जगहों पर पुल को नहीं बदला गया. जिले के लोगों का कहना है कि जब तक कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हो जाती तब तक विभाग इन पुलों पर ध्यान नहीं देगा. लेकिन इनके निर्माण के पीछे मौजूद सरकारी महकमे की जिम्मेवारी कौन तय करेगा, जिनकी अनदेखी लोगों की जान पर बन आये. वीरपुर जैसे सुदूरवर्ती इलाके के लोगों के लिये जिला मुख्यालय पहुंचने के लिये एनएच 106 आवागमन के लिये काफी महत्वपूर्ण है. इसके अलावा बिहपुर से वीरपुर, सहरसा से वीरपुर जाना हो तो एक मात्र यही मुख्य रास्ता है. जिस होकर राहगीरों को गुजरना पड़ता है. लेकिन पुलों की दुर्दशा के बाबत जर्जर पुराने उम्रदराज पुलों को अब तक नहीं बदलना भी विभाग की कार्यशैली की पोल खोलने के लिये काफी है.
जर्जर पुलों पर भारी वाहनों का होता है परिचालन
बूढ़े पुलों पर आवाजाही की रफ्तार थमती नजर नहीं आ रही है. तेजी से बदल रहे इस दुनिया में दिन ब दिन वाहनों की रफ्तार भी बढ़ गयी है. लेकिन बूढ़े पुलों पर किसी की नजर आज तक नहीं पड़ी. जिले में दर्जनों ऐसे पुल है जिसकी आयु करीब समाप्त हो चुकी है. सिर्फ समाप्त ही नहीं कुछ ऐसे पुल भी है जो अपने आयु से कई वर्ष पुराने हो गये हैं. बावजूद इस दिशा में विभागीय पहल नहीं की जाती है. जाहिर है आयु सीमा समाप्त कर चुके पुल पर भारी वाहनों की धड़ल्ले से आवाजाही एक दिन बड़ी दुर्घटना को आमंत्रण दे सकती है. जानकारों का कहना है कि प्रत्येक पुल की आयु करीब 25 से 30 वर्ष की होती है. जबकि जिले के एनएच 106 और एनएच 327 ई पर दर्जन से ज्यादा ऐसे पुल है जो आज भी जो 50 वर्ष के आयु सीमा को भी पार कर चुकी है. बूढ़े हो चुके पुल पर हर रोज हजारों भारी वाहनों का परिचालन होता रहता है. जिसके चलते ये पुल और जर्जर होती जा रही है और पुराना हो चुका है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement