सुपौल : देश की हर थाली में बिहार का एक व्यंजन होगा. चूंकि इस क्षेत्र में मखाना पर्याप्त मात्रा में होता है. इतना ही नहीं हम भी रात में प्रतिदिन मखाना का खीर ही खाते हैं. ये बातें अपने चौथे चरण की समीक्षा यात्रा में सिमराही स्थित लखीचंद साहु उच्च विद्यालय के मैदान में जन सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कही. मंच पर पहुंचते ही जनसभा में भारी भीड़ देख मुख्यमंत्री गदगद हो गये. उन्होंने भीषण ठंड के बाद भी बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों को धन्यवाद दिया.
उन्होंने कहा कि इस यात्रा में मैंने तय किया कि हम उन जगहों पर जरूर जायेंगे, जहां पिछले 12 जून 2009 को विकास यात्रा में गये थे. ताकि जनता के साथ किये गये वादे पर काम हो रहा है ये भी देखा जा सके. कहा जब 2008 में कोसी त्रासदी हुई थी तो लोग काफी संख्या में प्रभावित हुए थे. उस समय जितना संभव हुआ, सरकार के द्वारा किया गया. बाढ़ राहत शिविर के माध्यम से यह कोशिश की गयी कि आपदा में कोई भी पीड़ित लाभ से वंचित न रह पाये. हमने तब कहा था कि इससे भी बेहतर कोसी बनायेंगे.
इस दिशा में व्यापक रूप से काम किया गया. इसके लिये विश्व बैंक से ऋण भी लिया गया. सीएम ने कहा कि 250 की आबादी वाले गांवों को पक्की सड़क से जोड़ा गया है. अब जो छोटे-छोटे टोले और मुहल्ले है, उन्हें भी जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है. 3400 करोड़ की लागत से विकास योजनाओं को संचालित किये जा रहे हैं. ये भी सात निश्चय का ही अंग है. हर गांव में पक्की गली-नाली और नल के माध्यम से घर-घर में शुद्ध पेजयल पहुंचा इसका लक्ष्य है. अगले चार साल में सारे कार्य पूर्ण हो जायेंगे. लोहिया स्वच्छता के तहत जल्द ही हर घर में शौचालय का निर्माण किया जायेगा. सर्वे में जानकारी मिली कि शुद्ध पानी नहीं पीने और खुले में शौच करने के कारण 90 फीसदी बीमारी होती है. इसी को लेकर जब घर-घर शौचालय बन कर तैयार हो जायेंगे और हर घर में शुद्ध पेयजल मिलने लगेगा तो बीमारी कम होगी. आयरन प्रभावित क्षेत्रों में पीएचइडी के माध्यम से शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिये प्लांट लगाये जा रहे हैं. बिजली मामले में सुपौल जिले ही नहीं पूरे बिहार के हर गांव में बिजली पहुंच गयी है. अप्रैल माह तक हर छोटे-छोटे टोले तक बिजली पहुंच जायेगी. उन्होंने इसके लिये ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव सहित विभागीय अधिकारी को बधाई दी. उन्होंने कहा कि इधर कुछ दिनों से सुनने में आया कि कुछ लोग मुखिया को भड़का रहे हैं कि आपका पावर समाप्त हो गया. उन्होंने इस बात पर कहा कि पंचायत का विकास हो जायेगा तो उसमें मुखिया का ही मान-सम्मान बढ़ेगा. लिहाजा पावर की बात कहां आती है.
अपने संबोधन में सीएम ने कहा कि बापू के चंपारण यात्रा के सौ साल पूरे होने पर शताब्दी समारोह में उन्होंने कहा था कि गांधी, लोहिया और जयप्रकाश जी का कहना था कि विकास के लिये विकेंद्रीकरण जरूरी है. चूंकि केंद्रीकरण से विकास नहीं हो सकता है. लिहाजा वे महापुरुषों के द्वारा कही गयी बातों पर ही चल रहे हैं. जब वे 2005 के नवंबर में सत्ता में आये तो उस समय 12 प्रतिशत बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पाते थे. बैठक कर नीति बनायी गयी कि आखिर स्कूल तक ये बच्चे क्यों नहीं पहुंच पाते हैं. निर्णय लिया गया कि स्कूल के लिये आवंटित राशि सीधे शिक्षा समिति के खाते में दिया जाय और तब से शिक्षा समिति के खाते में राशि आवंटित की जा रही है. इसका फायदा ये कि अब किसी गांव-मुहल्ले में पता चल जाता है कि ये स्कूल है. स्कूल सुसज्जित हो गयी है. भवन बन गया है. चाहरदीवारी बन गयी, किचेनशेड बन गया. लिहाजा अब लोगों को स्कूल ढूंढ़ने में परेशानी नहीं होती. उस समय पांच तरह के स्कूल के मॉडल बनाये गये थे. जो संबंधित जगह के हिसाब से उपयुक्त जगहों पर उक्त मॉडल पर काम किया जाता है.
