लापरवाही. सदर अस्पताल में गंदगी को लेकर गंभीर नहीं
Advertisement
आवारा पशुओं का है आतंक
लापरवाही. सदर अस्पताल में गंदगी को लेकर गंभीर नहीं सरकारी महकमा स्वच्छता को लेकर भले ही कई तरह के जागरूकता अभियान चला कर लोगों को जागरूक होने की बात कह रही है. लेकिन दूसरों को स्वच्छता का नसीहत देने वाले सरकारी खेमे के जिम्मेदार ही अपनी जिम्मेदारी के प्रति सजग नहीं हैं. जिसके कारण अस्पताल […]
सरकारी महकमा स्वच्छता को लेकर भले ही कई तरह के जागरूकता अभियान चला कर लोगों को जागरूक होने की बात कह रही है. लेकिन दूसरों को स्वच्छता का नसीहत देने वाले सरकारी खेमे के जिम्मेदार ही अपनी जिम्मेदारी के प्रति सजग नहीं हैं. जिसके कारण अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार लगा रहता है.
सुपौल : प्रदूषण व बॉयोमेडिकल कचरा आज विश्व समुदाय के लिए एक बड़ा संकट बना हुआ है. यही वजह है कि आज विश्व के सभी देश इसे गंभीरता पूर्वक ले रहे हैं. भारत में भी केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छता मिशन चला कर जहां लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक होने का संदेश दिया जा रहा है. वहीं राज्य सरकार द्वारा भी लोहिया स्वच्छता मिशन के तहत विशेष अभियान चला कर लोगों स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ रहने की अपील की जा रही है. स्वच्छता को लेकर सरकार द्वारा अच्छी खासी रकम भी खर्च की जा रही है.
लेकिन हैरत की बात है कि जो सरकार स्वच्छता को लेकर इतनी गंभीरता दिखा रही है. उसी का सरकारी तंत्र स्वच्छता को लेकर सजग नहीं दिख रहा है. जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल जो जिले के एक मात्र आधुनिक अस्पतालों में एक सरकारी अस्पताल है. जिसमें जिले के अन्य भागों से मरीज इलाज कराने यहां आते हैं. सफाई का आलम यह है कि आये दिन यहां पर उत्पन्न हो रहे बॉयोमेडिकल कचरा व गंदगी के हालात से मरीजों को दो-चार होना पड़ता है. बावजूद प्रशासन अस्पताल में व्याप्त गंदगी को लेकर गंभीर नहीं है. जिसका खामियाजा यहां आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. सदर अस्पताल की पहचान आज आवारा पशुओं के चारागाह के रूप में हो रही है. जगह-जगह बकरी व सुअर अस्पताल परिसर में घुमते आपको मिल जायेंगे.
ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर जिले का सबसे बड़ा अस्पताल का हालत ऐसा क्यों है. लोगों की माने तो इसके लिए सबसे बड़ी वजह अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता है. लोगों को कहना है कि सरकारी महकमा स्वच्छता को लेकर भले ही कई तरह के जागरूकता अभियान चला कर लोगों को जागरूक होने की बात कह रही है. लेकिन दूसरों को स्वच्छता का नसीहत देने वाले सरकारी खेमे के जिम्मेदार ही अपनी जिम्मेदारी के प्रति सजग नहीं हैं. जिसके कारण अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार लगा रहता है.
वार्डों में है सीपेज की समस्या
इन दिनों अस्पताल के वार्डों में सीपेज की समस्या देखी जा रही है. जिसका मुख्य कारण अस्पताल के उपरी मंजिल का निर्माण कार्य बताया जा रहा है. आपातकाल कक्ष हो या ओपीडी, नवजात शिशु चिकित्सा इकाई हो या महिला प्रसव कक्ष सभी कक्षों में सीपेज की समस्या देखी जा सकती है. अस्पताल में मौजूद एक मरीज ने बताया कि कक्ष के पूर्वी भाग का दीवाल हमेशा नम रहता है. जबकि इन कक्षों में मरीजों के साथ कई तरह के आधुनिक उपकरण भी लगे हुए हैं. लोगों ने बताया कि उपरी मंजिल पर चल रहे निर्माण कार्य के कारण इन कक्षों में सीपेज हो रहा है. जिसके लिए अस्पताल प्रबंधक द्वारा कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी है. लोगों का कहना है कि अस्पताल में आने वाले मरीजों की दशा से पूर्व से खराब रहती है. जिसे संक्रमण का हमेशा डर बना रहता है. लेकिन ऐसी स्थिति में उपरोक्त समस्याओं के निदान के लिए अस्पताल में कोई खास व्यवस्था नहीं होने से मरीजों के जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है. हालांकि अस्पताल प्रबंधन अस्पताल परिसर में नियमित साफ-सफाई की बात करते हैं. कहते है मरीजों के हित के प्रति अस्पताल पूरी तरह गंभीर है और बॉयोमेडिकल कचरा की सफाई भी नियमित की जाती है.
गंभीर नहीं है अस्पताल प्रबंधक
सदर अस्पताल में व्याप्त गंदगी व बॉयोमेडिकल कचरा को लेकर प्रभात खबर में पूर्व में खबरें छपने के बाद जिम्मेदार द्वारा अस्पताल परिसर में गंदगी के अंबार के प्रति अपनी गंभीरता भी जतायी. लेकिन हैरत की बात है कि जिम्मेदार की कथनी और करनी में काफी फर्क नजर आता है. जबकि संक्रमण को लेकर अति संवेदनशील स्थलों में एक अस्पताल में साफ-सफाई अहम है. लेकिन सदर अस्पताल में सही तरीके से साफ-सफाई भी तब की जाती है. जब अस्पताल परिसर में किसी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कोई उच्च अधिकारी के आने का कार्यक्रम होता है. सदर अस्पताल परिसर में बुधवार को सफाई कर्मी वार्डों की सफाई करते नजर आये. जब इसकी वजह की पड़ताल की गयी तो पता चला कि जिलाधिकारी बैद्यनाथ यादव परिवार नियोजन कार्यक्रम में हिस्सा लेने आने वाले हैं. हालांकि जिलाधिकारी किसी कारण वश कार्यक्रम में भाग नहीं ले सके. उस दौरान भी अस्पताल परिसर में आपातकाल कक्ष व नवजात शिशु चिकित्सा इकाई के पिछले हिस्से में आवारा पशु कचरों में अपना भोजन तलाश करते नजर आये. अभी भी अस्पताल परिसर स्थित नालों की स्थिति जस की तस है. यहां मौजूद बॉयोमेडिकल कचरा पर किसी की भी नजर नहीं जा पा रही है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement