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सरकार व प्रशासन पर सांसद ने बोला हमला
सुपौल : जब-जब एनडीए की सरकार बिहार में बनी है, बाढ़ की त्रासदी लोगों को झेलनी पड़ी. वर्ष 2008 में कुसहा त्रासदी के वक्त भी एनडीए की सरकार थी और आज भी नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन की सरकार में है. ये बातें किसान भवन में प्रेसवार्ता के दौरान सुपौल की सांसद रंजीत रंजन ने कही. […]
सुपौल : जब-जब एनडीए की सरकार बिहार में बनी है, बाढ़ की त्रासदी लोगों को झेलनी पड़ी. वर्ष 2008 में कुसहा त्रासदी के वक्त भी एनडीए की सरकार थी और आज भी नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन की सरकार में है. ये बातें किसान भवन में प्रेसवार्ता के दौरान सुपौल की सांसद रंजीत रंजन ने कही. उन्होंने कहा कि बाढ़ आपदा को लेकर रविवार को संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक रखी गयी थी. बैठक में बाढ़ आपदा से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया. आपदा आने से पूर्व जिला प्रशासन की समुचित तैयारी नहीं रहने के कारण व्यापक पैमाने पर क्षति हुई है
फसल की क्षति के साथ ही कई घर तबाह हुए हैं. पूर्व से तैयारी की जाती तो शायद क्षति कम होती. जहां लोगों को निकालने के लिये 100 नाव की जरूरत थी, वहां जिला प्रशासन द्वारा सिर्फ 25 नाव की व्यवस्था की गयी. जब लोगों को रिलीफ मिलनी चाहिए, तब रिलीफ मिलती नहीं. पशुओं के चारा के लिये जिला प्रशासन ने हाथ खड़ा कर दिये. लिहाजा पशुपालकों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. सांसद ने कहा कि 64.95 किमी स्पर पर कोसी के पानी का दबाव नहीं घट रहा है. इसके लिये प्रशासन को समुचित पहल करनी चाहिए. ताकि स्पर सुरक्षित रहे. उन्होंने पीएम मोदी पर भी तंज कसते हुए कहा कि कुसहा त्रासदी में छह जिले प्रभावित थे और तत्कालीन पीएम ने सिर्फ तीन दिन के बाद हवाई सर्वेक्षण कर बिहार सरकार को 11 सौ करोड़ रुपये देकर राष्ट्रीय आपदा घोषित किया था
आज 18 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. पीएम मोदी ने 16 दिन के बाद हवाई सर्वेक्षण किया और जाते-जाते 500 करोड़ रुपये का झुनझुना बिहार सरकार को थमा गये. जाहिर है इन राशि से पीड़ितों को कहां तक राहत मिल सकती है, कहना मुश्किल है.
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