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ऐतिहासिक जगतपुर डाक बंगला बन गया है भूत बंगला, देखने वाला कोई नहीं

बेकार पड़ी है डाक बंगला की तीन एकड़ जमीन अनुपयोगी साबित हो रहा है परिसर में निर्मित सामुदायिक भवन ऐतिहासिक स्थल को संजोने एवं उपयोगी बनाने की उठ रही मांग 101 वर्ष पुराने इस धरोहर ने अपने अंदर एक लंबा-चौड़ा इतिहास समेटे है सुपौल : स्वतंत्रता सेनानियों के लिये प्रसिद्ध गोठबरुआरी पंचायत स्थित जगतपुर गांव […]

बेकार पड़ी है डाक बंगला की तीन एकड़ जमीन

अनुपयोगी साबित हो रहा है परिसर में निर्मित सामुदायिक भवन
ऐतिहासिक स्थल को संजोने एवं उपयोगी बनाने की उठ रही मांग
101 वर्ष पुराने इस धरोहर ने अपने अंदर एक लंबा-चौड़ा इतिहास समेटे है
सुपौल : स्वतंत्रता सेनानियों के लिये प्रसिद्ध गोठबरुआरी पंचायत स्थित जगतपुर गांव कई मायनों में जिले के लिये एक बड़ा धरोहर है. आजादी के आंदोलन में गांव के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की स्वाधीनता के लिये लड़ाई लड़ी थी. आजादी के समय की कुछ निशानी आज भी यहां मौजूद है. जिसमें प्रमुख रूप से अंग्रेजों के जमाने का बना डाक बंगला शामिल है. जगतपुर गांव सहित आसपास के वृद्ध व प्रबुद्धजनों का कहना है कि उक्त डाक बंगला भवन का निर्माण 1917 में किया गया था. 101 वर्ष पुराने इस धरोहर को देखकर ही एहसास होता है कि उक्त स्थल अपने अंदर एक लंबा-चौड़ा इतिहास समेटे हुआ है.
मूल रूप से यह डाक बंगला आजादी से पूर्व अंग्रेज अफसरों का आरामगाह एवं कार्यस्थली था. ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि जगतपुर व इसके आसपास बड़ी संख्या में स्वतंत्रता सेनानियों की उपस्थिति रहने की वजह से अंग्रेजों ने इस ग्रामीण क्षेत्र में अपना ठिकाना बनाया था. ताकि स्वतंत्रता आंदोलन पर अंकुश लगाया जा सके. यह दीगर बात है कि आजादी के दिवानों के आगे अंग्रेजी सरकार की एक नहीं चली. देश आजाद हुआ, अंग्रेज चले गये लेकिन उनकी निशानी आज भी यहां मौजूद है.
जर्जर हो रहा ऐतिहासिक डाक बंगला
लोग बताते हैं कि आजादी से पहले अंग्रेज अफसरों के साथ ही उनकी गोरी मैम भी यहां रहती थी. परिसर में कई प्रकार के महत्वपूर्ण संरचना के साथ-साथ अंग्रेजों के घोड़े को रहने के लिये अलग घर (अस्तबल) का निर्माण किया गया था. जिसकी निशानी आज भी डाक बंगला परिसर में मौजूद है. जगतपुर गांव के डीह टोला वार्ड नंबर 11 में अवस्थित खंडहरनुमा डाक बंगला भवन समय के साथ धीरे-धीरे जर्जर होता जा रहा है. आलम यह है कि इस ऐतिहासिक धरोहर का जल्द जीर्णोंद्धार नहीं किया गया तो अंग्रेजों के काल का यह यादगार भवन कुछ दिनों में जमींदोज हो जायेगा.
लेकिन दुख की बात है कि उक्त धरोहर को जीवित रखने के हेतु प्रशासन, जनप्रतिनिधि व सरकार के नुमाइंदे उदासीन हैं. यदि सरकार भवन को सजाने व संवारने में ध्यान दे तो यह आय का भी एक अच्छा स्त्रोत हो सकता है ़ वहीं इस बेसकीमती भूमि पर अवैघ रूप से लोग अपने घरेलू व्यवहार में ला रहे हैं जो कि कानूनी रूप से गलत है ़ लेकिन इस ओर किसी पदाधिकारी का ध्यान नहीं जाने की वजह से ऐसे लोगों की चांदी कट रही है ़ और इमारत अपने दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है ़
कहते हैं अधिकारी
