सीवान : 10 माह तक महिला अल्पवास गृह में रहने के बाद आखिरकार पूजा को अपना आशियाना मिल गया और वह बुधवार को अपने मासूम बेटे के साथ ससुराल रवाना हुई. सीवान जेल से निकलने के बाद उसका पति राजन दूबे सीधे अल्पवास गृह, सीवान पहुंचा, जहां से अपनी पत्नी पूजा और नौ माह के मासूम बेटे को लेकर अपने गांव रवाना हुआ.
पति व ससुराल द्वारा ठुकराये जाने के बाद पूजा 14 अगस्त, 2016 को महिला अल्पवास गृह, सीवान पहुंची, जहां उसे आशियाना मिला और उसके सहयोग से महिला थाने में मामला दर्ज हुआ. इसके बाद उसका पति गिरफ्तार हुआ और सीवान जेल में बंद था. 14 अगस्त को अल्पवास गृह में रह रही पूजा ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसका भरण-पोषण भी अल्पवास गृह में ही हो रहा था. इधर दोनों पक्षों में हुए समझौते के बाद पति ने पूजा और बच्चे को अपनाना स्वीकार किया.
इसके तहत फास्ट ट्रैक कोर्ट वन के आदेश पर राजन दूबे को जमानत पर मुक्त किया गया. इसके बाद राजन अपनी पत्नी व बेटे को लेकर अपने पैतृक गांव कन्हौली के लिए रवाना हुआ. अपने पति द्वारा अपनाये जाने पर पूजा के चेहरे पर एक अलग ही खुशी और चमक दिख रही थी. उसने इसके लिए महिला थाना और अल्पवास गृह के प्रति आभार व्यक्त किया. इस संबंध में जानकारी देते हुए अल्पवास गृह की काउंसेलर प्रिया भारद्वाज ने बताया कि पूजा बंगाल की रहने वाली है, जो दिल्ली में रह कर ही किसी कारखाने में काम करती थी. वहीं राजन भी काम करता था. इसी दौरान नजदीकी बढ़ने पर दोनों ने रजौरी गार्डेन के दुर्गा मंदिर में शादी कर ली थी. और साथ-साथ रहने लगे. इसी बीच गांव आने की बात कह कर राजन पूजा को छोड़ कर अपने गांव आ गया, और उसकी खोज खबर लेना बंद कर दिया. फिर करीब नौ माह की गर्भवती पूजा अपने पति की तलाश में अपनी ससुराल दरौली थाना के कन्हौली गांव पहुंची, जहां पति और ससुराल वालों ने उसे अपनाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद वह महिला अल्पवास गृह पहुंची और कानूनी कार्रवाई शुरू हुई. इसका सुखद परिणाम रहा कि नौ माह के अंदर ही पूजा और उसके बेटे को अपना आशियाना मिल गया. पूजा को नौ माह बाद उसके मासूम बच्चे के साथ अल्पवास गृह से रवाना करते वक्त अल्पावास गृह प्रभारी कुमारी प्रीति, काउंसेलर प्रिया भारद्वाज, महिला थानाध्यक्ष अफशां परवीन व अल्पवास गृह के अन्य कर्मी मौजूद थे. पूजा के मामले के सुखद अंत से कई की आंखों में खुशी के आंसू भी छलक रहे थे.