महाराजगंज : भले ही सूबे की सरकार सरकारी विद्यालयों में बच्चों का झुकाव बढ़ाने की बात करती है, लेकिन बच्चों के अभिभावक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं. बेहतर शिक्षा के लिए शहर से गांव तक के निजी विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़ी है.
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निजी स्कूलों में बढ़ रहा छात्रों का दाखिला
महाराजगंज : भले ही सूबे की सरकार सरकारी विद्यालयों में बच्चों का झुकाव बढ़ाने की बात करती है, लेकिन बच्चों के अभिभावक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं. बेहतर शिक्षा के लिए शहर से गांव तक के निजी विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़ी है. महाराजगंज में जितनी सरकारी स्कूलें हैं, उनसे कम […]
महाराजगंज में जितनी सरकारी स्कूलें हैं, उनसे कम संख्या निजी विद्यालयों की भी नहीं है. शहर से लेकर गांव के अभिभावक सरकारी
स्कूलों की सस्ती शिक्षा छोड़ निजी विद्यालयों के महंगी शिक्षा पसंद करते हैं. बच्चों के अभिभावकों की मानें, तो बच्चों का बेहतर भविष्य बनाना है,
जो सरकारी स्कूलों से संभव नहीं दिख रहा है.
सरकारी स्कूल के शिक्षक के बच्चे निजी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करते हैं, जब शिक्षक अपनी ही पढ़ाई से संतुष्ट नहीं हैं, भला दूसरे के बच्चे का क्या होगा. जनप्रतिनिधियों की उदासीनता व अधिकारियों की नजर विद्यालयों पर शिक्षण व्यवस्था के प्रति कड़ी नहीं रहने के कारण विद्यालयों में गड़बड़ व्यवस्था होने की शिकायत जनता करती है.
बाध्य होकर अभिभावक बच्चों को निजी विद्यालयों में बच्चों को भेजते हैं. वहीं पंचायत के जनप्रतिनिधि की मानें, तो विद्यालयों में शिक्षण व्यवस्था सुधार की बात कही जाती है. लिखित भी शिकायत की जाती है, लेकिन अधिकारी जांच का अाश्वासन देकर मामले को मैनेज कर रफ-दफा कर देते हैं.
समय-समय पर होती है स्कूलों की जांच
समय-समय पर सरकारी स्कूलों की जांच की जाती है. विद्यालयों के शिक्षकों की गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई कराने के बारे में बताया जाता है. स्कूल में लापरवाही करते पकड़े जाने वाले शिक्षक पर कार्रवाई होती है.
रामकुमार मांझी
बीइओ, महाराजगंज
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