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अध्यात्म ज्ञान है सर्वश्रेष्ठ

अलौकिक रक्षा बंधन महोत्सव. अतिथियों ने रखे अपने विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय शाखा सुपौल के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जिले के कई गण्यमान्य समेत कई प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे थे. मौके पर सबों ने अपनी बात रखी. सुपौल : जिला मुख्यालय स्थित तेरापंत भवन में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय शाखा सुपौल के तत्वावधान में अलौकिक […]

अलौकिक रक्षा बंधन महोत्सव. अतिथियों ने रखे अपने विचार

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय शाखा सुपौल के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जिले के कई गण्यमान्य समेत कई प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे थे. मौके पर सबों ने अपनी बात रखी.
सुपौल : जिला मुख्यालय स्थित तेरापंत भवन में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय शाखा सुपौल के तत्वावधान में अलौकिक रक्षाबंधन महोत्सव का आयोजन किया गया. जिसका विधिवत उद्घाटन जिला सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार सिंह एवं ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय बिहार प्रभारी रानी दीदी के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया. जिला सत्र न्यायाधीश श्री सिंह ने कहा कि विश्व को एक सूत्र में बांधने का प्रयास काफी सराहनीय कदम है. आज अपनत्व का रिश्ता तार-तार हो गया है. जिसके कारण भाई-भाई, पति-पत्नी, भाई-बहन आदि संबंधों के बीच चंद विवादों को लेकर मामला न्यायालय में चल रहा है.
अधिकांश लोग झूठ, चोरी, नशा, व्यविचार व हिंसा को ही अपना जीवन समझ बैठे हैं. यही मानव के विनाश का सबसे बड़ा कारण है. मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन से सीख लेने की आवश्यकता है. कागज पर रिश्तों का निर्वहन करने से काम नहीं चलेगा. मन व मस्तिष्क से रिश्तों का निर्वहन करते हुए संपूर्ण विश्व को अपना परिवार समझना होगा तभी विश्व का कल्याण संभव है.
सामाजिक कुरीतियों को दूर करने पर दिया बल
वहीं लोहिया यूथ ब्रिगेड के प्रदेश संयोजक डॉ अमन कुमार ने कहा कि आध्यात्म ज्ञान के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों को दूर किया जा सकता है. सच्चे ज्ञान से ही मनुष्य के अंदर के विकारों को मिटाया जा सकता है. अध्यात्म ज्ञान सर्वश्रेष्ठ ज्ञान है. आध्यात्मिक ज्ञान से सुख व शांति मिलती है. भारत एक सुंदर बगीचा है. जिसमें सभी धर्मों के लोग खूबसूरत फूल की तरह खिले हुए हैं. सत्य कर्म ही मानव जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है. रक्षाबंधन महोत्सव की अध्यक्षता करते हुए ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केंद्र की संचालिका बीके शालिनी ने कहा कि विश्वविद्यालय के दस हजार से अधिक सेवा केंद्र है. जहां प्रत्येक दिन आध्यात्मिक शिक्षा नि:शुल्क मानव कल्याण हेतु दीदी व बहनों के द्वारा दी जाती है. इस अवसर पर पूर्व मुख्य पार्षद जगदीश प्रसाद यादव, डॉ राजाराम गुप्ता, दीदी पुष्पा, दीदी जयमाला, सुनीति बहन, सुधीर मिश्र, जितेंद्र कुमार झा, प्रीतम कुमार चौधरी आदि उपस्थित थे.
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के बिहार प्रभारी रानी दीदी ने सुख समृद्धि व रक्षाबंधन का जिक्र करते हुए कहा कि सुख हर इनसान को चाहिये पर सुख कैसे मिले, इस दिशा में हम सार्थक प्रयास नहीं कर रहे हैं. जिसके कारण हर पल मन दुखित रहता है, मन अशांत रहता है. रक्षाबंधन की सबसे अधिक आवश्यकता स्वयं के लिये है. आज वाह्य की साफ-सफाई कर सुख व शांति प्राप्त करना चाहते हैं जो कतई संभव नहीं है. जब तक मन स्वच्छ व स्वस्थ्य नहीं होगा तब तक सुख नहीं मिलेगा. कहा कि परमपिता परमात्मा शिव ब्रह्मलोक के वासी हैं. भूलोक पर धर्म ग्लानि के समय इस मनुष्य सृष्टि में आते हैं. मनुष्य आत्माओं को ईश्वरीय ज्ञान व राज योग की शिक्षा देते है. यह संसार रैन बसेरा है न घर तेरा है, न घर मेरा है. अपना समझ बैठना ही सबसे बड़ा दुःख का कारण है. आध्यात्म की चर्चा करते हुए रानी दीदी ने कहा कि परमात्मा शब्द दो शब्द परम व आत्मा से बना है. किसी देहधारी को परमात्मा नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि देहधारी का जन्म व मरण लगा रहता है. परमात्मा सर्वोच्च है. उन्होंने कहा कि नदी में नाव चलती है जब तक नाव में पानी प्रवेश नहीं करता तब तक नाव नहीं डूबती है. उसी तरह जब तक जीवात्मा में अहंकार, द्वेष, इर्ष्या, भेद-भाव आदि प्रवेश नहीं करता तब तक मनुष्य आत्मा पवित्र रहता है. इनसान को दूसरे पर ऊंगली उठाने के बजाय स्वयं आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है.

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