सुपौल : यदि मार्केट में हरी- भरी ताजी सब्जियों को देखकर आपकी निगाहें टिकती है तो जरा संभल जाएं. क्योंकि हो सकता है इन सब्जियों का रंग प्राकृतिक न होकर आर्टिफिशियल हो. जी हां! क्योंकि सुपौल में इन दिनों सब्जियों में ‘जहर’ घोलने का कारोबार धड़ल्ले से किया जा रहा है. मंडी से ऐसी बेरंग सब्जियों को औने-पौने दामों में खरीदकर सब्जी कारोबारी उसे रंग लगा हरा बना कर खुलेआम बाजार में बेच रहे हैं और आम लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
ऐसा नहीं कि यह कारोबार चोरी छिपे चल रहा है. बल्कि यह गोरखधंधा प्रशासन के नाकों के नीचे जिला मुख्यालय की सड़कों पर किया जा रहा है. वैसे तो जिला मुख्यालय के ठाकुरबाड़ी रोड में रोज सब्जी की मंडी लगती है. लेकिन खुदरा सब्जी विक्रेता की दुकान शहर की मुख्य स्थलों में स्टेशन चौक, लोहियानगर चौक, गुदरी हाट, महावीर चौक समेत अन्य जगहों पर बेची जाती है. लेकिन आप को शायद यह नहीं पता होगा कि शहर में बिकने वाली ये ताजी सब्जियां आपके सेहत के लिए कितनी घातक है. क्योंकि आज कल शहर में सब्जी के नाम पर लोगों के बीच मौत परोसी जा रही है. यह तसवीर स्टेशन चौक स्थित शिव मंदिर के बगल की है.
किन-किन सब्जियों की होती है रंगाई
शहर में सब्जी दुकानदारों द्वारा सब्जियों को ताजा दिखाने के लिए उसके कलर के अनुसार रंगाई की जाती है. सब्जियों को हरा दिखाने के लिए उसमें हरे रंग का इस्तेमाल ज्यादा होता है. जबकि मिलाये जाने वाले हरे रंग में कॉपर सल्फेट का प्रयोग किया जाता है. मिली जानकारी के मुताबिक रंगे जाने वाली सब्जियों में आलू, परवल, करेला, भिंडी, बैगन, मटर, बोदी, टमाटर आदि शामिल हैं. बाजार में सबसे ज्यादा बिकने वाली सब्जियों में आलू है. आलू को ताजा दिखाने के लिए पीले रंग से रंगकर उसे ताजा दिखाने का प्रयास किया जाता है. जानकारों की मानें तो इसी प्रकार तरबूज को ज्यादा लाल व मीठा बनाए रखने के लिए व्यापारी उसमें केमिकल, रंग और चीनी या सेक्रीन घोल का इंजेक्शन लगाते हैं. उसी प्रकार कद्दू को जल्द बड़ा करने के लिए ऑक्सीटॉक्सी का इंजेक्शन लगाया जाता है. इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाजार में मिलने वाली सब्जियां लोगों के स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है.
खुलेआम बेची जा रही रंगी हुई सब्जियां
लोगों के जीवन के साथ हो रहा है खिलवाड़
आजीवन कारावास तक है प्रावधान
वर्तमान में मिलावट के तहत दोषी पाए जाने पर खाद्य एवं अपमिश्रण निवारण अधिनियम एवं नियम 1954-1955 के अंतर्गत एक दिन से लेकर 10 वर्ष की कैद का प्रावधान है. लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए मिलावट के मिलावट के दोषियों के लिए बने नए अधिनियम ‘खाद्य एवं अपमिश्रण निवारण अधिनियम एवं नियम 2006 के अनुसार अब दोषियों को आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है. इस बाबत जिम्मेदारों का कहना है कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जायेगी.
हरी सब्जी में रंग मिला कर बेचने की शिकायत नहीं मिली है. इस तरह के मामलों में प्रशासन गंभीर है. शिकायत मिलने पर ऐसी हरकत करने वालों के विरूद्ध आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.
एनजी सिद्दीकी, एसडीओ, सुपौल
कोसी क्षेत्र के जाने-माने चिकित्सक डॉ. शांति भूषण ने बताया कि अधिकतर हरी सब्जियों को रंगने के लिए जिन हरे रंग का प्रयोग होता है. उसमें कॉपर सल्फेट मिला होता है. जिसकी मात्रा अधिक होने पर यह जहर का काम करता है. कई दुकानदार सब्जियों को रंगने के लिए डाई का प्रयोग भी करते हैं. जो और भी खतरनाक है. रंगी हुई सब्जियों के खाने से डायरिया, उल्टी, चक्कर, किडनी और पेट की कई बीमारियां होती है. यहां तक कि आंत व लीवर का कैंसर तक हो सकता है.