सिमराही स्थित लखीचंद साहु उच्च विद्यालय के मैदान में चौथे चरण की समीक्षा यात्रा के दौरान जनसभा में भारी भीड़ देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गदगद हो गये. उन्होंने भीषण ठंड के बाद भी बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों को धन्यवाद दिया. उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि महिला सशक्तीकरण की दिशा में बिहार देश का पहला राज्य बन गया है. जहां महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. साइकिल और पोशाक योजना स्कूल में शुरू किये जाने से आज लड़कियां भी बेहतर करने लगी है. अपने संबोधन में सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि महिलाओं को अब राज्य सरकार के नौकरी में भी 35 प्रतिशत का आरक्षण दिया जायेगा.
दहेज प्रथा और बाल विवाह से नुकसान
सीएम ने बाल विवाह व दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों की चर्चा करते कहा कि पहले बड़ी संख्या में पहले कम उम्र में लड़कियों की शादी कर दी जाती थी. जिससे कम उम्र में गर्भधारण करने पर महिलाएं मौत का शिकार हुआ करती थी. इतना ही नहीं जो बच्चे जन्म लेते थे, वो पूर्ण विकसित नहीं होते थे. लिहाजा इस मामले में गहन अध्ययन के बाद निर्णय लिया गया कि कम उम्र में लड़कियों की शादी दहेज के कारण ही कर दी जाती थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि अब 18 से कम उम्र की लड़कियों और 21 से कम उम्र के लड़कों की शादी कानून अपराध होगा. इतना ही नहीं दहेज लेना और देना भी कानून के दायरे में आ गया है. कहा कि पहले सिर्फ संपन्न घरों में ही दहेज लेनदेन का प्रचलन था. लेकिन समय बीतने के साथ ये प्रचलन आमघरों तक भी पहुंच गयी. मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील किया कि इस रीत को बदलना होगा. इससे आमजन का फायदा या नुकसान है. दहेज का सब मिल कर विरोध करें. जिस शादी में दहेज का लेनदेन हुआ है, उसका बहिष्कार करे.
संकल्प का सूर्यदेव बने साक्षी
अपने संबोधन के अंतिम पड़ाव पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दहेज और बाल विवाह को लेकर लोगों से 21 जनवरी को मानव शृंखला बनाने की अपील की. विकास के साथ समाज सुधार का काम भी जरूरी है. जब तक समाज सुधरेगा नहीं, विकास संभव नहीं है. उन्होंने दहेज और बाल विवाह रोकने के लिये लोगों को हाथ उठा कर संकल्प लेने की अपील की. इसी दौरान धूप निकलने पर सीएम ने कहा कि सूर्यदेव को साक्षी बना सभी लोग मानव शृंखला में शामिल होने का संकल्प दिलाया.
शराब मामले को ले अलग से गठित किया गया तंत्र
सीएम ने कहा कि शराबबंदी होने से हर घर में खुशियां आ गयी है. लोग अब उन पैसों से दूसरे चीज खरीदते हैं और अपने परिजनों के साथ खुशी से रहे रहे हैं. हालांकि कुछ लोग आज भी इस धंधे से जुड़े हुए हैं, जिस पर विभाग की पैनी नजर है. किसी भी हाल में शराब के जो गिने-चुने कारोबारी अवैध रूप से इस गोरखधंधे में शामिल है, उसे बख्शा नहीं जायेगा. पुलिस में अलग से एक तंत्र बना दिया गया है. पुलिस महानिरीक्षक मद्य निषेध के द्वारा इन सारे मामलों की मॉनेटरिंग की जा रही है. चूंकि अब हर गांव में बिजली का खंभा लग चुका है. अब उस बिजली के खंभे पर नंबर दिया जायेगा, जिस पर शिकायतकर्ता शराब से संबंधित शिकायत करेंगे और सिर्फ एक घंटे के अंदर शिकायत के बाद कार्रवाई की जायेगी. शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखा जायेगा.
