लापरवाही. गुजरे एक दशक में भी कूड़ा निस्तारण प्रोजेक्ट को नहीं मिली शक्ल
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सिर्फ कागजों में हो रही साफ-सफाई
लापरवाही. गुजरे एक दशक में भी कूड़ा निस्तारण प्रोजेक्ट को नहीं मिली शक्ल कचरे के अंबार के बीच रहना विवशता महाराजगंज : महाराजगंज शहर को सुंदर व स्वच्छ बनाने के राह में यहां सिर्फ कागजों में साफ-सफाई है. वास्तविकता में सब कुछ हवा-हवाई साबित हो रहा है. स्वच्छ शहर की राह में रोड़े कम नहीं […]
कचरे के अंबार के बीच रहना विवशता
महाराजगंज : महाराजगंज शहर को सुंदर व स्वच्छ बनाने के राह में यहां सिर्फ कागजों में साफ-सफाई है. वास्तविकता में सब कुछ हवा-हवाई साबित हो रहा है. स्वच्छ शहर की राह में रोड़े कम नहीं हैं. सफाई को लेकर प्रत्येक वर्ष तीन लाख रुपये से अधिक खर्च के बाद भी हाल यह है कि आबादी के बीच कूड़े का अंबार व अधिकतर मुहल्लों में हर दिन सफाई नहीं होने की शिकायत आम बात है. इन सबके बीच कूड़ा निस्तारण का एक दशक पूर्व तैयार किया गया प्रोजेक्ट फाइलों में ही सिमट कर रह गया है.
लिहाजा जमीन के अभाव में कूड़ा डंप करना नगर पंचायत के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. तकरीबन 40 हजार से अधिक आबादी वाले नगर पंचायत क्षेत्र के 14 वार्डों में से आधा दर्जन से अधिक वार्ड सघन आबादी वाले हैं. खास बात है कि बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में पिछले एक दशक से अब तेजी से शहर के रिहायशी इलाके का तेजी से विस्तार हो रहा है.
इसका नतीजा है कि आवासीय भवनों के निर्माण हर दिन हो रहा है. इसके साथ ही उन हिस्सों में सड़क, नाली व अन्य बुनियादी सुविधाओं की जरूरत महसूस की जाती है. इसके निदान के लिए विभागीय पहल के बीच सफाई एक बड़ी समस्या बनती जा रही है.
हर दिन नजर नहीं आते हैं सफाईकर्मी : नगर के चंद मुहल्लों को छोड़ शेष में हर दिन सफाई कर्मी नजर नहीं आते हैं. इसके चलते सड़कों पर ही कूड़ा बिखरा हुआ नजर आता है. पुरानी बाजार निवासी कन्हैया प्रसाद कहते हैं कि आमतौर पर सप्ताह में एक दिन मेरे मोहल्ले की सड़कों पर झाड़ू लगता है. मनोज कुमार कहते हैं कि नियमित सफाई नहीं होने से गंदगी का ढेर राह पर ही लगा रहता है. नयी बस्ती मुहल्ले में भी लोगों की यही शिकायत है.
मुहल्ले के सुभाष प्रसाद कहते हैं कि नियमित सफाई नहीं होने से गंदगी का ढेर दिन भर लगा रहता है. इसकी शिकायत करने पर भी कोई कोशिश नहीं होती है. नया बाजार मुहल्ले के लोगों का कहना है कि नियमित सफाई नहीं होने से नालियां जाम पड़ी हुई हैं. धर्मेंद्र कुमार कहते हैं कि कभी- कभार सफाईकर्मी नजर आते हैं.
सीटी बजा कर कूड़ा उठाने के प्रोजेक्ट पर भी नहीं होता अमल : नगर पंचायत ने एक प्राइवेट एजेंसी से कूड़ा उठाने का तीन लाख 87 हजार रुपये में एग्रीमेंट किया है, जिसके द्वारा प्रत्येक मुहल्ले में सीटी बजा कर घर- घर से कूड़ा उठाना है. इसके लिए सफाई कर्मी को एजेंसी द्वारा एक एक सीटी का वितरण किया गया है.
योजना के लागू हुए दस माह का वक्त गुजर चुका है. लेकिन निर्देश के मुताबिक अमल नहीं होता है. सीटी बजा कर कूड़ा मांगते, तो कहीं सफाई मजदूर नजर नहीं आते हैं. इसके अलावा प्रमुख मुहल्लों को छोड़ नगर के बाहरी हिस्से की ओर एजेंसी के मजदूर नहीं दिखते हैं, जिसके कारण सफाई को लेकर बड़ा बजट खर्च कर बनाया गया नगर पंचायत का प्रस्ताव धरातल पर बेमतलब साबित होने लगा है. नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी बसंत कुमार के मुताबिक प्रोजेक्ट स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया, लेकिन अब तक उस पर कोई अमल नहीं हो सका है. इस कारण कूड़ा निस्तारण की योजना खटाई में पड़ गयी है.
कूड़ा गिराने के लिए जमीन की चल रही तलाश : नगर पंचायत का कूड़ा एक स्थान पर एकत्रित करने के लिए कोई जमीन नहीं है. लिहाजा रेलवे के खाली पड़ी जमीन पर ही कूड़ा हर दिन गिराया जाता है, जिसको लेकर विरोध व शिकायत भी होती रहती है. ऐसे में नगर पर्षद ने अब कूड़ा गिराने के लिए बड़े भू-भाग की खरीद करने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जमीन आवंटन की स्थिति में विभाग को कूड़ा एकत्रित करने में सुविधा होगी. फिलहाल स्थिति यह है कि आबादी वाले इलाके में ही कूड़ा हर दिन जमा होता है. रेलवे की खाली जमीन पर हर दिन कूड़ा एकत्रित करने को लेकर आसपास के लोगों की शिकायत मिलती रहती है.
सरकार के यहां लंबित है प्रोजेक्ट
कूड़ा निस्तारण के लिए तैयार किया गया प्रोजेक्ट सरकार के यहां लंबित है. जमीन के अभाव में एक स्थान पर कूड़ा गिराना संभव नहीं हो पा रहा है. नगर पंचायत के विभिन्न क्षेत्र में रोस्टर के हिसाब से सफाई करायी जाती है. अगर किसी भी वार्ड में एजेंसी के सफाई कार्यों में लापरवाही की शिकायत मिलती है, तो उसे संज्ञान में लेकर एजेंसी से जवाब-तलब किया जायेगा.
बसंत कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत
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