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जिले में दम तोड़ रही सेनेटरी नेपकिन देने की योजना

सुपौल : मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ग आठ से लेकर वर्ग बारह तक कि छात्राओं को दी जाने वाली सेनेटरी नेपकिन योजना सरजमीं पर दम तोड़ रही है. विभागीय सूत्र की माने तो जिले में सिर्फ नौवीं और दसवीं की छात्राओं को ही इसका लाभ दिया जाना है. खैर जो भी हो सरकार […]

सुपौल : मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ग आठ से लेकर वर्ग बारह तक कि छात्राओं को दी जाने वाली सेनेटरी नेपकिन योजना सरजमीं पर दम तोड़ रही है. विभागीय सूत्र की माने तो जिले में सिर्फ नौवीं और दसवीं की छात्राओं को ही इसका लाभ दिया जाना है. खैर जो भी हो सरकार के इस दूरगामी योजना का कितना लाभ बालिकाओं को मिल रहा है यह विभागीय आंकड़े ही बता रहे हैं. जिले भर में नामांकित छात्राओं में से महज दस फीसदी छात्राओं को ही इसका लाभ मिल पा रही है. वर्ष 2017-18 के आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष जिले भर में वर्ग नौवीं एवं दसवीं के करीब 25 हजार 278 छात्राएं नामांकित हैं. जिसमें से विभाग द्वारा सिर्फ 2515 छात्राओं को ही सेनेटरी नेपकिन का आवंटन दिया गया है. बालिकाओं के स्वास्थ्य से जोड़ कर देखी जाने वाली योजना का लक्ष्य बालिकाओं की उपस्थिति को कायम रखना व मासिक पीरियड के दिनों में स्कूलों से नदारद रहने वाली छात्राओं को किसी तरह की परेशानी नहीं हो इस योजना को अमल में लाया गया. जाहिर है 90 प्रतिशत छात्राएं जो इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रही है, उसके स्वास्थ्य पर व्यापक असर पड़ने के आसार है.

वर्ष 2015 से मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. इसके लिए मास्टर प्लान तैयार कर बिहार सरकार ने आनन फानन में राशि निर्गत कर योजना की घोषणा बड़े ही व्यापक से रूप से की थी. लेकिन बीतते समय के साथ योजना के क्रियान्वयन में शिथिलता आती गई और योजना की फाइलों पर धूल की परत चढ़ गई. अब विभागीय अधिकारी अपने यहां चलने वाली नेपकिन योजना को भूल चुके और किसी भी तरह की बातें कहने पर तैयार नहीं. बालिकाओं के लिए लाई गई योजना को लेकर शुरुआती दौर में शिक्षा जगत से जुड़े लोगों ने भी योजना को लेकर मुख्यमंत्री के इस योजना का स्वागत किया था. विशेषज्ञ द्वारा बातें कही गई कि माध्यमिक स्कूलों से प्लस टू तक की किशोरी छात्राएं पीरियड के दिनों में स्कूलों से गायब रहती हैं.
जिले भर में नौवीं और दसवीं में नामांकित है 25 हजार 278 छात्राएं
सेनेटरी नेपकिन के लिये सिर्फ 2515 छात्राओं की भेजी गयी है सूची
वर्ष 2017-18 में सेनेटरी नेपिकन के लिये 45 लाख 27 हजार रुपये आवंटित
विभागीय अधिकारी व स्कूलों की मनमानी से सफल नहीं हुई योजना
साइकिल योजना की सफलता से गदगद नीतीश कुमार ने तत्काल इस योजना को अमलीजामा पहनाने का बीड़ा उठाते हुए योजना के क्रियान्वयन को हरी झंडी दे दी. लेकिन अधिकारियों के हठधर्मिता व स्कूलों की मनमानी से योजना सफल होने से पहले ही धराशायी हो गई. एक बार फिर बिहार में शिक्षा विभाग की कार्यशैली को लेकर सवाल उठ खड़े हो गए. कार्यक्रम के शुरुआत में कई जिलों में योजना ठीक ठाक रही कई जिलों में योजना के सही ढंग से काम नहीं हो पाने की सूरत में राशि लौटानी पड़ी. योजना के अनुसार प्रत्येक माह चार नेपकिन छात्राओं की दी जानी थी. इसके लिये डेढ़ सौ रुपये प्रति छात्रा आवंटित की गयी और सालाना करीब 18 सौ रुपये सेनेटरी नेपकिन के लिये छात्राओं के खाता में राशि भेजे जाने का प्रावधान किया गया. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण ये राशि समय पर स्कूल तक समय पर नहीं पहुंच पाती है.
धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है सेनेटरी नेपकिन योजना
हाल में विभाग द्वारा जिले के करीब 2515 छात्राओं के लिये नेपकिन की 45 लाख 24 हजार राशि की स्वीकृति कर आवंटन स्कूलों को भेजा गया. जाहिर है वर्ष 2017 बीत गया है लेकिन नेपकिन की राशि छात्राओं के खाते तक नहीं पहुंच पायी है. ऐसे में सरकार के इस योजना का लाभ छात्राओं को कितना मिल पायेगा, यह सजह ही अंदाजा लगाया जा सकता है.कहने के लिये संक्रमित बीमारियों से छुटकारा एवं परंपरागत नेपकिन के इस्तेमाल से बालिकाओं में बीमारी ना फैले इसके लिये सरकार के द्वारा यह दूरगामी योजना लागू की गयी. लेकिन धरातल पर यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. सूत्रों की मानें तो वैसे ही छात्राओं को इसका लाभ मिल पा रहा है. जिसकी उपस्थिति स्कूल में 75 फीसदी पायी जाती है. जाहिर है 75 फीसदी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाने के कारण करीब 90 प्रतिशत छात्रा इस योजना से वंचित रह जाती है. कहीं-कहीं तो यह भी शिकायत मिल रही थी कि 150 के बदले सिर्फ 140 रुपया ही दिया जाता है. हालांकि इस मसले पर संबंधित पदाधिकारी कुछ भी कहने से परहेज बरत रहे हैं. वैसे भी चूंकि छात्राओं के खाते में उक्त राशि को भेजना है. लिहाजा त्रुटि की कोई संभावना नहीं है.
स्कूलों के द्वारा 75 प्रतिशत उपस्थिति वाली छात्राओं का जो सूची भेजा गया, उस हिसाब से आवंटन दिया गया है. आगे फिर सूची आने के बाद आवंटन दिया जायेगा.
अनिल कुमार श्रीवास्तव, डीपीओ लेखा योजना, जिला शिक्षा कार्यालय

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