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बूंद-बूंद शुद्ध पेयजल को तरस रहे हैं स्कूली बच्चे

जदिया : लोगों को आयरन रहित शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो, इसको लेकर सरकार द्वारा जलापूर्ति योजना का शुभारंभ किया गया. लेकिन जलापूर्ति योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है. ज्ञात हो कि मुख्यालय स्थित मध्य विद्यालय जदिया परिसर में बीते तीन वर्ष पूर्व प्रतिभा मेमरेंन फिल्टर्स जेभी कंपनी द्वारा लाखों की लागत से […]

जदिया : लोगों को आयरन रहित शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो, इसको लेकर सरकार द्वारा जलापूर्ति योजना का शुभारंभ किया गया. लेकिन जलापूर्ति योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है. ज्ञात हो कि मुख्यालय स्थित मध्य विद्यालय जदिया परिसर में बीते तीन वर्ष पूर्व प्रतिभा मेमरेंन फिल्टर्स जेभी कंपनी द्वारा लाखों की लागत से कार्य प्रारंभ किया गया.

लेकिन विभाग व संवेदक की उदासीनता के कारण यह कार्य अधर में लटका है. जिसके कारण यहां के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. आलम यह है कि संभ्रांत परिवार के लोग बोतल बंद पानी खरीदकर पी रहे है. वहीं गरीब तबके के लोग दूषित पानी पीने को मजबूर है. जबकि ग्रामीणों द्वारा कई बार इस मामले से विभागीय पदाधिकारी को अवगत कराया गया है. लेकिन विभागीय पदाधिकारी इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझते हैं.

लाखों की लागत से हुआ है निर्माण
मध्य विद्यालय जदिया परिसर में 30 लाख 51 हजार 864 रुपये की लागत से लगाया गया जलापूर्ति योजना लोगों के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है. लोगों की आवश्यकता को देखते हुए पीएचडी विभाग द्वारा वर्ष 2014 में सौर ऊर्जा से चलने वाले जलापूर्ति केंद्र की स्थापना कराया गया था. जिससे यहां के लोगों को शुद्ध पेयजल मिल सके. लेकिन विभाग की उदासीनता के कारण संवेदक द्वारा न तो मानक अनुरूप पाइप बिछाया गया और ना ही स्टैंड पोस्ट निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल रखा. जिससे एक ही महीने में स्टैंड पोस्ट धराशायी हो गया. जिससे लोगों को मिल रही शुद्ध पानी मिलना बंद हो गया.
स्थानीय लोगों ने उक्त समस्या को लेकर पीएचडी के कार्यपालक अभियंता व अधीक्षण अभियंता से अनुरोध किया है कि फिर से जगह-जगह स्टैंड पोस्ट का निर्माण किया जाय. जिससे फिर से लोगों को योजना का लाभ मिल सके. गौरतलब है कि इस योजना का मूल उद्देश्य हर घर के लोगों को नल के माध्यम से शुद्ध जल पहुंचाना था. लेकिन विभागीय अधिकारी व संवेदक की मिली भगत से यह योजना मात्र विद्यालय परिसर तक ही सिमट कर रह गयी.

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