सीवान : मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप के बाद वर्ष 2011-12 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत हुए गर्भाशय के ऑपरेशनों की जांच अब अपने चरण में है. 19 अप्रैल को स्वास्थ्य विभाग द्वारा आठ निजी अस्पतालों को तीन दिनों के अंदर जांच में मिले ऑपरेशन गलत, फर्जी होने और मरीजों के ट्रेस लेस होने के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया है.
यह पत्र मिलते ही निजी अस्पतालों ने गर्भाशय जांच पर अंगुली उठानी शुरू कर दी है. 2011-12 में करीब गर्भाशय के 650 ऑपरेशन राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत हुए थे. इसमें से बीमा कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई गयी सूची के अनुसार सभी प्राथमिक अस्पतालों के प्रभारियों ने जांच कर अपनी रिपोर्ट दी है. इसमें से करीब 125 ऑपरेशनों को जांच टीम ने फर्जी व गलत ठहराया है. इसके अलावे करीब डेढ़ सौ मरीजों का कोई पता नहीं है.
बिना कोई जांच कराये कैसे बताया ऑपरेशन को फर्जी व गलत
निजी अस्पतालों के डॉक्टरों का तर्क है कि जांच करनेवाले पदाधिकारी की जांच करने का पैमाना क्या है. इस बात की जानकारी पत्र से नहीं हो रही है. करीब 70 साल की महिला का करीब पांच साल पहले गर्भाशय का ऑपरेशन हुआ.
उसका बिना कोई जांच कराये व बिना कोई मेडिकल बोर्ड के कैसे कह दिया कि ऑपरेशन फर्जी व गलत है. अधिकांश डॉक्टरों का आरोप है कि जांच करनेवाली टीम ने मरीज की फाइल का भी अध्ययन नहीं किया. ऐसी बात नहीं है कि गर्भाशय के ऑपरेशन मरीज को एक दिन की समस्या पर कर दिया गया हो. डॉक्टरों का कहना है कि करीब पांच साल पहले हुए गर्भाशय के ऑपरेशन को बिना कोई जांच कराये एक मेडिकल ऑफिसर के कहने पर फर्जी और गलत बताना उचित नहीं है. इसकी जांच मेडिकल बोर्ड का गठन कर की जानी चाहिए.
मरीज पते पर नहीं मिल रहे हैं तो डॉक्टर कैसे दोषी ?
गर्भाशय ऑपरेशन की जांच का अहम मुद्दा मरीजों को अपने पते पर नहीं मिलना है. ऑपरेशन फर्जी है या गलत इस मामलें में निजी अस्पतालों के डॉक्टरों से विभाग द्वारा सपष्टीकरण मांगना उचित तो लग रहा है, लेकिन मरीज अपने पते पर नहीं हैं. इस संबंध में डॉक्टर से सपष्टीकरण मांगना उचित नहीं लग रहा है.
इसके लिए जांच टीम को स्वास्थ्य कार्ड या बीपीएल सूची बनानेवाली एजेंसी को तलब करना चाहिए कि उसने कैसे ऐसे लोगों का नाम बीपीएल सची में जोड़ कर कैसे सवास्थ्य स्मार्ट कार्ड को बना दिया है. लेकिन जांच टीम ने ऐसा कोई सपष्ट मंतव्य अपना नहीं दिया है. वैसे ऑपरेशन करने के बाद मरीज को हमेशा के डॉक्टर अपने पास तो रखेगा नहीं. वैसे कई डॉक्टरों ने विभाग ने जिस मरीज को ट्रेस लेस बताया था उसका पता लगा लिया है.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन डॉ शिवचंद्र झा
गर्भाशय ऑपरेशन मामलें में आठ निजी अस्पतालों से स्पष्टीकरण मांगा गया है. सभी अस्पताल अपना-अपना प्रमाण व पत्र का जवाब दें. किसी भी निजी अस्पताल के विरुद्ध पुख्ता प्रमाण मिलने के बाद ही कोई कानूनी कार्रवाई की जायेगी.