इस बाबत पूछे जाने पर उप विकास आयुक्त डॉ नवल किशोर चौधरी ने कहा कि डाक बंगला के जीर्णोद्धार व सामुदायिक भवन के संबंध में विचार किया जायेगा. बताया कि परिसर की जमीन की पहले बंदोबस्ती होती थी. लेकिन पिछले वर्ष से बंदोबस्ती नहीं हुई है. डाक बंगला में बावजूद अवैध रूप से फसल उपजाने वाले लोगों से बंदोबस्ती शुल्क वसूल किया जायेगा एवं कार्रवाई की जायेगी. यदि अवैध रूप से खेती कर रहे लोग खुद नहीं हटते हैं तो उनपर कड़ी कार्रवाई की जायेगी ़ उक्त स्थल का पुराना वैभव वापस लाने का प्रयास किया जायेगा ़
ग्रामीणों ने बताया कि डाक बंगला परिसर में कुल तीन एकड़ जमीन है.
जहां कुछ वर्ष पूर्व जिला परिषद के द्वारा एक सामुदायिक भवन का भी निर्माण किया गया था. जो बेकार पड़ा हुआ है. ग्रामीणों ने कहा कि उक्त परिसर में अगर कुछ पंचायतों को लेकर यहां मिनी ब्लॉक की स्थापना हो जाती है तो लोगों को काफी सहूलियत होगी और लोगों के कार्यों का स्थानीय स्तर पर निबटारा हो जायेगा. इसके अलावे उक्त स्थल पर कई तरह के सार्वजनिक संस्था की स्थापना भी की जा सकती है. लोगों ने बताया कि कुछ ग्रामीणों द्वारा अवैध रूप से उक्त परिसर का फसल उपजाने के लिये की जा रही है. इसके अलावे गेट में ताला लगा रहता है. जिसके कारण गांव के बच्चों को खेल से वंचित होना पड़ता है. ग्रामीणों ने कहा कि उक्त परिसर में एक मिनी स्टेडियम का निर्माण कर बच्चों के लिये खेल की व्यवस्था भी की जा सकती है. परिसर में निर्मित सामुदायिक भवन का उपयोग नहीं होने पर भी ग्रामीण सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका मानना है कि अगर सामुदायिक भवन की जरूरत नहीं थी तो आखिर इसके निर्माण में बेवजह सरकारी राशि क्यों खर्च की गयी.
मुखिया ने पहल का वादा किया
गोठ बरुआरी पंचायत की मुखिया सरिता देवी का कहना है पंचायत स्थित जगतपुर का डाक बंगला परिसर करीब तीन एकड़ में है. जहां पंचायत सरकार भवन बनाया जा सकता है. वहीं विवाह भवन, खेल स्टेडियम, क्लब व परिसर में दुकान का भी निर्माण भी किया जा सकता है. जिससे भाड़े के माध्यम से जिला परिषद को आर्थिक लाभ प्राप्त होगा. मुखिया ने कहा कि अगर प्रशासन द्वारा इस दिशा में मदद मिली तो उक्त क्षेत्र के लोगों के लोगों के लिये यह उपहार साबित होगा. उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों से वार्तालाप करेंगी.
स्वतंत्रता सेनानी ने जतायी चिंता
गांव के एक मात्र जीवित स्वतंत्रता सेनानी पंडित जयवीर झा बताते हैं कि उन लोगों ने देश की आजादी के लिये सब कुछ त्यागा था. उम्मीद थी कि आजादी मिलने के बाद देश के साथ ही गांव की भी सूरत और सीरत बदलेगी. पुरानी यादों एवं ऐतिहासिक स्थलों को संजोया जायेगा. लेकिन इस डाक बंगला की हालत को देख कर काफी तकलीफ होती है. श्री झा ने ऐसे धरोहरों को सुरक्षित करने एवं सहेजने की आवश्यकता जतायी. कहा कि इसके लिये अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों को भी आगे आना चाहिये. डाक बंगला की जर्जरता को देखकर ग्रामीण सुखदेव झा, गणेश चंद्र वर्मा, चिरंजीव झा, सूर्यनारायण पाठक, श्यामाकांत झा, संजय कुमार वर्मा, अनिल झा आदि का मानना है कि इसे बचाने के लिये लोगों को जागरूक होकर काम करने की जरूरत है. उन्होंने डाक बंगला की लगभग तीन एकड़ जमीन को भी सरकारी स्तर पर सदुपयोग करने की आवश्यकता जतायी.

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