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मैट्रिक प्रशिक्षित शिक्षक बने हैं विद्यालय प्रधान

नहीं है वर्ग कक्ष, छात्रों को कैसे मिले गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा विषयवार शिक्षकों के अभाव से जूझ रहा उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय सुपौल : सरकार व विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण जिले में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति काफी दयनीय है. यहां प्राथमिक शिक्षा की बात कौन कहे व्यवस्था व समुचित संसाधन के अभाव में […]

नहीं है वर्ग कक्ष, छात्रों को कैसे मिले गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा

विषयवार शिक्षकों के अभाव से जूझ रहा उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय
सुपौल : सरकार व विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण जिले में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति काफी दयनीय है. यहां प्राथमिक शिक्षा की बात कौन कहे व्यवस्था व समुचित संसाधन के अभाव में उच्च शिक्षा भी भगवान भरोसे है. जिले के सुदूर इलाके में रहने वाले गरीब व मध्यम वर्ग के छात्रों को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने की गरज से सरकार द्वारा तकरीबन 82 मध्य विद्यालयों को उत्क्रमित कर उच्च माध्यमिक विद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया. काफी समय बीतने के बावजूद अब तक अपग्रेड विद्यालयों में पर्याप्त संख्या में योग्य व प्रशिक्षित शिक्षकों की तैनाती नहीं की गयी. वहीं समुचित संसाधन भी उपलब्ध नहीं कराया गया.
आश्चर्य की बात यह है कि अधिकांश विद्यालयों को अपना भवन तक उपलब्ध नहीं हो पाया है. योग्य व प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति नहीं किये जाने से अधिकांश विद्यालयों में मवि के मैट्रिक प्रशिक्षित शिक्षक प्रधान बने हुए हैं. वहीं अन्य शिक्षकों की योग्यता भी विद्यालय के मानक अनुरुप नहीं है. उच्च माध्यमिक विद्यालयों में मैट्रिक प्रशिक्षित शिक्षकों से कार्य लेने की वजह से जिले की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगा है. जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारी तात्कालिक व्यवस्था के तहत उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों का संचालन कर ना सिर्फ सरकार व विभाग के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं. बल्कि जिले के हजारों छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है.
संसाधन की कमी से जूझ रहा विद्यालय
गौरतलब हो कि सरकारी निर्देश के आलोक में विभाग द्वारा मध्य विद्यालयों में छात्रों की संख्या बल व जमीन की उपलब्धता के आधार पर उच्च माध्यमिक का दर्जा प्रदान कर दिया गया. विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक कार्य कराये जाने की दिशा में विभाग द्वारा समुचित प्रयास नहीं हो रहा. आलम यह है कि कई विद्यालय को अब तक अपना भवन भी नसीब नहीं हो पाया है. इस वजह से मध्य विद्यालय के एकाध कमरे में विद्यालय कार्य का संचालन कराया जा रहा है.
साथ ही गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए सरकार द्वारा छात्रों की संख्या निर्धारित कर विषयवार शिक्षकों को पदस्थापित किये जाने की घोषणा की गयी. हालात यह है कि विषयवार शिक्षकों की पदस्थापन तो दूर अधिकांश विद्यालयों में सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राओं को नामांकन रहने के बावजूद दो से चार शिक्षकों की तैनाती की गयी है. यहां तक कि कई विद्यालय भवन निर्माण कार्य पूर्ण करा लिया गया है. विद्यालय में उपस्कर सहित अन्य संसाधन नहीं होने की वजह से छात्रों को पठन पाठन कार्य में भारी परेशानी हो रही है.
अधर में है हजारों छात्रों का भविष्य
पंचायत स्तर पर अधिकांश मध्य विद्यालयों को अपग्रेड कर उच्च विद्यालय का दर्जा दिया गया. इससे छात्रों में काफी हर्ष का माहौल दिखा. सभी उत्क्रमित विद्यालयों के नामांकन की स्थिति पर गौर करें तो इस वर्तमान सत्र में नौंवी कक्षा में कुल 35, 456 तथा दसवीं कक्षा में 32, 124 छात्रों का नामांकन लिया गया है. नौंवी कक्षा में 15, 450 तथा दसवीं कक्षा में 15,068 छात्राएं शामिल हैं. समुचित तरीके से पठन-पाठन का कार्य नहीं कराये जाने से हजारों छात्रों का भविष्य अधर में पड़ा है.
विभाग नहीं कर रहा निर्देशों का पालन
मालूम हो कि विभागीय उदासीनता के कारण जिले के उच्च शिक्षा का दायित्व अप्रशिक्षित शिक्षक निर्वहण कर रहे हैं. विभागीय नियम को ताक रख उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों के शैक्षणिक सहित अन्य सभी कार्य संबंधित मध्य विद्यालय के प्रधान संचालित कर रहे हैं. अब सवाल उठना लाजिमी है कि विभाग द्वारा जब प्रारंभिक शिक्षा व उच्च शिक्षा के शिक्षकों की तैनाती को लेकर अलग अलग परीक्षा ली गयी. साथ ही परीक्षा में सफल हुए प्रतिभागियों को संबंधित विद्यालयों में पदस्थापित किया गया.
स्थानीय विभाग द्वारा सरकार के निर्देशों का अनदेखी कर मनमरजी तरीके से विद्यालय का संचालन कराया जा रहा है. कई छात्र व अभिभावकों ने विभागीय व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि फिलवक्त कई माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को प्रभारी प्रधानाध्यापक के पद पर तैनाती कर विद्यालय का संचालन कराया जा रहा है. साथ ही निजी स्वार्थ के कारण अपग्रेड विद्यालयों को मध्य विद्यालय प्रधान के हवाले छोड़ दिया गया है.
सभी अपग्रेड विद्यालयों की सूची विभाग को भेज दिया गया है. भवन निर्माण कार्य आधारभूत संरचना से करायी जाती है. विषयवार शिक्षकों के पदस्थापन की दिशा में निरंतर प्रयास जारी है. विभागीय निर्देश प्राप्त होने के उपरांत व्यवस्था को सुधार कर लिया जायेगा.
गोपीकांत मिश्र, जिला शिक्षा पदाधिकारी, सुपौल

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