आबादी आधी, तो हिस्सेदारी भी आधी
महिला सशक्तीकरण की दिशा में बिहार देश का पहला राज्य बन गया है. जहां महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. साइकिल और पोशाक योजना स्कूल में शुरू किये जाने से आज लड़कियां भी बेहतर करने लगी है. अपने संबोधन में सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि महिलाओं को अब राज्य सरकार के नौकरी में भी 35 प्रतिशत का आरक्षण दिया जायेगा. पुलिस की भर्ती हो या बांकी नौकरियां. हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर ये बता दिया है कि वे हर कार्य को बखूबी निपटा सकता है. सीएम ने कहा कि समीक्षा यात्रा के दौरान ही एक जगह महिला पुलिस कर्मी के द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर के द्वारा सलामी दी गयी, ये काबिले तारीफ है.
स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं आठ लाख महिलाएं
सीएम ने कहा कि जीविका के माध्यम से स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया. जिससे महिलाएं सबल हो रही है और स्वावलंबी होने के साथ-साथ अब वह पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिला कर काम कर रही है. कहा कि स्वयं सहायता समूह के माध्यम से दस लाख महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य था, जो अब तक आठ लाख तक पहुंच गयी है. उन्होंने अपना अनुभव साझा करते कहा कि एक दिन वे एक समूह के पास बैठ कर महिलाओं से बात की तो दंग रह गये. उन्होंने कहा कि कुछ बिना पढ़ी-लिखी महिलाएं भी ऐसी-ऐसी बात बोल रही थी, जो पढ़े-लिखे लोग भी नहीं जानते. युवाओं को लेकर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अब छात्रों को जो 12वीं के आगे नहीं पढ़ पाते थे, उसके लिये उन्होंने 04 लाख रूपये का स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड देने की बात कही है. जिसकी पूरी गारंटी राज्य सरकार दे रही है. राज्य सरकार वित्त निगम बना कर अब इसे संचालित कर रही है. ताकि कोई भी उच्च शिक्षा लेने वाले छात्र-छात्रा पैसे के अभाव में आगे की पढ़ाई ना छोड़ सके. छात्रवृत्ति की तमाम योजनाएं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक आदि जितने भी छात्रवृत्ति की योजनाएं चल रही है, उसे उन्होंने जारी रखने की बात कही. रोजगार के लिये भटक रहे युवा बेरोजगारों में कौशल विकास के लिये उन्होंने कौशल विकास योजना संचालित किये जाने की बात कही. उन्होंने कहा कि आमतौर पर देखा जाता है कि युवा पड़े लिखे होने के बावजूद कुछ मामलों में जैसे कंप्यूटर, इंग्लिश स्पीकिंग, व्यावहारिक ज्ञान, संवाद आदि मामले में काफी पिछड़े रहे जाते हैं. इन्हीं बातों के मद्देनजर कौशल विकास केंद्र की स्थापना की गयी. ताकि यहां युवा जाकर इन चीजों का अध्ययन कर सके और रोजगार के लिये उसे दर ब दर भटकना न पड़े.
हर जिले में खुल रहे शिक्षण संस्थान
अपने संबोधन में सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि हर जिले में पॉलिटेक्निक, महिला आइटीआई और जीएनएन संस्थान के अलावा हर सब डिवीजन में एएनएम ट्रेनिंग सेंटर खुल रहे हैं. इससे जिले के छात्रों को बाहर नहीं जाना पड़ेगा. शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं को उसके जिले में ही हर तरह की शिक्षा मिल जाय, उसके लिये सरकार द्वारा यह कदम उठाया गया है. प्राय: यह देखा गया है कि उच्च शिक्षा के लिये युवा को बाहर जाने में आर्थिक परेशानी आड़े आती थी. जिसके कारण बड़ी संख्या में छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते थे.